Delhi Water Crisis: दिल्ली के 56 लाख लोगों की बुझ जाएगी प्यास, बस करना होगा ये एक काम
दिल्ली में पानी की बर्बादी एक गंभीर समस्या है जहां जरूरत का आधा पानी ही लोगों तक पहुंचता है। दिल्ली सरकार इस समस्या को हल करने के लिए जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जेआईसीए) से मदद लेने की सोच रही है। इस पहल का उद्देश्य पानी की चोरी रोकना और सभी को पानी उपलब्ध कराना है जिससे दिल्ली जल बोर्ड की वित्तीय स्थिति भी सुधरेगी।

संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली। दिल्ली में पानी की बर्बादी को रोकना बड़ी चुनौती है। दिल्ली अपनी जल आवश्यकता की पूर्ति के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भर है।
इस समय दिल्ली में लगभग 1250 मिलियन गैलन प्रतिदिन (एमजीडी) पानी की आवश्यकता है। इसकी तुलना में लगभग एक हजार एमजीडी मिल रहा है। इसमें से भी सिर्फ आधा पानी उपभोक्ताओं तक पहुंच रहा है।
बताया गया शेष पानी या तो रिसाव से बर्बाद या चोरी हो रहा है। यह न तो वैध उपभोक्ताओं को मिल रहा है और न दिल्ली जल बोर्ड को इसका राजस्व प्राप्त होता है। इसे तकनीकी भाषा में गैर राजस्व जल (एनआरडब्ल्यू) कहा जाता है। दिल्ली सरकार इस समस्या के समाधान के लिए जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जेआइसीए) से सहयोग लेने की तैयार कर रही है।
एनआरडब्ल्यू के कारण होने वाली राजस्व हानि दिल्ली जल बोर्ड की वित्तीय स्थिति को खराब कर रही है। बोर्ड भारी घाटे में है। इससे नए जल उपचाप संयंत्र (डब्ल्यूटीपी) बनाने सहित जल आपूर्ति से संबंधित अन्य परियोजनाओं का काम बाधित हो रहा है। यह दिल्ली के कई क्षेत्रों में जल संकट का भी प्रमुख कारण है। एक एमजीडी से लगभग 28 हजार लोगों को पानी उपलब्ध होता है। इस तरह से यदि 20 प्रतिशत पानी (200 एमजीडी) बचाने में सफल होते हैं तो 56 लाख लोगों की प्यास बुझ सकती है।
इस समस्या के समाधान के लिए दिल्ली सरकार ने लगभग 15 वर्ष पहले भी संपर्क किया था। वर्ष 2011-12 में उसने जल उपचार संयंत्रों (डब्ल्यूटीओ) सहित पूरे जल आपूर्ति नेटवर्क की व्यापक मूल्यांकन करने की बात कही थी। उस सिफारिश पर आगे काम नहीं हुआ। अब फिर से सरकार उससे सहयोग लेने की योजना तैयार कर रही है।
पूरी दिल्ली में जल आपूर्ति नेटवर्क की परीक्षण कराने के साथ ही मांग व उपलब्धता का विश्लेषण कर सभी को पानी उपलब्ध कराने और एनआरडब्ल्यू कम करने की कार्य योजना तैयारी की जाएगी।
पिछले माह हुई यमुना की सफाई और दिल्ली में जल आपूर्ति में सुधार को लेकर केंद्र सरकार के साथ हुई बैठक में भी दिल्ली सरकार ने यह प्रस्ताव रखा था। इसमें केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय से भी सहयोग लेने का प्रस्ताव है।
दिल्ली की सत्ता में आने के बाद भाजपा सरकार ने पानी की चोरी रोकने के लिए सभी पानी के टैंकरों में जीपीएस अनिवार्य किया है। बिलिंग प्रक्रिया में सुधार किया जाना है।
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