भारत की सांस्कृतिक आत्मा अब दुनिया में पा रही प्रसिद्धि, दिल्ली के 11 गांव डिजिटल मानचित्र में होंगे शामिल
भारत की संस्कृति अब गांवों के रास्ते डिजिटल दुनिया में आ रही है। मेरा गांव मेरी धरोहर योजना के तहत दिल्ली के 11 गांव डिजिटल सांस्कृतिक मानचित्र पर शाम ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। भारत की सांस्कृतिक आत्मा अब गांवों के रास्ते डिजिटल दुनिया में दस्तक दे रही है। संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा की गई पहल मेरा गांव मेरी धरोहर के तहत दिल्ली के लगभग 11 गांवों को अब आधिकारिक रूप से एक डिजिटल सांस्कृतिक मानचित्र पर शामिल किया गया है। इस योजना का उद्देश्य भारत के गांवों की बहुआयामी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित कर उसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करना है।
इस योजना के अंतर्गत इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) द्वारा संचालित राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण मिशन ने इन गांवों का सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और पारंपरिक मूल्यांकन कर इनकी जानकारी पोर्टल पर दर्ज की जा रही है। इन गांवों की जीवनशैली, परंपराएं, खान-पान, लोक कला, रीति-रिवाज, वेशभूषा और स्थापत्य कला को ऑडियो- विजुअल डाक्यूमेंटेशन के रूप में दूरदर्शन पर प्रस्तुत किया जाएगा।
शैक्षणिक अध्ययन के लिए भी महत्वपूर्ण केंद्र
दिल्ली के जो गांव इस पहल में शामिल हुए हैं। उनमें सनोठ, नांगली पूना, पिंडवाला कलां, सिंघू, खरखरी नाहर, शिकारपुर, कंगन हेरी, जोंटी, झुलझुली, ढिचांव कलां और खेड़ा डाबर है। यह गांव अब न केवल सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक बनेंगे बल्कि पर्यटन, शोध और शैक्षणिक अध्ययन के लिए भी महत्वपूर्ण केंद्र साबित होंगे।
सर्वे कर जानकारी पोर्टल पर दर्ज करने की प्रक्रिया जारी
आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित ‘पंच प्रण’ के अंतर्गत विरासत भी, विकास भी की सोच को साकार करने के लिए इस योजना के तहत गांवों की परंपरा और संस्कृति को एक नई पहचान और मंच देने का प्रयास किया जा रहा है। आईजीएनसीए द्वारा अब तक देशभर के 750 से अधिक गांवों का सर्वे कर जानकारी पोर्टल पर दर्ज करने की प्रक्रिया जारी है।
इस संबंध में आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी का कहना है कि यह सिर्फ डॉक्यूमेंटेशन नहीं बल्कि हमारी सांस्कृतिक स्मृति को अगली पीढ़ियों तक ले जाने का माध्यम है। इस सर्वे का मुख्य उद्देश्य गांवों की समग्र संस्कृति का ब्यौरा संरक्षित करना और ग्रामीण संस्कृति के प्रति युवाओं को जागरूक करना है।

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