Delhi University: डीयू के जीई पाठ्यक्रमों में क्लस्टर कार्यक्रम के तहत दूसरे कॉलेजों में मातृ भाषाएं पढ़ सकेंगे छात्र
दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में बीए और बीकाम प्रोग्राम में जनरल इलेक्टिव (जीई) पाठ्यक्रम के तहत भारतीय भाषाओं को चुनने वाले छात्र अपने कॉलेज में न होने पर दूसरे कॉलेज में इन्हें पढ़ सकेंगे। डीयू के क्लस्टर कार्यक्रम के तहत उन्हें यह सुविधा दी जा रही है। जीई पाठ्यक्रमों में इंग्लिश के साथ छात्र मातृ भाषा या दूसरी भारतीय भाषा पढ़ने की इच्छा करते थे।

उदय जगताप, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में बीए और बीकाम प्रोग्राम में जनरल इलेक्टिव (जीई) पाठ्यक्रम के तहत भारतीय भाषाओं को चुनने वाले छात्र अपने कॉलेज में न होने पर दूसरे कॉलेज में इन्हें पढ़ सकेंगे। डीयू के क्लस्टर कार्यक्रम के तहत उन्हें यह सुविधा दी जा रही है।
जीई पाठ्यक्रमों में इंग्लिश के साथ छात्र मातृ भाषा या दूसरी भारतीय भाषा पढ़ने की इच्छा करते थे तो कॉलेज में उपलब्ध न होने की वजह से उन्हें दूसरी भाषा पढ़नी पड़ती थी। डीयू 30 नवंबर को प्रस्तावित अकादमिक परिषद की बैठक में यह प्रस्ताव लाने जा रहा है।
कमला नेहरू कॉलेज, गार्गी और हंसराज कॉलेज के कुछ छात्रों ने जीई पाठ्यक्रम में इंग्लिश के साथ तमिल, तेलगू और अन्य भारतीय भाषाएं पढ़ने की इच्छा जताई थी। यह भाषाएं इन कॉलेजों में नहीं पढ़ाई जा रही थीं। 15 नवंबर को एक आदेश के बाद छात्रों को दूसरे कॉलेजों में क्लस्टर कार्यक्रम के तहत इन भाषाओं को पढ़ने की अनुमति दे दी गई।
इसके बाद विश्वविद्यालय ने इसको सभी कॉलेजों में लागू करने का निर्णय लिया है। अब छात्रों को दूसरे कॉलेजों में जाकर इन भाषाओं को पढ़ने का मौका मिलेगा। डीयू की डीन ऑफ एकेडमिक्स प्रो. रत्नाबली ने बताया कि चार सेमेस्टर में जीई पाठ्यक्रम में भाषाएं छात्र पढ़ते हैं।
एबिलिटी इंहेंसमेंट के तहत डीयू में 22 भारतीय भाषाएं पढ़ाई जा रही हैं। संस्कृत, पंजाबी, उर्दू, मणिपुरी, बंगाली आदि सभी भाषाएं पढ़ाई जा रही हैं। जीई पाठ्यक्रम में छात्र इंग्लिश के साथ एक भारतीय भाषा का विकल्प चुनते हैं या वे दो भारतीय भाषाएं भी पढ़ सकते हैं।
हर कॉलेज में सभी भाषाएं नहीं पढ़ाई जाती हैं। इसलिए छात्र नजदीक के कॉलेज में जहां वे जो भाषा पढ़ाई जा रही है, वहां जाकर पढ़ सकते हैं। आधिकारिक रूप से उनको इसकी अनुमति होगी। इंडियन नेशनल टीचर कांग्रेस के चेयरमैन प्रो. पंकज कुमार गर्ग ने कहा, क्लस्टर कार्यक्रम उतना सफल नहीं है।
क्योंकि अगर दूरे के कॉलेज में छात्र को भाषा पढ़ने को मिल रही है तो वहां तक जाने में उसे परेशानी होगी। इसलिए इस योजना को और स्पष्ट किए जाने की जरूरत है। क्योंकि अलग-अलग कॉलेजों में भाषाएं पढ़ाई जाती हैं।
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