Delhi Riots: गवाहों के बयान, VIDEO फुटेज से साबित नहीं हुआ आरोप, दुकानों में तोड़फोड़ व डकैती के केस में 6 बरी
उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगे के दुकानों में तोड़फोड़ करने व डकैती डालने के मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने छह लोगों को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि गवाहों के बयान और वीडियो फुटेज से आरोपितों की घटना के समय मौजूदगी साबित नहीं हो पाई।
पूर्वी दिल्ली, जागरण संवाददाता। उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगे के दुकानों में तोड़फोड़ करने व डकैती डालने के मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने छह लोगों को बरी कर दिया। गुरमीत सिंह, गौरव, विशाल वर्मा, रामकमल, दीपक तोमर और विक्रम सिंह के पक्ष में निर्णय सुनाते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत के कोर्ट ने कहा कि गवाहों के बयान और वीडियो फुटेज से आरोपितों की घटना के समय मौजूदगी साबित नहीं हो पाई।
फरवरी 2020 में नागरिक संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर उत्तर पूर्वी दिल्ली में दो समुदायों के लोग सामने आ गए। दंगे भड़कने से काफी सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को आग के हवाले कर दिया गया था। इसी दौरान वेलकम पुलिस थाने में निसार नामक व्यक्ति ने प्राथमिकी पंजीकृत कराते हुए आरोप लगाया था कि दंगाइयों ने बाबरपुर 100 फुटा रोड कबीर नगर गली नंबर-तीन में उनकी आटोमोबाइल की दुकान में तोड़फोड़ कर दी और सामान बाहर फेंक दिया।
साथ ही बताया था कि वह 24 फरवरी 2020 को दोपहर तीन बजे दुकान बंद करके घर चले गए थे। दंगे की वजह से 25 फरवरी 2020 को दुकान नहीं खोली थी। इसके अगले दिन दुकान में घटना होने की सूचना किसी ने फोन पर दी थी। इस मामले की जांच के दौरान एक अन्य व्यक्ति की शिकायत प्राप्त हुई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि 25 फरवरी 2020 को दंगाइयों ने बाबरपुर शिव मंदिर के पास 100 फुटा रोड स्थित उनकी कार एसेसरीज की दुकान में तोड़फोड़ की और चार से पांच लाख रुपये का सामान ले गए। कुछ सामान जला भी दिया गया।
शिकायत में यह भी बताया कि घटना से पहले वह दुकान पर ही मौजूद थे, लेकिन मौजपुर से दंगाइयों को आते देख लोग अपनी दुकानों काे बंद करके जाने लगे। इसलिए वह भी शटर गिराकर चले गए। अगले दिन आकर देखा तो दंगाइयों ने उनका काफी नुकसान कर दिया था। पुलिस ने जांच के दौरान पास की दूसरी घटना से जुड़े वीडियो से छह लोगों को चिह्नित किया और उनको इस मामले में आरोपित बना दिया।
सितंबर 2021 में छह आरोपितों पर कोर्ट ने दंगा करने, गैर कानूनी समूह बनाने, सरकारी आदेश की अवहेलना करने, जबरन दुकानों में घुसने और डकैती डालने का आरोप तय कर दिया था। ट्रायल में कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस और साक्ष्यों को देखते हुए पाया कि इन आरोपितों पर पुलिस आरोप साबित नहीं कर पाई है। वीडियो फुटेज में एक आरोपित घटनास्थल से थोड़ी दूरी पर तीन घंटे पहले और बाकी वहां से कुछ दूरी पर घटना के आधे घंटे बाद दिखाई दिए, इसलिए उन्हें जांच अधिकारी ने दंगे में शामिल मान लिया। जोकि ठीक नहीं था। इसलिए कोर्ट ने सभी आरोपितों को बरी कर दिया।