Delhi Chunav 2025: दिल्ली की ये चर्चित सीट... तीन बार से हार का सामना कर रही BJP; पढ़ें पूरा इतिहास
Delhi Chunav 2025 ग्रेटर कैलाश विधानसभा सीट पर भाजपा का दबदबा रहा है लेकिन 2013 से आम आदमी पार्टी का कब्जा है। इस बार भाजपा ने कमल खिलाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस भी पीछे नहीं हैं। तीनों पार्टियों के बीच घमासान जारी है। आगे विस्तार से पढ़िए इस सीट का पूरा इतिहास क्या है।

मुहम्मद रईस, दक्षिणी दिल्ली। नई दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाली ग्रेटर कैलाश विधानसभा सीट 2008 में अस्तित्व में आई थी। तब भारतीय जनता पार्टी ने कद्दावर नेता विजय कुमार मल्होत्रा को मैदान में उतारा। उन्हें मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में भी जनता के सामने पेश किया गया। उन्होंने कांग्रेस के जितेंद्र कुमार कोचर को 11 हजार से अधिक मतों के अंतर से हराकर सीट पर कब्जा किया।
हालांकि, चुनाव में भाजपा को बहुमत नहीं मिल सका। शीला दीक्षित सरकार बनाने में कामयाब रही। मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे विजय कुमार मल्होत्रा को नेता प्रतिपक्ष के रूप में विधानसभा में बैठना पड़ा। दिल्ली में 2012 में हुए अन्ना हजारे आंदोलन के बाद में कांग्रेस के विरुद्ध माहौल बन गया। कांग्रेस की तत्कालीन केंद्र सरकार के साथ शीला दीक्षित सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे।
प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी
आंदोलन के बाद प्रदेश की राजनीति में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी ने दस्तक दी। 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए सीट पर कब्जा बरकरार रखना कड़ी चुनौती था। विजय कुमार मल्होत्रा के बेटे अजय कुमार मल्होत्रा को प्रत्याशी बनाया गया। हाईकमान ने चुनाव में बड़े नेताओं को ग्रेटर कैलाश भेजकर सीट को बरकरार रखने के लिए दिन-रात एक कर दिए। प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। नेताओं ने खूब पसीना बहाया।
घर-घर जाकर वोट मांगे गए, लेकिन क्षेत्र के मतदाताओं के दिलो-दिमाग में आम आदमी पार्टी बस चुकी थी। सौरभ भारद्वाज को यहां से प्रत्याशी बनाया गया। कांग्रेस ने वीरेंद्र कसाना को मैदान में उतारा। मतदाताओं में आम आदमी पार्टी का जादू सिर चढ़कर बोला। सौरभ भारद्वाज ने भाजपा के अजय कुमार मल्होत्रा को 13092 मतों के हरा दिया।
भाजपा ने ग्रेटर कैलाश को प्रतिष्ठा से जोड़ लिया
इसके बाद से भाजपा का कमल यहां से नहीं खिला। जीत हासिल करने के लिए प्रत्याशी भी बदले गए पर पार्टी इतिहास को नहीं दोहरा सकी। पिछले तीन विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को दूसरे नंबर पर संतोष करना पड़ा है। इस बार भाजपा ने ग्रेटर कैलाश को प्रतिष्ठा से जोड़ लिया है। हार के क्रम को तोड़ने के लिए पार्टी ने क्षेत्र में ताकत झोंक दी है।
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के विरुद्ध भाजपाइयों के तेवर सख्त है। दोनों पार्टियों पर भ्रष्टाचार और विकास न कराने का मु्द्दा उठाकर मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के प्रत्याशी भी उन्हें कोई मौका नहीं देना चाहते। वह भी पलटवार कर रहे हैं। इससे क्षेत्र में सर्दी में राजनीति पारा चढ़ गया है। एक-दूसरे पर कटाक्ष के शब्द बाण खूब छोड़ जा रहे हैं।
शर्मिष्ठा मुखर्जी भी कांग्रेस को नहीं दिला पाईं जीत
कांग्रेस यहां कभी जीत हासिल नहीं कर सकी है। 2015 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी को मैदान में उतारकर कांग्रेस ने पहली जीत पाने के लिए बड़ा दांव चला। वह 2014 में कांग्रेस में शामिल हुईं थीं। पार्टी को उम्मीद थी कि वह आसानी से जीत जाएंगी, लेकिन वह तीसरे नंबर पर रहीं। वोट शेयर भी करीब 15 प्रतिशत और घट गया। आप ने सीट पर कब्जा बरकरार रखा। आप ने 2020 के चुनाव में भी सीट बरकरार रखी। भाजपा दूसरे नंबर पर रही।
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