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    बिहार के पूर्व विधायक और उनकी पत्नी की बढ़ी मुश्किलें, महिला की मौत मामले में दिल्ली की अदालत ने आरोप तय करने के दिए आदेश

    By Ritika MishraEdited By: Geetarjun
    Updated: Wed, 01 Nov 2023 08:32 PM (IST)

    Harsh Firing Woman Death हर्ष फायरिंग में एक महिला की मौत मामले में बिहार के पूर्व विधायक राजू सिंह और उनकी पत्नी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। राउज एवन्यू कोर्ट ने नववर्ष की पूर्व संध्या पर पार्टी के दौरान जश्न में गोलीबारी के मामले में राजू सिंह उनकी पत्नी और दो अन्य के खिलाफ आरोप तय करने के आदेश दे दिए हैं।

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    महिला की मौत मामले में दिल्ली की अदालत आरोप तय करने के दिए आदेश।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। हर्ष फायरिंग में एक महिला की मौत मामले में बिहार के पूर्व विधायक राजू सिंह और उनकी पत्नी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। राउज एवन्यू कोर्ट ने नववर्ष की पूर्व संध्या पर पार्टी के दौरान जश्न में गोलीबारी के मामले में राजू सिंह, उनकी पत्नी और दो अन्य के खिलाफ आरोप तय करने के आदेश दे दिए हैं।

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    विशेष न्यायाधीश विकास ढुल ने कहा कि नववर्ष की पार्टी में आरोपित राजू सिंह द्वारा अपनी लाइसेंसी पिस्तौल से फायरिंग करने का कृत्य यह दर्शाता है कि उसे इस बात की जानकारी थी कि भीड़ भरी पार्टी में फायरिंग करने से किसी व्यक्ति की मौत हो सकती है।

    सबूत नष्ट करने के आरोप तय

    ऐसे में आरोपित राजू सिंह पर आईपीसी की धारा 304 और शस्त्र अधिनियम की धारा 30 के तहत प्रथम दृष्टया मामला बनता है। कोर्ट ने राजू सिंह की पत्नी रेनू सिंह और उनके सहयोगी रामेंद्र सिंह और राणा राजेश सिंह के खिलाफ सबूत नष्ट करने के आरोप तय करने का आदेश दिया।

    छह नवंबर को होगी सुनवाई

    राजू सिंह की ओर से पेश अधिवक्ता नितेश राणा ने आरोप तय करने का विरोध करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष के पास उनके खिलाफ मामला बनाने के लिए सबूतों का अभाव है। मामले में अगली सुनवाई छह नवंबर को होगी।

    2018 में जश्न में मारी थी गोली

    जश्न में गोलीबारी की घटना 31 दिसंबर, 2018 को राजू सिंह फार्महाउस पर हुई थी। आरोपितों के खिलाफ आईपीसी और शस्त्र अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया।

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    वहीं, गोली लगने से पीड़िता की मौत के बाद पुलिस ने बाद में प्राथमिकी में आईपीसी की धारा 302 (हत्या) जोड़ दी। जिसमें अधिकतम मौत की सजा का प्रविधान है। हालांकि, कोर्ट ने बाद में आरोपित के अधिवक्ता की तरफ से दी गई दलील की अपराध नहीं बनता है को स्वीकार करने के बाद आरोपित को इस धारा से मुक्त कर दिया।