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    Delhi Stampede : रेलवे की सारी व्यवस्था दिखावटी...समय पर नहीं लिया गया ये फैसला, इन अधिकारियों पर गिरी गाज

    By Jagran News Edited By: Rajesh Kumar
    Updated: Mon, 17 Feb 2025 06:08 PM (IST)

    भीड़ को लेकर न दिल्ली मंडल के रेल प्रबंधक (डीआरएम) सुखविंदर सिंह ने गंभीरता दिखाई और न नई दिल्ली के रेलवे निदेशक महेश यादव ने। वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आय़ुक्त ने भी भीड़ प्रबंधन के लिए कोई कदम नहीं उठाया। इन अधिकारियों की लापरवाही से स्टेशन पर अव्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो गई। स्टेशन पर अव्यवस्था की इस स्थिति से यात्रियों को अपनी सुरक्षा की चिंता सता रही है।

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    प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि बिना टिकट लिए बड़ी संख्या में यात्री प्लेटफार्म पर पहुंच गए थे।

    संवाददाता जागरण, नई दिल्ली। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार को भगदड़ में 18 यात्रियों की मौत से रेलवे प्रशासन की कार्य प्रणाली पर प्रश्न खड़े होने लगे हैं। अधिकारियों की लापरवाही से लोगों की जान चली गई। भीड़ बढ़ती गई लेकिन उसे नियंत्रित करने या प्लेटफार्म पर उन्हें आने से रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया।

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    यात्रियों को अपनी सुरक्षा की चिंता

    नई दिल्ली जैसे महत्वपूर्ण स्टेशन पर अव्यवस्था की इस स्थिति से यात्रियों को अपनी सुरक्षा की चिंता सता रही है। प्रयागराज जाने वालों की भीड़ पिछले कई दिनों से लग रही है। कई विशेष ट्रेन भी चलाई जा रही हैं। सप्ताहांत पर भीड़ बढ़ने की संभावना भी थी, लेकिन इसे संभालने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई।

    डीआरएम ने नहीं दिखाई गंभीरता

    इसे लेकर न दिल्ली मंडल के रेल प्रबंधक (डीआरएम) सुखविंदर सिंह ने गंभीरता दिखाई और न नई दिल्ली के रेलवे निदेशक महेश यादव ने। वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आय़ुक्त ने भी भीड़ प्रबंधन के लिए कोई कदम नहीं उठाया। इन अधिकारियों की लापरवाही से स्टेशन पर अव्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो गई।

    प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि बिना टिकट लिए बड़ी संख्या में यात्री प्लेटफार्म पर पहुंच गए थे। उन्हें रोकने वाला कोई नहीं था। यह दावा किया जाता है कि नई दिल्ली सहित अन्य प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर बिना टिकट किसी भी यात्री को प्रवेश नहीं दिया जाता है। रेलवे प्रशासन के इस दावे से बिल्कुल उलट स्थिति थी।

    प्रति घंटा 15 सौ जनरल टिकट की बिक्री

    बेटिकट यात्री न सिर्फ प्लेटफार्म तक पहुंच गए बल्कि वह मगध, शिव गंगा व अन्य ट्रेनों के आरक्षित कोच में भी चढ़ गए। जनरल टिकट व प्रतीक्षा सूची वाले यात्री भी आरक्षित कोच में कब्जा कर लिए जिससे वैध टिकट वाले यात्री प्लेटफार्म पर रह गए। प्रयागराज के लिए प्रति घंटा 15 सौ जनरल टिकट की बिक्री की जा रही थी।

    लगभग नौ हजार जनरल टिकट की बिक्री

    बताया जा रहा है कि लगभग नौ हजार जनरल टिकट प्रयागराज जाने वाले यात्रियों ने खरीदी। नियमित ट्रेनों में इतने यात्रियों के लिए जनरल कोच नहीं हैं। इसके बावजूद समय रहते न तो पर्याप्त संख्या में विशेष ट्रेन की घोषणा की गई और न इन यात्रियों को ट्रेन आने से पहले प्लेटफार्म पर जाने से रोकने के लिए कोई होल्डिंग एरिया बनाया गया।

    रेल प्रसासन ने यहां की भूल!

    उल्लेखनीय है कि 18 यात्रियों की जान जाने के बाद प्रयागराज के लिए तीन विशेष ट्रेनें चलाई गईं। यदि यह निर्णय पहले ले लिया जाता तो शायद लोगों की जान नहीं जाती।

    लोगों का कहना है कि शाम चार बजे से ही स्टेशन पर भीड़ बढ़ने लगी थी। उसके बाद भी न तो स्टेशन निदेशक और न ही वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्त ने इसे लेकर कोई निर्णय लिया और न ही डीआरएम ने कोई आदेश जारी किया।

    रेलवे की सारी व्यवस्था दिखावटी

    दावा किया जाता है कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की सुरक्षा के लिए इंटीग्रेटेड सीसीटीवी मानिटरिंग सिस्टम की व्यवस्था है। डीआरएम कार्यालय से स्क्रीन पर स्टेशन पर भीड़ व व्यवस्था पर नजर रखी जाती है।

    यह व्यवस्था दिखावटी साबित हुई। स्टेशन पर सुरक्षाकर्मियों की कमी के साथ ही आपात स्थिति से निपटने के लिए भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी। इससे भगदड़ में गंभीर घायल लोगों को अस्पताल पहुंचाने में परेशानी हुई।

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