दिल्ली में लखनऊ मॉडल से होगा कचरे का निपटान, शहर में पहली बार शुरू हो रहा यह काम
दिल्ली में कूड़े के पहाड़ों की समस्या को हल करने के लिए एमसीडी ने लखनऊ मॉडल पर आधारित कचरा निपटान प्रणाली शुरू करने का फैसला किया है। इसके तहत सिंघोला में एक संयंत्र स्थापित किया जाएगा जो प्रतिदिन 300 टन कचरे का निपटान करेगा। इस परियोजना का उद्देश्य लैंडफिल साइटों पर कचरे का बोझ कम करना है वर्तमान में दिल्ली में प्रतिदिन 11500 मीट्रिक टन कचरा उत्पन्न होता है।

निहाल सिंह, नई दिल्ली। दिल्ली में कूड़े के पहाड़ों को खत्म करने और नए कचरे के निपटान के लिए, एमसीडी अब इस प्रक्रिया में तेज़ी लाने के लिए हर संभव कदम उठा रही है। इसी सिलसिले में, एमसीडी ने पहली बार बड़े पैमाने पर नए कचरे का निपटान शुरू करने का फैसला किया है।
यह कार्य लखनऊ मॉडल पर आधारित होगा, जहाँ पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर प्रतिदिन 300 टन कचरे का निपटान किया जाएगा। एमसीडी जल्द ही इसके लिए निविदाएँ आमंत्रित करेगी।
एमसीडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दिल्ली के तीन कूड़े के पहाड़ों में पड़े पुराने कचरे का निपटान तो किया ही जा रहा है, साथ ही वे नए कचरे को लैंडफिल तक पहुँचने से रोकने या वहाँ पहुँचने वाले कचरे की मात्रा को कम करने के लिए भी काम कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि इसी उद्देश्य से, स्वच्छता विभाग के चार अधिकारियों की एक टीम ने एमसीडी के उपायुक्त दिलखुश मीणा के साथ हाल ही में दैनिक कचरा निपटान प्रक्रिया को समझने के लिए लखनऊ का दौरा किया। यह कार्य लखनऊ नगर निगम द्वारा वहाँ किया जा रहा है। वे दिल्ली में भी इसी तरह का काम लागू करना चाहते हैं।
इस उद्देश्य से, हम वर्तमान में सिंघोला में एक संयंत्र स्थापित करने की योजना बना रहे हैं ताकि भलस्वा लैंडफिल में आने वाले 2,000 टन नए कचरे में से प्रतिदिन 300 टन कचरे का निपटान किया जा सके। हाल ही में, एमसीडी ने पुरानी गाद हटाकर इस भूमि को साफ़ किया है।
उन्होंने बताया कि गाजीपुर लैंडफिल साइट के पास और उसके बाद ओखला लैंडफिल साइट के पास भी इसी तरह की परियोजना शुरू की जाएगी। अधिकारी ने आगे बताया कि लैंडफिल साइटों पर पुराने कचरे के निपटान के अलावा, नए कचरे का निपटान भी महत्वपूर्ण है।
लखनऊ का दैनिक कचरा निपटान
लखनऊ का दौरा करने वाले अधिकारियों की टीम के एक अधिकारी ने बताया कि दिल्ली के मटेरियल रिकवरी सेंटर (एमआरएफ) की तरह, लखनऊ में नए कचरा निपटान केंद्र भी संचालित होते हैं। हालाँकि, इनका आकार बड़ा है। इसलिए, घरों से निकलने वाले दैनिक कचरे को मशीनों और श्रमिकों द्वारा अलग किया जाता है। प्लास्टिक, लोहा, कागज आदि को अलग किया जाता है, जबकि गीले कचरे को अलग करके खाद बनाने में इस्तेमाल किया जाता है।
अभी भी लैंडफिल में जा रहा है 4,000 मीट्रिक टन कचरा
दिल्ली में प्रतिदिन 11,500 मीट्रिक टन कचरा उत्पन्न होता है। इसमें से 7,259 मीट्रिक टन कचरा बिजली और खाद बनाने के लिए निपटाया जाता है। शेष 4,242 मीट्रिक टन भलस्वा और गाजीपुर लैंडफिल में डाला जाता है। निगम अगले तीन वर्षों में अपशिष्ट-से-ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना से पहले नए कचरे के निपटान की व्यवस्था करने का प्रयास कर रहा है ताकि लैंडफिल में जाने वाले नए कचरे का बोझ कम किया जा सके।
इस प्रकार हो रहा है दिल्ली में कचरा निपटान
- प्रतिदिन उत्पन्न कचरा: 11,500 मीट्रिक टन
- लैंडफिल में जाने वाला कचरा: 4,242 मीट्रिक टन
- कचरे से बिजली बनाने में प्रयुक्त कचरा: 6,600 मीट्रिक टन
- खाद बनाने में प्रयुक्त कचरा: 658 मीट्रिक टन
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