Delhi Water Crisis: दिल्ली में अब पानी की किल्लत हो जाएगी दूर? रोजाना कितनी जरूरत और क्या है चुनौती
जलापूर्ति के लिए एनडीएमसी ने पहले चरण के तहत इस परियोजना को मंजूरी दे दी है और काम भी शुरू कर दिया है। इसके लिए एनडीएमसी ने 1.67 करोड़ की राशि भी मंजूर कर दी है। जलापूर्ति नेटवर्क को अपग्रेड करने के साथ ही जल वितरण प्रणाली को ऑटोमेशन से जोड़ा जाएगा। एनडीएमसी उपाध्यक्ष कुलजीत चहल ने गर्मियों में निर्बाध जलापूर्ति सुनिश्चित करने के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। Delhi Water Supply: नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) विनय मार्ग इलाके से लुटियंस दिल्ली में निर्बाध जलापूर्ति शुरू करेगी। 24 घंटे जलापूर्ति के लिए एनडीएमसी ने पहले चरण के तहत इस परियोजना को मंजूरी दे दी है और काम भी शुरू कर दिया है। इसके लिए एनडीएमसी ने 1.67 करोड़ की राशि भी मंजूर कर दी है।
जलापूर्ति नेटवर्क को अपग्रेड करने के साथ ही जल वितरण प्रणाली को ऑटोमेशन से जोड़ा जाएगा। एनडीएमसी उपाध्यक्ष कुलजीत चहल ने गर्मियों में निर्बाध जलापूर्ति सुनिश्चित करने के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की। इसके बाद एनडीएमसी के जलापूर्ति विभाग की ओर से किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी गई।
पेयजल उपलब्धता बढ़ाने के लिए प्रस्तावित योजना
रेणुकाजी बांध (हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में दधौ नदी पर, 2028 तक बनने की उम्मीद), किशाऊ बांध (उत्तराखंड के देहरादून जिले और हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में यमुना की सहायक नदी टोंस पर प्रस्तावित) और लखवार बांध (उत्तराखंड के देहरादून जिले में यमुना पर प्रस्तावित)
दिल्ली जल बोर्ड के आउटकम बजट (2023-24) के अनुसार, कुल वितरण घाटा करीब 52.35 प्रतिशत है। यानी आधे से ज्यादा पानी बर्बाद हो रहा है।
दिल्ली जल बोर्ड को वर्ष 2020-21 में बजट आवंटन 4301 करोड़ रुपये था। वर्ष 2024-25 में यह बढ़कर 7195 करोड़ रुपये हो गया। वर्ष 2020-21 में 20 हजार लीटर प्रतिमाह मुफ्त पानी पाने वाले उपभोक्ताओं की संख्या छह लाख थी। वर्ष 2024-25 में यह बढ़कर 17.1 लाख हो गई।
लीकेज की समस्या के समाधान के लिए पिछले 10 वर्षों में 191.12 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
अब दिल्ली में डबल इंजन की सरकार है- कुलजीत सिंह चहल
कुलजीत सिंह चहल ने कहा कि अब दिल्ली में डबल इंजन की सरकार है। दिल्ली की पिछली आप सरकार की वजह से जो काम नहीं हो पा रहे थे, वो अब होंगे। हमारी बहुत पुरानी मांग थी कि फ्लो मीटर लगाए जाएं ताकि यह पता चल सके कि एनडीएमसी को दिल्ली जल बोर्ड से कितना पानी मिलता है।
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