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    डीयू में तीन साल पहले लागू किया गया था ये कोर्स, अब चौथे साल में आया कक्षा लगाने के लिए जगह नहीं होने का खयाल

    Updated: Thu, 19 Jun 2025 02:31 PM (IST)

    दिल्ली विश्वविद्यालय में इस साल से चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम के चौथे वर्ष की कक्षाएं शुरू होंगी। लगभग 50 हजार छात्रों के लिए कक्षाओं की व्यवस्था करन ...और पढ़ें

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    पोर्टा केबिन में कक्षाएं लगाने पर चल रहा है विचार।

    उदय जगताप, नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम (एफवाईयूपी) के तहत चौथे वर्ष की कक्षाएं इस वर्ष से शुरू होने जा रही हैं।

    हालांकि बड़ी संख्या में काॅलेजों के पास कक्षाओं की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। अब जबकि इस वर्ष करीब 50 हजार छात्र चौथे वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, काॅलेजों को अचानक कक्षाओं की कमी का अहसास हुआ है।

    कुछ काॅलेज अपने यहां पोर्टा केबिन तैयार कर रहे हैं, तो कुछ काॅलेज अपना समय एक घंटा बढ़ाने पर भी विचार कर रहे हैं।

    10 कॉलेजों ने पोर्टा केबिन बनाने की स्वीकृति दी

    अभी तक तीन वर्ष के इस कार्यक्रम के तहत काॅलेजों में केवल छह सेमेस्टर की पढ़ाई होती थी, लेकिन अब सातवें और आठवें सेमेस्टर के लिए भी छात्रों को बैठाने की चुनौती सामने खड़ी हो गई है।

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    कई काॅलेजों ने पोर्टा केबिन लगाने, खाली पड़े कमरों को कक्षाओं में बदलने और शिक्षण समय को एक घंटा बढ़ाने जैसे विकल्पों पर विचार शुरू कर दिया है।

    राजधानी काॅलेज ने हाल में एक बैठक आयोजित कर 10 पोर्टा केबिन बनाने को स्वीकृति दी है। इसे भी छात्र विकास निधि से तैयार किया जा रहा है।

    50 से 60 प्रतिशत छात्र चौथे वर्ष में आना चाहते हैँ

    काॅलेज के प्राचार्य प्रो. दर्शन पांडेय ने कहा कि कक्षाओं की कमी है। इसलिए पोर्टा केबिन बनाए जा रहे हैं। नई इमारत बनाने पर भविष्य में विचार कर रहे हैं।

    लेकिन, फिलहाल छात्रों को बैठाने के लिए व्यवस्था की जा रही है। कक्षाओं की कमी की वजह से हम सेक और वेक के विकल्प भी कम करेंगे। एक साथ बच्चों को कक्षाओं में नहीं बैठाया जा सकता।

    काॅलेज में हमने छात्रों से चर्चा की थी और 50 से 60 प्रतिशत छात्रों ने चौथे वर्ष में जाने की इच्छा जाहिर की है। ऐसे में 500 छात्र अतिरिक्त होंगे और उनके लिए इंतजाम करने ही होंगे।

    जरूरत पड़ी तो पुरानी कक्षाओं में लगाएं क्लास

    शिवाजी काॅलेज के प्राचार्य प्रो. वीरेंद्र भारद्वाज ने कहा, उनके यहां नया ब्लाक 2023 में ही बना है। ऐसे में इंफास्ट्रक्चर की परेशानी नहीं है।

    अगर जरूरत पड़ेगी तो पुरानी कक्षाएं जो खाली हुई हैं, उनमें कक्षाएं लगाएंगे। पोर्टा केबिन बनाने पर विचार नहीं किया है, जरूरत पड़ेगी तो इस दिशा में सोचेंगे।

    ब्रेक समाप्त करने पर भी चल रहा विचार

    किरोड़ीमल काॅलेज के प्राचार्य प्रो. दिनेश खट्टर ने कहा, कक्षाएं पर्याप्त हैं। लेकिन, हम काॅलेज का समय बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं। बीच में ब्रेक समाप्त करने पर भी विचार किया जा रहा है।

    कक्षाएं सुबह 8.30 से शाम 5.30 बजे तक बिना ब्रेक के लगाई जाएंगी। रामजस काॅलेज के प्राचार्य प्रो. अजय अरोड़ा ने कहा, इंफास्ट्रक्चर की समस्या नहीं है।

    लेकिन, प्रयोगशालाओं का उपयोग बढ़ जाएगा। इससे कॉलेज की टाइमिंग जरूर बढ़ेगी। शिक्षकों पर वर्कलोड बढ़ेगा। उसके लिए अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी।

    एनआईआरफ रैंकिंग में देश में अव्वल आए हिंदू काॅलेज की प्राचार्य प्रो. अंजू श्रीवास्तव ने बताया कि हेफा से लोन लिया गया है। ब्वॉयज हाॅस्टल बन रहा है।

    सुबह आठ से रात आठ बजे तक खोलेंगे कॉलेज

    एकेडमिक ब्लाक व रिसर्च सेंटर का उपयोग कक्षाओं के लिए करेंगे। इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने की अभी जरूरत नहीं है। लेकिन, भविष्य के लिए योजना बनाई जा रही है।

    जल्द कालेज में बैठक कर टाइम टेबल पर भी चर्चा की जाएगी। शहीद भगत सिंह काॅलेज के प्राचार्य प्रो. अरुण अत्री ने कहा, हमारे यहां मार्निंग और ईवनिंग काॅलेज हैं।

    ऐसे में 35 अतिरिक्त कक्षों की आवश्यकता है। इसे बनाने का काम किया जा रहा है। उसमें वक्त लगेगा, लेकिन तब तक काॅलेजों को सुबह आठ से रात आठ बजे तक खोला जाएगा।

    न तो ढांचा तैयार, न फैकल्टी पूरी

    चौथे वर्ष में पढ़ाए जाने वाले रिसर्च प्रोजेक्ट्स और स्पेशलाइज्ड कोर्सेस के लिए आवश्यक फैकल्टी और प्रयोगशालाओं की भी भारी कमी है।

    विश्वविद्यालय ने जब एफवाईयूपी लागू किया था, तब इन पहलुओं पर पर्याप्त योजना नहीं बनाई गई थी। कालेजों को न तो अतिरिक्त फंड मिला और ईब्ल्यूएस के तहत शिक्षकों के पद स्वीकृत नहीं किए गए हैं।

    सीटों के अतिरिक्त आवंटन पर भी मंथन

    डीयू ने पिछले साल सीटें भरने के लिए कालेजों को पांच से लेकर 40 प्रतिशत तक अतिरिक्त सीटों का आवंटन किया था। लेकिन, अभी इस पर फैसला नहीं हुआ है।

    डीयू कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने मंगलवार को प्रेसवार्ता में कहा है कि कालेजों से चर्चा की जा रही है। जिन कालेजों में सीटें खाली रहती हैं, वहां अतिरिक्त सीटों का आवंटन किया जाएगा।

    उन्होंने कहा है कि परीक्षाओं के बाद मालूम होगा कि कितने छात्र चौथे वर्ष में जा रहे हैं और उनके लिए प्रबंध किए जा रहे हैं।