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    UPSC में 48वीं रैक पाने वाली दृष्टिबाधित आयुषी को डीयू ने किया सम्मानित, कुलपति बोले- छात्राओं के लिए रोल मॉडल

    By Geetarjun GautamEdited By:
    Updated: Wed, 15 Jun 2022 05:37 PM (IST)

    UPSC 2021 48 Rank Ayushi Dabas आयुषी डबास दिल्ली विश्वविद्यालय के एनसीवेब इंस्टिट्यूट की पूर्व छात्रा रही हैं। बुधवार को उन्हें डीयू के कुलपति डीन रजिस्ट्रार और एनसीवेब की डायरेक्टर ने सम्मानित किया। इस दौरान आयुषी ने अपने सफल होने के बारे में बताया।

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    आयुषी डबास को डीयू के कुलपति, डीन, रजिस्ट्रार और एनसीवेब की डायरेक्टर ने किया सम्मानित।

    नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। देश की सबसे बड़ी परीक्षा यूपीएससी का परिणाम जारी हुआ और इस बार ये सुखद संयोग है कि लड़कियों ने न सिर्फ शीर्ष पदों पर काबिज रहीं बल्कि अधिकाधिक संख्या में सफल होकर प्रतिभा का लोहा मनवाया। इस बार का परिणाम दिल्ली विश्वविद्यालय के एनसीवेब इंस्टिट्यूट के लिए भी गौरव का पल लेकर आया है।

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    आईएएस-2021 के अंतिम परिणाम में ओवरऑल 48वीं रैंक लाने वाली एनसीवेब की 2011-14 बैच की छात्रा रहीं आयुषी डबास (दृष्टिबाधित) को दिल्ली विश्वविद्यालय के वाइसचांसलर प्रो. योगेश सिंह, डीन प्रो. बलराम पाणी, रजिस्ट्रार डॉ विकास गुप्ता व एनसीवेब डायरेक्टर प्रो. गीता भट्ट ने सम्मानित किया।

    इस अवसर पर डीयू कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने आयुषी डबास को बधाई व शुभकामना देते हुए कहा कि आपके संघर्ष, साहस व सफलता से हमारी एनसीवेब की छात्राओं को एक प्रेरणा मिलेग, आप हमारी छात्राओं के लिए वास्तविक रोल मॉडल हैं। एनसीवेब चेयरमैन प्रो. पाणी ने आयुषी को सम्मानित करते हुए कहा कि कि आप से ये उम्मीद है कि आप भविष्य में हमारी छात्राओं का मार्गदर्शन करती रहेंगी। वहीं, रजिस्ट्रार डॉ विकास गुप्ता ने भी आयुषी को बधाई दी।

    डायरेक्टर प्रो. गीता भट्ट ने आयुषी की सफलता को एनसीवेब की सफलता बताते हुए कहा कि यह न सिर्प हमारे लिए गौरवशाली क्षण है बल्कि एक बहुत बड़ी प्रेरणा भी है। इस मौके पर आयुषी की मां भी मौजूद रहीं। आपको बता दें कि आयुषी की मां भी एनसीवेब के एसपीएम सेंटर की छात्रा रही हैं और उन्होंने बेटी को सफल बनाने के लिए अपनी नौकरी तक छोड़ दी थी।

    वहीं, आयुषी ने भी पूछताछ में अपनी सफलता के बारे में बताया। आयुषी ने कहा, "मैंने सफलता प्राप्त करने के लिए 4 बार एग्जाम दिया और 3 बार असफल रही, लेकिन मैंने अपने लक्ष्य का पीछा नहीं छोड़ा।" एक सवाल के जवाब में कहा कि पृष्ठभूमि व अभाव आपके किसी भी लक्ष्य में बाधक नहीं हो सकते। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार, अध्यापकों और एनसीवेब को दिया।

    उन्होंने आने युवाओं के लिए सफलता का मूल मंत्र भी दिया। उन्होंने कहा कि अपने सपनों पर अटल विश्वास रखें, जब भी असफल हों तो अपने संकल्प को याद कर दोगुनी ऊर्जा से जुट जाएं। इस अवसर पर एसपीएम की प्राचार्या प्रो साधना व टीआईसी डॉ अमूल्य भी मौजूद रहे।