स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती मामले में नया खुलासा, FIR के बाद भी बैंकों से निकाले लाखों रुपये
दिल्ली के एक निजी मैनेजमेंट संस्थान में 17 लड़कियों के यौन उत्पीड़न के आरोपी स्वघोषित संत स्वामी चैतन्यनंद सरस्वती फरार हैं। एफआईआर दर्ज होने के बाद उन्होंने दो अलग-अलग नामों से बैंक खाते संचालित कर लाखों रुपये निकाल लिए। अदालत ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। पीड़ितों के अनुसार चैतन्यनंद छात्राओं को डराता था और उनके मोबाइल फोन जब्त कर लेता था।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली के एक निजी मैनेजमेंट संस्थान में 17 लड़कियों के यौन उत्पीड़न के आरोपी स्वघोषित संत स्वामी चैतन्यनंद सरस्वती (62) फरार हैं। जांच में खुलासा हुआ कि एफआईआर दर्ज होने के बाद उन्होंने दो अलग-अलग नामों से बैंक खाते संचालित कर 50-55 लाख रुपये निकाल लिए। पुलिस के अनुसार, खाता खोलते समय उन्होंने फर्जी दस्तावेज जमा किए थे।
डेबिट और क्रेडिट कार्ड ब्लॉक
पुलिस ने चैतन्यानंद सरस्वती के 18 बैंक खातों और 28 सावधि जमाओं में जमा ₹8 करोड़ ज़ब्त कर लिए हैं। पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह धनराशि चैतन्यानंद के ट्रस्ट से जुड़ी है। उन पर श्री शारदा पीठम, श्रृंगेरी की संपत्ति से संबंधित धोखाधड़ी, जालसाजी और करोड़ों रुपये के गबन के गंभीर आरोप हैं। संस्थान ने भी उनके खिलाफ मामला दर्ज कराया है। पुलिस ने उनके सभी डेबिट और क्रेडिट कार्ड भी ब्लॉक कर दिए हैं। जाँच से पता चला है कि उनके यस बैंक खाते से ₹50-55 लाख निकाले गए हैं।
चैतन्यानंद के दो पासपोर्ट मिले
पुलिस ने संस्थान में चैतन्यानंद के कार्यालय और आवास की तलाशी के दौरान दो पासपोर्ट और पैन कार्ड बरामद किए। आरोपी ने एक पासपोर्ट पार्थसारथी और दूसरा चैतन्यानंद सरस्वती के नाम से बनवाया था। दोनों पासपोर्ट में पिता और जन्म स्थान का विवरण अलग-अलग है। पुलिस मामले की जाँच कर रही है।
आठ रेखाचित्र तैयार
पुलिस चैतन्यानंद सरस्वती द्वारा अपना रूप बदलने की संभावना से इनकार नहीं कर रही है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, गिरफ्तारी से बचने के लिए वह अपना भेष बदल सकता है। इस संदर्भ में, पुलिस ने आठ अलग-अलग रेखाचित्र तैयार किए हैं, जिन्हें बिहार, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, ओडिशा और राजस्थान की पुलिस को भेजा गया है, ताकि अगर आरोपी भेष बदलकर वहाँ पहुँचे, तो पुलिस उसकी पहचान कर सके।
छात्रवृत्ति परीक्षा देने वाले छात्रों पर नजर
अब तक की पुलिस जांच में पता चला है कि चैतन्यानंद के आदेश पर, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के ज़्यादातर छात्रों को छात्रवृत्ति परीक्षाओं में पास किया गया। छात्रों को बताया गया था कि चैतन्यानंद ने उनकी छात्रवृत्ति दिलाने में अहम भूमिका निभाई है, ताकि वे उनके प्रभाव में आ सकें और आरोपी प्रवेश के बाद उनका शोषण कर सके।
पुलिस को दिए गए बयान में, एक छात्रा ने बताया कि उसे छात्रवृत्ति नहीं मिल पाई थी, लेकिन उसके दस्तावेज़ों की जाँच के बाद उसे छात्रवृत्ति दे दी गई। फिर उस पर चैतन्यानंद की माँगें मानने का दबाव डाला गया। जब उसने विरोध किया, तो उसे प्रवेश रद्द करने और उसके दस्तावेज़ वापस न करने की धमकी दी गई।
एआईसीटीई ने भी जारी की थी चेतावनी
अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने संस्थान के नाम में "भारतीय" शब्द के प्रयोग और दुरुपयोग के संबंध में चेतावनी जारी की थी। इसके बावजूद, संस्थान ने "भारतीय" शब्द नहीं हटाया। एआईसीटीई द्वारा जारी चेतावनी पत्र में इसे प्रतीक एवं नाम (अनुचित प्रयोग निवारण) अधिनियम के नियम 3 का उल्लंघन माना गया है।
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