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    Kidney Transplant: रोबोट से किडनी प्रत्यारोपण करने वाला देश का पहला अस्पताल बना सफदरजंग

    By Ranbijay Kumar SinghEdited By: Pradeep Kumar Chauhan
    Updated: Fri, 23 Sep 2022 05:29 AM (IST)

    kidney transplantडा. अनूप बताया कि मुकेश नामक यह मरीज मूलरूप से उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद के रहने वाले हैं। पिछले कई सालों से किडनी की बीमारी के कारण डायलिसिस पर थे और लंबे समय से किडनी प्रत्यारोपण के लिए इंतजार कर रहे थे।

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    सफदरजंग रोबोटिक किडनी प्रत्यारोपण की सुविधा उपलब्ध कराने वाला दिल्ली ही नहीं बल्कि देश का पहला सरकारी अस्पताल है।

    नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। Kidney Transplant: केंद्र सरकार के सफदरजंग अस्पताल में बुधवार को रोबोट के जरिये 39 वर्षीय युवक को किडनी प्रत्यारोपण किया गया। यह सर्जरी करने वाले यूरोलाजी विभाग के विभागाध्यक्ष डा. अनूप कुमार का दावा है कि सफदरजंग रोबोटिक किडनी प्रत्यारोपण की सुविधा उपलब्ध कराने वाला दिल्ली ही नहीं बल्कि देश का पहला सरकारी अस्पताल है।

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    आठ मिलीमीटर के छोटे-छोटे चार छेद करके रोबोटिक मशीन से मरीज को किडनी प्रत्यारोपित की गई। अब मरीज के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है।डा. अनूप बताया कि मुकेश नामक यह मरीज मूलरूप से उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद के रहने वाले हैं। पिछले कई सालों से किडनी की बीमारी के कारण डायलिसिस पर थे और लंबे समय से किडनी प्रत्यारोपण के लिए इंतजार कर रहे थे।

    आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण वह निजी अस्पतालों में किडनी प्रत्यारोपण करा सके। कई अस्पतालों में दिखाने के बाद वह सफदरजंग अस्पताल में पहुंचे थे। मरीज का बाडी मास इंडेक्स (बीएमआइ) 32 था। मोटापे से पीड़ित मरीजों में ओपन सर्जरी (चीरा लगाकर सर्जरी) में अधिक परेशानी होने की संभावना रहती है। इसलिए रोबोटिक किडनी प्रत्यारोपण सर्जरी का फैसला किया गया। उन्होंने कहा कि मरीज की पत्नी रंजना ने उसे किडनी दान किया। लैप्रोस्कोपी की मदद से किडनी सुरक्षित तरीके से निकाली गई।

    इसके बाद किडनी रोबोट की मदद से मरीज को प्रत्यारोपित की गई। सामान्य तौर पर किडनी प्रत्यारोपण के लिए मरीज को 12 सेंटीमीटर का बड़ा चीरा लगाया जाता है। इस वजह से अधिक रक्त स्राव होने की आशंका रहती है। इसके अलावा सर्जरी के बाद जख्म भरने में भी अधिक समय लगता है। रोबोटिक किडनी प्रत्यारोपण सर्जरी के लिए मरीज के पेट में चार छोटे-छोटे छेद किए गए।

    इसके मध्यम से रोबोटिक मशीन के चार आर्म से पकड़कर किडनी प्रत्यारोपित की गई। रोबोटिक सर्जरी से बहुत कम रक्त स्राव होता है और मरीज सर्जरी के बाद जल्दी ठीक हो जाते हैं। सर्जरी के दौरान एनेस्थीसिया के डाक्टरों की टीम का नेतृत्व डा. मधु दयाल ने किया। किडनी प्रत्यारोपण के मरीजों के इलाज में नेफ्रोलाजी के डाक्टरों की अहम भूमिका होती है।

    नेफ्रोलाजी के डाक्टरों की टीम का नेतृत्व डा. हिमांशु वर्मा ने किया। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. बीएल शेरवाल ने इस सफल रोबोटिक किडनी प्रत्यारोपण सर्जरी को अस्पताल के लिए बड़ी उपलब्धि बताया।डा. अनूप कहा कि रोबोटिक किडनी प्रत्यारोपण तकनीकी रूप से बेहद चुनौतीपूर्ण होता है। यही वजह है कि सिर्फ चार निजी अस्पतालों में ही इस तरह की सर्जरी होती है।

    इससे पहले किसी सरकारी अस्पताल में रोबोट से किडनी प्रत्यारोपण की सर्जरी नहीं हुई थी। निजी अस्पतालों में रोबोटिक किडनी प्रत्यारोपण सर्जरी पर लाखों रुपया खर्च होता है। जबकि सफदरजंग अस्पताल में निशुल्क रोबोटिक किडनी प्रत्यारोपण सर्जरी हुई। प्रोटोकाल के मुताबिक पांच दिन बाद मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी। डोनर को शुक्रवार को अस्पताल से छुट्टी मिल जाएगी।