एक लाख के नामांकन बांड पर Delhi University करे फिर से विचार... AISA की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट का निर्देश
दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) के नामांकन प्रक्रिया में एक लाख रुपये के बांड जमा करने की शर्त पर पुनर्विचार करने को कहा है। अदालत ने छात्रों से बांड जमा कराने के बजाय शपथ पत्र लेने पर विचार करने का सुझाव दिया है। आइसा की याचिका पर अदालत ने दिल्ली विश्वविद्यालय से रुख स्पष्ट करने को कहा है।
विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) के नामांकन प्रक्रिया में एक लाख रुपये के बांड जमा करने की शर्त पर विचार करने को कहा है।
अदालत ने कहा है कि छात्रों से बांड जमा कराने के बजाय शपथ पत्र लेने पर विचार किया जाए। इस मामले में अदालत ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अपना रुख स्पष्ट करने के लिए भी कहा है।
यह मामला ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) की याचिका पर उठाया गया, जिसमें विश्वविद्यालय के आदेश को चुनौती दी गई है।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह शर्त छात्र-छात्राओं के लोकतांत्रिक अधिकारों पर सीधा हमला है। अदालत से इस शर्त को हटाने का आग्रह किया है ताकि नामांकन प्रक्रिया स्वतंत्र और निष्पक्ष बनी रहे।
दिल्ली विश्वविद्यालय की ओर से पेश हुए वकील ने अदालत को बताया कि वे इस संबंध में दिल्ली विश्वविद्यालय से जवाब लेकर सूचित करेंगे।
इस मामले पर फिलहाल विश्वविद्यालय का रुख स्पष्ट होना बाकी है। अदालत ने मौखिक टिप्पणी के जरिये इस विवादित प्रविधान पर पुनर्विचार करने का संकेत दिया है।
छात्रों के प्रतिनिधियों का कहना है कि बांड जमा कराने जैसी शर्तें छात्रों के राजनीतिक और अध्ययन अधिकारों को बाधित करती है। छात्र संघ चुनावों में भाग लेने के लिए वित्तीय बाधा लगाना गलत और अनुचित है।
छात्र संगठनों ने इस कदम की कड़ी आलोचना की है और विश्वविद्यालय से इसे तुरंत खत्म करने की मांग की है। आर्थिक रूप से कमजोर छात्र चुनाव में भाग नहीं ले सकेंगे, जो अच्छा नहीं है।
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