दिल्ली में कैसे पूरी होगी बिजली की बढ़ती मांग? आसान नहीं सौर ऊर्जा की राह, प्रदूषण भी बड़ी बाधा
दिल्ली में बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा एक बेहतर विकल्प है पर वायु प्रदूषण और जागरूकता की कमी के कारण इसे बढ़ावा देना आसान नहीं है। दिल्ली सरकार ने 2025 तक दो हजार मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा था जो पूरा नहीं हो सका। अब सरकार ने पीएम सूर्य घर योजना के तहत सब्सिडी देने का फैसला किया है।

संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली। दिल्ली में बढ़ रही बिजली की मांग को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा सबसे बेहतर विकल्प है। इसे ध्यान में रखकर सौर ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा रहा है, लेकिन यह आसान नहीं है। एक तो सोलर पैनल लगाने की गति धीमी है।
जागरूकता की कमी व छोटे घर लक्ष्य प्राप्त करने में बाधक
जागरूकता की कमी और छोटे मकान के कारण लोग सोलर पैनल लगवाने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। वहीं, वायु प्रदूषण से इसकी बिजली उत्पादन क्षमता भी प्रभावित होती है। इस तरह से प्रदूषण की समस्या दिल्लीवासियों को स्वच्छ ऊर्जा प्राप्त करने में भी बाधक है।
वर्ष 2016 में दिल्ली सरकार की सौर ऊर्जा नीति के अंतर्गत वर्ष 2025 तक दो हजार मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा था। यह पूरा नहीं हुआ। पिछले 10 वर्षों में करीब 300 मेगावाट क्षमता के सोलर पैनल ही लगे हैं।
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इस कारण मार्च, 2024 में घोषित नई सौर ऊर्जा नीति में इसे कम कर वर्ष 2027 तक 750 मेगावाट क्षमता के सोलर पैनल लगाने का लक्ष्य रखा गया है। इसे बढ़ावा देने के लिए दिल्ली की रेखा गुप्ता सरकार ने पीएम सूर्य घर: मुफ्त बिजली-राज्य टापअप योजना लागू करने की घोषणा की है।
इसके अंतर्गत तीन किलोवाट तक के सोलर पैनल लगाने पर केंद्र सरकार से मिलने वाली 78 हजार रुपये के साथ ही राज्य सरकार द्वारा 30 हजार की अतिरिक्त सब्सिडी दी जाएगी।
अगले तीन वर्षों में 2.3 लाख घरों की छतों पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने का लक्ष्य है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह लक्ष्य पाना आसान नहीं है। सेंटर फार साइंस एंड एनवायरमेंट के बिनीत दास का कहना है कि इस लक्ष्य के लिए निर्धारित 50 करोड़ का बजट पर्याप्त नहीं है। बड़ी संख्या में सोलर पैनल लगाने के लिए कुशल श्रमिकों की व्यवस्था भी चुनौती होगी।
वायु प्रदूषण से सोलर पैनल की क्षमता होती है प्रभावित
पूर्वी दिल्ली आरडब्ल्यूए ज्वाइंट फ्रंट के अध्यक्ष वीएस वोहरा और नार्थ दिल्ली रेजिडेंट वेलफेयर फेडरेशन के अध्यक्ष अशोक भसीन का कहना है कि अधिकांश लोगों के पास छोटे मकान हैं। छत पर पर्याप्त स्थान नहीं है। उन्हें सोलर पैनल लगाने से छत खोने की चिंता है, इसलिए सरकार को इसकी भरपाई की भी व्यवस्था करनी चाहिए। जागरूकता का अभाव भी बड़ी बाधा है।
सरकार व बिजली वितरण कंपनियों को जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है। सब्सिडी की राशि भी अविलंब मिलनी चाहिए। दिल्ली में वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या भी सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन में बाधा है। कुछ माह पहले एनवायरमेंटल रिसर्च लेटर में प्रकाशित आइआइटी दिल्ली के शोधकर्ताओं के अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से सोलर पैनल की क्षमता प्रभावित होती है।
सौर विकिरण, सोलर सेल दक्षता पर सबसे अधिक प्रभाव डालता है। प्रदूषण के कारण सौर विकिरण सही तरह से सोलर पैनल पर नहीं पहुंचते हैं। इससे बिजली का उत्पादन कम हो जाता है। दिल्ली में लगभग पूरे वर्ष प्रदूषण की समस्या है। सर्दी के दिनों में यह अधिक गंभीर हो जाती है।

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