दिल्ली विश्वविद्यालय ने शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में किए बदलाव, संगठनों ने जताया विरोध
दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमों के मुताबिक ही बदलाव किए गए हैं। डीयू का स्तर और बढ़ाने के लिए प्रक्रिया के नियमों को उच्च स्तरीय बनाने की कोशिश की गई है। डीयू में आम चुनाव से पहले शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया का पहला चरण पूरा किया गया था। इसमें चार हजार से अधिक शिक्षकों की भर्ती की गई।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय ने शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया के नए नियम जारी किए हैं। इसमें कुछ बदलाव किए गए हैं। अब इनको लेकर शिक्षक संगठन विरोध जता रहे हैं। उन्होंने पहली की प्रक्रिया में पूरी शिक्षक भर्ती करने की मांग की है।
नई नियमावली जारी की गई
दूसरी ओर, डीयू प्रशासन का कहना है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमों के मुताबिक ही बदलाव किए गए हैं। डीयू का स्तर और बढ़ाने के लिए प्रक्रिया के नियमों को उच्च स्तरीय बनाने की कोशिश की गई है।
डीयू में आम चुनाव से पहले शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया का पहला चरण पूरा किया गया था। इसमें चार हजार से अधिक शिक्षकों की भर्ती की गई। चुनाव संपन्न होने के बाद प्रक्रिया दोबारा शुरू की जा रही है। इसके लिए नई नियमावली जारी की गई है।
इसमें शिक्षकों को साक्षात्कार के लिए बुलाने के सभी स्नातक, परास्नातक के अंक, पीएचडी और शोध पत्रों के अंक मिलाकर कुल 100 में से 55 प्वाइंट होना अनिवार्य कर दिया गया है। हालांकि, एससी, एसटी और दिव्यांग उमीदवारों को पांच प्रतिशत की राहत दी गई है।
पियर रिव्यू में छपे शोध पत्र पर विचार नहीं किया जाएगा
इसके अलावा एक पद पर 40 और अतिरिक्त पदों पर 20-20 आवेदकों को आमंत्रित करने का नियम लागू कर दिया गया है। जबकि पहले सभी योग्य उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता था। नए नियम के तहत पियर रिव्यू में छपे शोध पत्र पर विचार नहीं किया जाएगा।
पीएचडी के दौरान शोध पत्र स्कोपस और यूजीसी केयर जर्नल में ही प्रकाशित होना चाहिए। साक्षात्कार से पहले असिस्मेंट कमेटी प्रजेंटेशन लेगी और ग्रेड तय करेगी। उसको ध्यान में रखकर चयन समिति उम्मीदवार का चयन करेगी। विश्वविद्यालय की ओर से किए गए बदलावों पर शिक्षक विरोध जता रहे हैं। कार्यकारी परिषद के सदस्य प्रो. सुनील शर्मा ने कहा, पहले चरण में जो नियम लागू किए गए थे।
उन्हीं नियमों से भर्ती प्रक्रिया होनी चाहिए। अलग-अलग प्रक्रिया अपनाने से शिक्षकों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है। डेमोक्रेटिक टीचर फ्रंट की सचिव प्रो. आभा देव हबीब ने एक बयान में कहा, नई प्रक्रिया से चयन समिति के सामने साक्षात्कार के लिए आने वाले उम्मीदवारों की संख्या घट जाएगी।
कई कॉलेजों में नियुक्तियां लंबित हैं और कई तदर्थ शिक्षक विस्थापित हुए हैं, जो वापस भर्ती होने का इंतजार कर रहे हैं। इससे वे प्रक्रिया से बाहर हो सकते हैं। इन नियमों को वापस लिया जाना चाहिए।
आवेदन के लिए 55 प्वाइंट को जरूरी बनाया गया
इंडियन नेश्नल टीचर कांग्रेस के चेयरमैन प्रो. पंकज गर्ग ने कहा, पियर रिव्यू के शोध पत्र को मान्य किया जाना चाहिए। पदोन्नति में भी पियर रिव्यू में छपे शोध पत्र को मान्य किया जाता है।
डीयू के डीन ऑफ कॉलेजेज प्रो. बलराम पाणी ने कहा, आवेदनों की संख्या दो सीटों पर दो हजार से अधिक हो रही थी। इससे समस्या खड़ी हो रही थी। इसको नियंत्रित करने के लिए नए नियम लाए हैं और आवेदन के लिए 55 प्वाइंट को जरूरी बनाया गया है।
एक पद पर 40 उम्मीदवारों को बुलाने का नियम
एक पद पर पहले 40 उम्मीदवारों को बुलाने का नियम यूजीसी का है। पिछली भर्ती प्रक्रिया में यूजीसी से विश्वविद्यालय ने गुजारिश कर इसे बाद में लागू करने की बात कही थी। इसलिए इसे अब लागू किया जा रहा है। रही शोध पत्र की बात को पियर रिव्यू बहुत आम जर्नल है।
डीयू के स्टैंडर्ड को बढ़ाने के लिए स्कोपस और यूजीसी केयर को अनिवार्य किया गया है। क्यूएस रैकिंग में डीयू ने 328वां स्थान हासिल किया है। इसे बनाए रखने के लिए डीयू में भर्ती के नियमों को उच्च स्तरीय बनाया जा रहा है।
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