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    दिल्ली सरकार का बड़ा फैसला, बिजली के बाद पानी का भी होगा निजीकरण; बिल पर क्या होगा असर?

    Updated: Wed, 16 Jul 2025 12:14 PM (IST)

    दिल्ली में अब जल आपूर्ति भी निजी हाथों में जाने की तैयारी है। जल बोर्ड को आठ जोन में बांटकर निजी ऑपरेटर तैनात किए जाएंगे। ये ऑपरेटर जल प्रबंधन सीवर लाइन रखरखाव और बिल वसूली का काम देखेंगे। सरकार का कहना है कि इससे पानी की बर्बादी रुकेगी और आपूर्ति सुधरेगी लेकिन आरडब्ल्यूए इसका विरोध कर रहे हैं कहना है कि बिजली के निजीकरण से उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ा है।

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    जल आपूर्ति व्यवस्था निजी हाथों में देने की तैयारी

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली में बिजली आपूर्ति की तरह जल आपूर्ति व्यवस्था भी निजी हाथों में सौंपने की तैयारी है। इसके लिए दिल्ली जल बोर्ड को आठ जोन में विभाजित किया जाएगा।

    प्रत्येक जोन में जल व सीवेज प्रबंधन के लिए निजी आपरेटर तैनात किए जाएंगे। उनकी जिम्मेदारी पेयजल आपूर्ति व सीवर लाइन का रखरखाव, गैर राजस्व जल (एनआरडब्ल्यू) में कमी और उपभोक्ताओं से बिल वसूलने की जिम्मेदारी होगी।

    50 प्रतिशत जल हो रहा बर्बाद या चोरी

    दिल्ली में उपलब्ध जल में से लगभग 50 प्रतिशत या तो बर्बाद हो रहा है या चोरी। इसे गैर राजस्व जल कहा जाता है। इस समस्या के समाधान के साथ ही उपभोक्ताओं को स्वच्छ जल उपलब्ध कराना दिल्ली जल बोर्ड के सामने बड़ी चुनौती है।

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    राजधानी के कई क्षेत्र में पानी की किल्लत, दूषित पेयजल आपूर्ति व सीवर की समस्या रहती है। जल बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि दिल्ली में बिजली आपूर्ति की स्थिति खराब थी।

    वर्ष 2002 में बिजली वितरण निजी कंपनियों को सौंपने के बाद बिजली चोरी में कमी आने का साथ ही आपूर्ति भी सुधरी है।

    29 लाख उपभोक्ताओं को जलापूर्ति करता है जल बोर्ड

    इसे ध्यान में रखकर जल आपूर्ति व सीवर प्रबंधन निजी हाथों में सौंपने का प्रस्ताव है। दिल्ली के जल मंत्री प्रवेश वर्मा का कहना है कि एक जोन एक ऑपरेटर नीति लाने की योजना तैयार की जा रही है।

    दिल्ली जल बोर्ड नौ जल उपचार संयंत्रों और 15600 किलोमीटर पाइप लाइन से लगभग 29 लाख उपभोक्ताओं को पानी आपूर्ति करता है।

    वर्ष 2011-12 में पायलट प्रोजेक्ट के अंतर्गत मालवीय नगर में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के आधार पर जल आपूर्ति शुरू की गई। उसका अन्य क्षेत्रों में विस्तार नहीं किया गया। पिछले माह उसके अनुबंध की अवधि समाप्त हो गई थी, लेकिन उसे चार माह के लिए बढ़ा दिया गया है।

    RWA क्यों जता रही विरोध?

    दिल्ली सरकार के इस प्रस्ताव का रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) के पदाधिकारी विरोध कर रहे हैं। यूनाइटेड रेजिडेंट ऑफ दिल्ली के महासचिव सौरभ गांधी का कहना है कि बिजली आपूर्ति के निजीकरण से उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ा है।

    अब सरकार पानी को भी निजी हाथों में सौंपना चाहती है। निजीकरण का विरोध करने वाली भाजपा सरकार भी इसे बढ़ावा दे रही है।

    ईस्ट दिल्ली आरडब्ल्यूए ज्वाइंट फोरम के अध्यक्ष बीएस वोहरा ने कहा, कांग्रेस सरकार द्वारा बिजली का निजीकरण किया जिसका खामियाजा दिल्लीवासी भुगत रहे हैं।

    अब भाजपा सरकार जल बोर्ड को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी कर रही है। मॉडल टाउन रेजिडेंट्स सोसाइटी के अध्यक्ष संजय गुप्ता ने कहा बिजली की तरह पानी को निजी हाथों में सौंपने का निर्णय गलत है।

    बिजली कंपनियों के कामकाज में पारदर्शिता नहीं है इस कराण वह अपने खातों की कैग जांच कराने से घबराती है। पानी के निजीकरण से दिल्लीवासियों को नुकसान होगा।