Delhi Violence: घर से निकले थे दूध लेने, जीटीबी में मिला शव; बुझ गया इकलौता चिराग
Delhi Violence बृजपुरी इलाके में भड़की हिंसा में मरने वाले प्रेम सिंह भी अपने परिवार का एकमात्र सहारा थे।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। उत्तर-पूर्वी जिले में भड़की हिंसा ने कई घरों के ऐसे चिराग बुझा दिए जो परिवार में इकलौते कमाने वाले थे। मंगलवार को बृजपुरी इलाके में भड़की हिंसा में मरने वाले प्रेम सिंह भी अपने परिवार का एकमात्र सहारा थे। वह रिक्शा चलाकर गुजारा करते थे। मंगलवार सुबह दूध लेने के लिए निकले प्रेम सिंह जब शाम तक घर नहीं पहुंचे तो बुधवार को परिजन ढूंढने निकल पड़े।
उन्होंने कई जगह बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और रिक्शा स्टैंड पर प्रेम सिंह को तलाश किया। जब कुछ पता नहीं चला तो फिर परिजनों ने प्रेम सिंह को अस्पतालों में ढूंढना शुरू किया। लेकिन, जब कहीं कुछ पता नहीं चला तो बुधवार को वे गुरु तेग बहादुर (जीटीबी) अस्पताल पहुंचे तो यहां उन्हें यह कहकर लौटा दिया कि जब तक थाने से रिसी¨वग कॉल नहीं आएगी तब तक आपको यहां से कोई जानकारी नहीं मिलेगी। इसके बाद परिजनों ने संबंधित दयालपुर थाने में प्रेम सिंह के गायब होने की सूचना दी।
शिकायत के बाद पुलिस ने इनकी एफआइआर दर्ज की। इसके बाद इन्हें थाने से जीटीबी अस्पताल जाने के लिए कहा गया। इसके बाद जीटीबी अस्पताल में मृतक की मां, पत्नी, भाई और बहन ने उसके शव की पहचान की। परिजनों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक प्रेम सिंह उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले के रजपुरा गांव के रहने वाले थे। वह छह माह पहले ही गांव से दिल्ली आए थे। वह बृजपुरी में पत्नी और तीन बेटियों के साथ रहते थे।
संकट में परिवार, तीन बेटियां व गर्भवती पत्नी
प्रेम सिंह की तीन बेटियां हैं। सबसे बड़ी बेटी 9 वर्ष की है, दूसरी चार वर्ष और तीसरी दो वर्ष की है। साथ ही उनकी पत्नी सुनीता सात माह की गर्भवती भी हैं। गर्भवती होने के कारण वह अपनी पत्नी का काफी खयाल रखते थे। साथ ही घर के कामकाज में भी हाथ बंटाते थे। मंगलवार को भी वह पत्नी से यह कहकर निकले थे कि मैं दूध लेकर आता हूं और आपको चाय बनाकर पिलाऊंगा।
सुनीता ने बताया कि वह कहते थे कि अब आपका प्रसव का समय नजदीक आ रहा है इसलिए अब आप ज्यादा काम मत किया करो। लेकिन, होनी को कुछ और ही मंजूर था। मंगलवार की सुबह घर से निकले प्रेम सिंह दंगाइयों के हमले का शिकार हो गए और पत्नी उनका इंतजार करती रही।