दिल्ली की बेसहारा सखी सेंटर खुद सहारे की मोहताज, CCTV कैमरे पर नहीं होती रिकार्डिंग; और भी हैं समस्याएं
दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा के लिए बने सखी वन स्टॉप सेंटर खुद ही बेहाल हैं। तिहाड़ और तीस हजारी कोर्ट परिसरों में बने सेंटर दयनीय स्थिति में हैं जहां पीड़ित महिलाएं सुरक्षित महसूस नहीं करतीं। एलएनजेपी अस्पताल का सेंटर एक अच्छा उदाहरण है लेकिन बाकी सेंटरों में सुविधाओं और स्टाफ की कमी है। प्रशासन का कहना है कि सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं।

शशि ठाकुर, नई दिल्ली। महिलाओं को राहत, सुरक्षा और न्याय एक ही छत के नीचे देने के उद्देश्य से शुरू हुई ‘सखी वन स्टाप सेंटर’ योजना आज खुद सवालों के घेरे में है।
तिहाड़ और तीस हजारी कोर्ट परिसर में बना सखी वन स्टाप सेंटर्स की हालत बहुत दयनीय है। यहां मदद के लिए आने वाली पीड़ित महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करतीं। वहीं, एलएनजेपी अस्पताल में बना वन स्टाप सेंटर अन्य सेंटरों के लिए एक उदाहरण है।
सहारा कहां, जब सिस्टम ही किराए पर
दिल्ली के तिहाड़ परिसर में बना सेंटर चार कमरों में सिमटा है। यहां पुरानी बिल्डिंग में बना प्रतीक्षालय कमरा बरसात में पानी से लबालब भर जाता है। आस-पास जंगल होने के कारण सांप-बिच्छू जैसी परेशानियां यहां आम हैं।
यहां बैठने के लिए लगाई गई कुर्सियां तक जर्जर हैं। इस सेंटर में काम करने वाले कर्मचारियों को पिछले दो माह से वेतन का इंतजार है। इस सेंटर की स्थिति इतनी दयनीय है कि जरूरी दस्तावेजों के फाइल खुले टेबल पर पड़े रहते हैं।
दूसरा यहां एक भी महिला कांउसलर मौजूद नहीं है। ऐसे में यहां काम करने वाली महिला कर्मचारी ही पीड़ित महिलाओं की काउंसलिंग करती हैं।
सीसीटीवी बने दीवारों की शोभा
यहां लगे सीसीटीवी कैमरे सिर्फ दीवारों की सजावट बनकर रह गए हैं। क्योंकि रिकार्डिंग ही नहीं होती। इस सेंटर में लगा एक कूलर और पानी ठंडा करने की मशीन भी किराए पर लेकर कर्मचारी चला रहे हैं।
वन स्टॉप सेंटर के नियमों के मुताबिक प्रत्येक सेंटर में आवासीय भवन का होना अनिवार्य है। लेकिन, यहां यह सुविधा भी उपलब्ध नहीं है। इस सेंटर में साफ-सफाई के लिए तीन एमटीएस कर्मचारियों की जरूरत है। जो पिछले एक साल से नदारद है।
वहीं, तीस हजारी कोर्ट परिसर में बना वन स्टॉप सेंटर और कामकाज के बारे में यहां के वकील तक अनजान है। यहां वन स्टॉप सेंटर की जानकारी देने के लिए दिशा-निर्देश बोर्ड भी नहीं लगाए गए हैं।
इस सेंटर का हेल्पलाइन नंबर भी बंद पड़ा है। यहां पर भी कर्मचारियों की कमी है। ऐसे में यहां आने वाली पीड़ित महिलाओं को एलएनजेपी वन स्टॉप सेंटर में रेफर किया जाता है। इस सेंटर में आवासीय भवन की सुविधा उपलब्ध नहीं है।
एलएनजेपी का वन स्टॉप सेंटर बना उदाहरण
जहां राजधानी दिल्ली के अधिकतर वन स्टाप सेंटर्स जर्जर भवन, स्टाफ की कमी और अव्यवस्था से जूझ रहे हैं।
वहीं, सेंट्रल दिल्ली के लोक नायक जय प्रकाश अस्पताल परिसर में स्थित वन स्टॉप सेंटर एक सकारात्मक उदाहरण के रूप में सामने आया है।
यहां एयर कंडीशन युक्त कमरे, ऑन-साइट स्टाफ हाउसिंग और समर्पित वाहन सहित अन्य जरूरी सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
एलएनजेपी का वन स्टॉप सेंटर दिल्ली में महिला सुरक्षा और पुनर्वास की दिशा में उम्मीद की एक मजबूत किरण बनकर उभरा है।
तिहाड़ परिसर में बने वन स्टॉप सेंटर को लेकर पश्चिमी दिल्ली की एसडीएम इति अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने सेंटर का निरीक्षण करने के साथ स्टाफ की मीटिंग भी ली है और दो नए एमटीएस कर्मचारियों को नियुक्त भी कर दिया है।
सेंटरों का अन्य कमियों को दूर करने के लिए डीएम को पत्र लिखा है। वहीं, जब डीएम वंदना राव से संपर्क किया गया तो उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
यह भी पढ़ें- भाजपा ने तैयार की संगठन पदाधिकारियों की लिस्ट, कभी भी हो सकती जारी; इन विधानसभा क्षेत्रों पर फोकस
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।