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    चौंकाने वाले हैं राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े, 53 शहरों में सबसे ज्यादा आत्महत्याएं दिल्ली में

    Updated: Tue, 30 Sep 2025 11:26 PM (IST)

    राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार दिल्ली में आत्महत्या की दर देश के प्रमुख शहरों में सबसे अधिक है। पारिवारिक समस्याएँ बेरोजगारी और बीमारियां आत्महत्या के मुख्य कारण हैं। मरने वालों में पुरुष और महिलाएं दोनों शामिल हैं जिनमें विवाहित और अविवाहित लोग भी हैं। अधिकतर लोग कम आय वाले और 12वीं कक्षा तक शिक्षित थे।

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    53 प्रमुख शहरों में से दिल्ली में हुई सबसे अधिक आत्महत्या की घटनाएं।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली को लेकर राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की ओर से जारी ताजा आंकड़े चौंकाने वाले हैं । आंकड़ों के अनुसार आत्महत्याओं के मामले में दिल्ली का आगे होना दुखद है। 

    आत्महत्या की घटनाओं में दिल्ली कई बड़े शहरों की तुलना में आगे है। 2023 के राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों को देखें तो देश के 53 प्रमुख शहरों में से दिल्ली में सबसे अधिक आत्महत्या की घटनाएं हुई।

    दिल्ली में 3131 आत्महत्याएं सामने आई हैं। दिल्ली में दर्ज यह आंकड़ा इन शहरों में दर्ज कुल आत्महत्या के आंकड़ों का 12 प्रतिशत है।

    इसके बाद बेंगलुरु का स्थान है, जहां 2370 आत्महत्या की घटनाएं और मुंबई में 1415 आत्महत्या की घटनाएं दर्ज की गईं।

    दिल्ली में आत्महत्या करने वालों में 2295 पुरुष और 836 महिलाएं थीं। आत्महत्या का प्रमुख कारण पारिवारिक समस्याएं थीं।

    254 बीमारियों से संबंधित आत्महत्याओं में से 69 मानसिक बीमारी, 31 लकवाग्रस्त होने, 29 कैंसर, छह एड्स या यौन संचारित रोगों के कारण और 119 अन्य लंबी बीमारियों के कारण हुईं।

    आत्महत्याओं का एक प्रमुख कारण बेरोजगारी भी थी, जिसके कारण 241 मौतें हुईं। आंकड़ों के मुताबिक विवाह संबंधी समस्याओं के कारण 195 लोगों ने आत्महत्या की, जिनमें से अधिकांश विवाह न हो पाने के कारण की।

    विवाह न के कारण 60 लोगों की आत्महत्या की। पेशेवर प्रोफाइल पर नजर डालने से पता चलता है कि आत्महत्या कर मरने वालों में सबसे ज्यादा संख्या बेरोजगार (765) लोगों की थी। इसके बाद 488 स्व-रोज़गार वाले और 402 पेशेवर या वेतनभोगी लोग थे।

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    2023 में 388 छात्रों और 369 गृहिणियों ने भी आत्महत्या की। आत्महत्या से मरने वालों में से 1744 विवाहित थे, जबकि 858 अविवाहित थे।

    यह भी दर्ज किया गया कि आत्महत्या से मरने वाले 1590 लोगों की वार्षिक आय एक लाख रुपये से कम थी। सबसे ज्यादा पीड़ित 12वीं कक्षा तक शिक्षित (752) थे।

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