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    Delhi Chunav 2025: मुस्लिमों के सहारे कांग्रेस की होगी नैया पार? रिपोर्ट से समझिए अब तक कैसा रहा दिल्ली में सफर

    By Jagran NewsEdited By: Abhishek Tiwari
    Updated: Tue, 04 Feb 2025 08:36 AM (IST)

    Delhi Vidhan Sabha Chunav 2025 की तैयारियों में जुटी कांग्रेस ने इस बार मुस्लिम वोटरों को अपने पाले में करने के लिए रणनीति बनाई। पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने मुस्लिम बहुल इलाकों में कई जनसभाएं की हैं। कांग्रेस को उम्मीद है कि मुस्लिम वोटरों का समर्थन मिलने से पार्टी को दिल्ली में सत्ता में वापसी करने में मदद मिलेगी।

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    सीमापुरी में प्रियंका गांधी की सभा में मौजूद लोग। फोटो- जागरण आर्काइव

    स्वदेश कुमार, नई दिल्ली। दिल्ली की सत्ता में कांग्रेस की जड़ें काफी गहरी रही हैं। राज्य के रूप में अस्तित्व में आने के बाद शुरुआती पांच साल को छेड़ दें तो दिल्ली में अब तक का सबसे लंबा शासन काल कांग्रेस का ही रहा है। 1998 से लगातार 2013 तक यानी 15 साल कांग्रेस की शीला दीक्षित मुख्यमंत्री रहीं। इसके बाद 2013 में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी अस्तित्व में आ गई।

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    पहले ही चुनाव में AAP ने दिया था झटका

    पहले ही चुनाव में 70 में से 28 सीटें जीतकर आप ने सबसे बड़ा झटका कांग्रेस को दिया, लेकिन आठ सीटों पर सिमटी कांग्रेस की मदद से ही सरकार भी बनाई। सरकार 49 दिन चली। फिर राष्ट्रपति शासन लग गया। 2015 के चुनाव में आप की आंधी ऐसी चली कि कांग्रेस जड़ से उखड़ गईं। भाजपा भी मात्र तीन सीटों पर सिमट गई।

    सीमापुरी में प्रियंका गांधी की सभा में मौजूद लोग। फोटो- आर्काइव

    2020 के चुनाव में भी नहीं खुला था खाता

    2020 के चुनाव में भी आप ने ऐतिहासिक प्रदर्शन को दोहराया और कांग्रेस दूसरी बार शून्य पर ही रह गई। इस बार के चुनाव में कांग्रेस नेतृत्व थोड़ा गंभीर नजर आया। पार्टी की रणनीति बता रही है कि वह अपनी जड़ों की ओर लौटने की कोशिश में है। वरिष्ठ नेता और सांसद राहुल गांधी के अलावा प्रियंका गांधी और राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे तक ने चुनावी जनसभाएं कीं तो मुस्लिम बहुल क्षेत्रों को प्रमुखता दी।

    दिल्ली में कितने प्रतिशत हैं मुस्लिम?

    कांग्रेस ने संकेत दे दिया कि मुस्लिमों को अपने पाले में देखना चाहती है। 2011 की जनगणना के अनुसार दिल्ली में मुस्लिम 13 प्रतिशत है।

    13 जनवरी को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने दिल्ली के चुनाव में पहली सभा की। ये सभा सीलमपुर में थी, जहां मुस्लिम मतदाताओं की आबादी 57 प्रतिशत से अधिक है। 28 जनवरी को ओखला में जनसभा की।

    ओखला में 52 प्रतिशत से अधिक हैं मुस्लिम मतदाता

     यहां भी 52 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं। 30 जनवरी को राहुल गांधी बादली में थे, यहां भी मुस्लिम मतदाताओं की संख्या ठीकठाक है। 31 जनवरी को प्रियंका गांधी ने मुस्तफाबाद में सभा की।

    एक फरवरी को राहुल सदर बाजार तो प्रियंका गांधी नई दिल्ली के साथ चांदनी चौक सीट पर प्रचार कर रही थीं। दो फरवरी को वह सीमापुरी व बाबरपुर पहुंची थीं। इसी दिन खरगे मुस्तफाबाद में जनसभा कर रहे थे। ये सभी मुस्लिम बहुल सीटें हैं।

    कांग्रेस से छिटककर आप में गए थे मुस्लिम

    वर्ष 2015 और 2020 के चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं ने एकतरफा वोट आप को दिया। इससे भी कांग्रेस की जमीन हिल गई थी। हालांकि 2020 के दिल्ली दंगों के बाद मुस्लिम मतदाताओं में आप को लेकर नाराजगी भी देखी गई।

    साल 2022 में हुए नगर निगम चुनाव में मुस्तफाबाद, सीलमपुर, बाबरपुर और ओखला में मुस्लिम मतदाताओं ने आप के बजाय कांग्रेस पर भरोसा जताया। नतीजतन यहां छह मुस्लिम पार्षद चुने गए।

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    विस क्षेत्र मतदाताओं की संख्या (प्रतिशत में)

    सीलमपुर 57
    ओखला 52.5
    बाबरपुर 41.1
    मुस्तफाबाद 39.5
    सीमापुरी 23.4
    चांदनी चौक 29.7
    बादली 12.6
    सदर बाजार 16.2

    आंकड़े: चाणक्य डाट काम के अनुसार