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    जीवनभर की कमाई लगाकर पाया था 'लाल', टेंपो ड्राइवर की लापरवाही से बुझा घर का चिराग

    Updated: Sat, 06 Sep 2025 09:16 PM (IST)

    दिल्ली में एक दुखद घटना में एक तेज रफ्तार टेंपो ने एक ऑटो को टक्कर मार दी जिससे आठ महीने के बच्चे की मौत हो गई और उसकी मां गंभीर रूप से घायल हो गई। दंपती ने आईवीएफ के जरिए बच्चे को जन्म दिया था। पुलिस ने आरोपी टेंपो चालक को गिरफ्तार कर लिया है। परिवार बच्चे का अंतिम संस्कार करने के लिए हरदोई रवाना हो गया है।

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    ऑटो और टेपों की टक्कर में चली गई बच्चे की जान।

    मोहम्मद साकिब, नई दिल्ली। शादी के छह साल बाद भी औलाद न होने से दंपती की खुशियों पर ग्रहण लगा था। फिर उम्मीद की किरण जगी और जीवन भर की कमाई लगाकर आईवीएफ के जरिये बच्चे का सुख मिला, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था।

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    सालों बाद आई खुशियों को एक हादसे ने मातम में बदल दिया। उनके भविष्य की उम्मीद तेज रफ्तार टेंपो के पहियों के नीचे कुचल गई।  महज आठ महीने के मासूम विष्णु की एक टैंपो चालक की लापरवाही से मौत हो गई।

    मां सिर में गंभीर चोट लगने से घायल है। पिता सुदबुध खो बैठा है। स्वजन सिसक रहे हैं और समझ नहीं पा रहे कि होश में आने पर मां को क्या कहेंगे। हालांकि मंदिर मार्ग पुलिस ने आरोपी टेंपो चालक लालू को गिरफ्तार कर लिया है। परिवार बच्चे के अंतिम संस्कार के लिए यूपी के हरदोई रवाना हो गया है।

    पुलिस अधिकारी के मुताबिक, 30 वर्षीय पप्पू अपने परिवार के साथ नांगली जालिब जनकपुरी में रहते हैं। वह जनकपुरी में आफिस बाय के रूप में कार्यरत हैं और मूलरूप से यूपी के हरदोई के रहने वाले हैं।

    दो सितंबर को पप्पू अपनी पत्नी और आठ महीने के बेटे को लेकर ट्रेन से आनंद विहार आए थे। वहां से वह आटो पकड़ कर जनकपुरी जा रहे थे। सुबह करीब 5:05 मिनट पर ऑटो चालक पंचकुइयां रोड पर पहुंचा ही था कि तभी सामने से तेज रफ्तार और लापरवाही से टेंपो चालक आया और ऑटो में जोरदार टक्कर मार दी।

    टक्कर लगने से पप्पू की पत्नी और उनका बेटा विष्णु सड़क पर गिर गए। मासूम अपनी मां के गोद में था। बच्चे और उनकी मां के सिर में गंभीर चोटें आई। ऑटो चालक मो. साजिद तुरंत विष्णु और उनकी मां को लेकर डीडीयू अस्पताल पहुंचे, लेकिन डाॅक्टरों ने विष्णु को मृत घोषित कर दिया।

    जानिए क्या होता है आईवीएफ

    आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) एक चिकित्सा प्रक्रिया है जिसमें महिला के अंडाणु और पुरुष के शुक्राणु को शरीर के बाहर प्रयोगशाला में निषेचित किया जाता है। इससे भ्रूण बनता है। इस तैयार भ्रूण को फिर से महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है।

    यदि भ्रूण गर्भाशय की दीवार से जुड़ जाता है, तो गर्भावस्था होती है। आईवीएफ का उपयोग उन जोड़ों के लिए किया जाता है जो प्राकृतिक रूप से गर्भधारण नहीं कर पाते हैं और बांझपन या अन्य प्रजनन संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे हैं।

    भारत में सामान्य अस्पताल में आईवीएफ का खर्च 80 से शुरू हो जाता है। शहर, अस्पताल की प्रतिष्ठा, डाक्टर के अनुभव और चुनी गई विशिष्ट प्रक्रियाओं के मुताबिक इसमें वृद्धि संभव है।

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