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    अनलॉक हुई दिल्ली फिर भी लाखों व्यापारियों के चेहरे पर नहीं लौटी खुशी, जानिए इसके पीछे की वजह

    By Vinay Kumar TiwariEdited By:
    Updated: Fri, 28 May 2021 06:31 PM (IST)

    संक्रमण के चलते सैकड़ों व्यापारी व उनके परिवार के सदस्यों को खोने के बीच सरकार द्वारा बाजारों के लिए लाकडाउन जारी रखने के फैसले ने दिल्ली के व्यापारी समाज को आक्रोशित कर दिया है। वे सरकार के इस फैसले पर नाराजगी जताते हुए उससे पुनर्विचार की अपील कर रहे हैं।

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    उपराज्यपाल व मुख्यमंत्री को विरोध पत्र भेजकर फैसले पर पुनर्विचार की मांग करने की तैयारी

    नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]  कोरोना संक्रमण के चलते सैकड़ों व्यापारी व उनके परिवार के सदस्यों को खोने के बीच दिल्ली सरकार द्वारा बाजारों के लिए लाकडाउन जारी रखने के फैसले ने दिल्ली के व्यापारी समाज को आक्रोशित कर दिया है। वे सरकार के इस फैसले पर नाराजगी जताते हुए उससे पुनर्विचार की अपील कर रहे हैं। उनकी मांग है कि कुछ शर्तों के साथ 31 मई से उन्हें भी दुकानें खोलने की अनुमति मिले। इसके लिए उन्होंने उपराज्यपाल व मुख्यमंत्री को ई-मेल व अन्य माध्यमों से अपना संदेश पहुंचाना शुरू कर दिया है।

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    40 दिनों से लाकडाउन के कारण बाजार और दुकानें बंद कर घर बैठे दुकानदारों को दिल्ली में काेरोना के मामलों में कमी के साथ अगले सप्ताह से बाजार खोलने की अनुमति मिलने की उम्मीद थी। कंफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) व चैंबर आफ ट्रेड इंडस्ट्री (सीटीआइ) के साथ ही भारतीय उद्योग व्यापार मंडल (बीयूवीएम) जैसे बड़े कारोबारी संगठनों की बैठकों में जहां 80 फीसद व्यापारी नेताओं ने बाजार खोले जाने के पक्ष में राय जाहिर की थी, वहीं कनाट प्लेस, खान मार्केट, कश्मीरी गेट, लाजपत नगर, साउथ एक्स, सरोजनी नगर, नेहरू प्लेस, उत्तम नगर, गांधी नगर व लक्ष्मी नगर जैसे बाजारों के कारोबारी संगठनों ने भी आनलाइन बैठकें कर बाजारों के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) बनाना शुरू कर दिया था, लेकिन शुक्रवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्रकार वार्ता से व्यापारियों की उम्मीदों को झटका लगा।

    कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल व दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष विपिन आहूजा ने कहा कि निश्चित रूप से दिल्ली में कोरोना को और अधिक बढ़ने नहीं देना केवल सरकार की ही नहीं बल्कि व्यापारियों की भी प्राथमिकता है लेकिन बाजारों को न खोले जाने का कोई औचित्य समझ में नहीं आता। खंडेलवाल ने कहा कि जिन प्रवासी मजदूरों के लिए ये दोनों गतिविधियां खोली गई हैं उनसे कहीं ज्यादा मात्रा में व्यापारियों के यहां प्रवासी लोग काम करते है। दिल्ली के लगभग 15 लाख छोटे-बड़े व्यापारी लगभग 35 लाख से अधिक लोगों को रोजगार देते हैं। क्या व्यापारियों के यहां काम करने वाले कर्मचारी केजरीवाल के मापदंडो में नहीं आते। फेडरेशन आफ सदर बाजार ट्रेडर्स एसोसिएशन के महासचिव राजेंद्र शर्मा ने कहा कि लाकडाउन से व्यापारी गहरे संकट में है। उन्हें राहत व मदद तो दूर सरकार का इस तरह का फैसला उनकी परेशानी और बढ़ाने वाला साबित होगा।

    बाजार बंद तो माल बिकेंगी कहां

    दिल्ली हिंदुस्तानी मर्केंटाइल एसोसिएशन (डीएचएमए) के अध्यक्ष अरुण सिंघानिया व महासचिव मुकेश सचदेवा ने कहा कि सवाल है कि उद्योगों को चलाने की अनुमति तो दी गई है, लेकिन सवाल कि उत्पादन के लिए लघु उद्योग आधारित इकाइयां कच्चा माल कहां से लेंगी। साथ ही तैयार माल कहां बेचेंगी। जब बाजारों को खोलने की अनुमति ही नहीं दी गई है। डीएचएमए के उपाध्यक्ष श्री भगवान बंसल ने कहा कि मुख्यमंत्री कामगार के जीविकोपार्जन की बात कर रहे हैं। लेकिन उद्योग से कहीं अधिक कामगार व्यापार में लगे हुए हैं। उनकी भी चिंता करनी चाहिए।

    चांदनी चौक नागरिक मंच के सचिव प्रवीण शंकर कपूर ने उपराज्यपाल व मुख्यमंत्री से फैसले पर पुनर्विचार की मांग करते हुए कहा कि 31 मई से हफ्ते में तीन दिन थोक व्यापार व तीन दिन खुदरा व्यापार खोलने पर विचार करें।

    दिल्ली की 30 फीसद आबादी को किया नजरअंदाज

    बीयूवीएम दिल्ली के महासचिव राकेश यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री के फैसले से दिल्ली की सभी कारोबारी संस्थाएं नौ लाख व्यापारी हतोत्साहित, परेशान और दुखी है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के तकरीबन 45 लाख लोग प्रत्यक्ष तरीके से व्यापार पर निर्भर हैं। यह आंकड़ा दिल्ली की कुल आबादी का 30 फीसद बैठता है। इतनी बड़ी आबादी जो वोटर है और आर्थिक तंत्र का मुख्य हिस्सा है उसको नजरअंदाज करना किसी भी तरह उचित नहीं है।

    बाजार बंद से देशभर के किसान परेशान

    ट्रैक्टर पाट्र्स मार्केट के सबसे बड़े बाजार मोरी गेट के प्रधान निरजंन पोद्दार ने कहा कि अप्रैल से जून तक देशभर में कटाई व बुआई का मुख्य समय होता है। व्यापारी भी इन्हीं तीन माह बिक्री से अपना सालभर का कारोबार चलाते हैं। अब मोरी गेट मार्केट लाकडाउन की वजह से बंद है तो देशभर के किसानों को ट्रैक्टर पाट्र्स के मामले में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि यहां से पाट्र्स पूरे देश में नहीं जा पा रहे हैं।

     

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