Delhi University: चौथे वर्ष में भी एक कक्षा में पढ़ेंगे 60 छात्र, डीयू ने तय की कक्षाओं की अधिकतम सीमा
दिल्ली विश्वविद्यालय ने यूजी और पीजी कक्षाओं में छात्रों की अधिकतम संख्या तय कर दी है। यूजी में लेक्चर के लिए 60 और पीजी में 50 छात्र होंगे। ट्यूटोरियल और प्रैक्टिकल के लिए भी संख्या निर्धारित की गई है। जीई एसईसी और वीएसी के लिए भी विशेष प्रावधान किए गए हैं। कक्षाओं को शुरू करने के लिए न्यूनतम 20 छात्रों का होना अनिवार्य है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय में अंडरग्रेजुएट करिकुलम फ्रेमवर्क (यूजीसीएफ) के तहत चौथे वर्ष की पढ़ाई इस वर्ष से शुरू होने जा रही है। एक अगस्त्र से नवीन छात्रों का सत्र भी शुरू हो जाएगा। इससे पहले डीयू की ओर से कक्षाओं का आकार (क्लास रूम साइज) तय करने के लिए अधिसूचना जारी कर दी गई है। पिछले वर्ष की तरह इसे यथावत रखा गया है।
जारी अधिसचूना के मुताबिक स्नातक (यूजी) और स्नातकोत्तर (पीजी) स्तर पर लेक्चर, ट्यूटोरियल व प्रैक्टिकल्स के लिए छात्रों की अधिकतम संख्या तय कर दी गई है, जिससे शिक्षण-प्रशिक्षण की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके।
नई व्यवस्था के अनुसार यूजी में लेक्चर में अधिकतम 60 छात्र कक्षा में बैठेंगे। ट्यूटोरियल में 20 छात्र भाग ले पाएंगे। प्रैक्टिकल की कक्षाओं में 20 छात्र शामिल होंगे। इसी तरह पीजी में लेक्चर में 50, ट्यूटोरियल में 20 छात्र और प्रैक्टिकल की कक्षा में 15 से 20 छात्र शामिल होंगे।
ऐसे ही जेनरिक इलेक्टिव (जीई), स्किल एन्हांसमेंट कोर्स (एसईसी) और वैल्यू ऐडेड कोर्स (वीएसी) के लिए भी विशेष प्रावधान किए गए हैं, जिसके तहत लेक्चर व ट्यूटोरियल्स के लिए न्यूनतम और अधिकतम छात्रों की संख्या को स्पष्ट किया गया है।
स्नातक में जीई की कक्षाओं में लेक्चर में 20 से 60, ट्यूटोरियल में 20 और प्रैक्टिकल में 20 छात्र होंगे। एसईसी और वीएसी में लेक्चर में यही संख्या रहेगी। पीजी में लेक्चर में 50, ट्यूटोरियल में 20 और प्रैक्टिकल में 15 से 20 छात्र शामिल होंगे।
अधिसूचना के अनुसार स्नातक पाठ्यक्रमों में किसी भी कोर्स को आरंभ करने के लिए न्यूनतम 20 छात्रों का होना अनिवार्य किया गया है। आवश्यकता पड़ने पर कॉलेज को क्लस्टर आधारित शिक्षण अपनाने को कहा गया है।
मेंटर-मेंटी योजना का आकार यूजीसी के प्रविधानों के अनुसार कालेज तय कर सकते हैं। एसईसी और वीएसी के प्रैक्टिकल कक्षाएं कक्षा के आकार के अनुसार ही होंगी। यह आदेश स्वीकृत प्रवेश संख्या आधार पर है, इसमें सुपरन्यूमरेरी सीटें शामिल नहीं होंगी।
प्रयोगशालाओं का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करते के लिए प्रैक्टिकल कक्षाएं आयोजित की जाएं। उधर, नई अधिसूचना पर कुछ शिक्षकों ने प्रतिक्रिया दी है। अकादमिक परिषद की सदस्य डा. लतिका गुप्ता ने कहा, ट्यूटोरियल के आकार को कम करने की मांग पुरानी है। इसका सर्वाधिक असर पढ़ाई पर पढ़ता है। लेकिन, इसे स्वीकार नहीं किया गया है। इसमें परिवर्तन किया जाना चाहिए था।
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