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दिल्ली में शिक्षकों को खुद कॉपी लिखकर छात्रों को करना पड़ा रहा है पास, टीचर बोले- बच्चों ने छोड़ी खाली कॉपी

Delhi राजधानी के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले नौवीं और 11वीं के छात्रों की मुख्य परीक्षाएं खत्म हो चुकी हैं। 31 मार्च को इन छात्रों का परिणाम भी जारी हो चुका है। सूत्रों के मुताबिक इस बार बड़ी संख्या में छात्र फेल हुए हैं जिससे शिक्षा विभाग में हलचल है।

By Ritika MishraEdited By: Nitin YadavSun, 02 Apr 2023 09:38 AM (IST)
दिल्ली में शिक्षकों को खुद कॉपी लिखकर छात्रों को करना पड़ा रहा है पास, टीचर बोले- बच्चों ने छोड़ी खाली कॉपी
दिल्ली में शिक्षकों को खुद कॉपी लिखकर करना पड़ा रहा है पास।

नई दिल्ली, रीतिका मिश्रा। राजधानी के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले नौवीं और 11वीं के छात्रों की मुख्य परीक्षाएं खत्म हो चुकी हैं। 31 मार्च को इन छात्रों का परिणाम भी जारी हो चुका है। सूत्रों के मुताबिक, इस बार बड़ी संख्या में छात्र फेल हुए हैं, जिससे शिक्षा विभाग में हलचल है। शिक्षा निदेशालय ने इन स्कूलों को छह अप्रैल तक शिक्षा निदेशालय की वेबसाइट पर छात्रों के अंकों में सुधार करने का समय दिया है।

बाहरी दिल्ली के एक सरकारी स्कूल के शिक्षक ने बताया कि स्कूलों का नौवीं और 11वीं का परिणाम बहुत खराब आया है। हालत ये हैं कि 96 प्रतिशत से अधिक छात्र फेल हुए हैं। 60 बच्चों की कक्षा में केवल चार से पांच बच्चे ही पास हैं। फेल छात्रों की इतनी बड़ी संख्या देखकर प्रधानाचार्य भी चकित हैं। अब शिक्षा निदेशालय की ओर से परिणाम जारी हो जाने के बाद छात्रों के अंकों में सुधार करने का समय दिया गया है।

शिक्षकों का आरोप है कि प्रधानाचार्य अपने स्कूल के नौवीं और 11वीं के खराब परिणाम के चलते शिक्षा विभाग की नजर में न आएं और इन पर कोई खराब परिणाम आने का सवाल न उठाएं, इसके लिए शिक्षकों पर छात्रों की कापियों में सही उत्तर लिखकर दोबारा कापी जांच कर उनको पास करने का दबाव बनाया जा रहा हैं।

उत्तर लिखकर देने पड़ रहे अंक

नई दिल्ली स्थित एक सरकारी स्कूल के शिक्षक ने बताया कि उनकी कक्षा में अंग्रेजी विषय में अधिकतर छात्र आठ से दस अंकों से फेल हैं। कई छात्रों ने उत्तरपुस्तिका के पन्नों को खाली छोड़ रखा है। कई छात्रों ने उत्तर ही गलत लिखे हैं। छात्रों को 80 अंकों की परीक्षा में 12 से 15 अंक आएं हैं। अब शिक्षा निदेशालय ने जब छात्रों के अंकों में सुधार करने का समय दे दिया तो प्रधानाचार्य उन पर ज्यादा से ज्यादा छात्रों को पास करने का दबाव बना रहे हैं।

उन्होंने कहा कि अब वो फेल बच्चों को पास करेंगे और शिक्षा निदेशालय की वेबसाइट पर नए उनके परिणाम को दोबारा अपडेट करेंगे। पूर्वी दिल्ली स्थित एक सरकारी स्कूल के शिक्षक ने बताया कि उन्होंने जब अपने विषय के नौवीं के छात्रों की कापी जांची तो केवल पांच बच्चे ही पास थे। 80 अंकों की परीक्षा में छात्रों के चार, छह, दस अंक से ऊपर नहीं आ रहे हैं। कापियों को छात्रों ने खाली छोड़ रखा है। उनके मुताबिक बच्चे पास होने के लिए 33 प्रतिशत तक अंक नहीं ला सके हैं। इस मामले पर शिक्षा निदेशक हिमांशु गुप्ता से जवाब मांगा गया, लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया।

फेल होने का सबसे बड़ा कारण स्कूलों में हाजिरी न लगाना

इन शिक्षकों से जब इतनी संख्या में फेल हुए छात्रों का कारण पूछा तो शिक्षकों ने बताया कि छात्र स्कूल ही नहीं आते हैं। उनकी हाजिरी बहुत कम है। साथ ही बीते वर्ष तक आठवीं कक्षा तक नो डिटेंशन पालिसी थी। ऐसे में छात्र को फेल नहीं कर सकते थे, जिसका परिणाम ये हुआ कि कमजोर छात्र भी पास होकर नौवीं में आ गए और अब यही छात्र फेल हो रहे हैं। इससे स्कूलों की परेशानी बढ़ गई है।