वन भूमि मंजूरी मिलने से दिल्ली में पानी का संकट खत्म करेगी ये परियोजना, लेकिन इंतजार है लंबा…
दिल्ली 1993 से रेणुका बांध परियोजना के पूरा होने का इंतजार कर रही है जिससे 812 क्यूसेक पानी मिलेगा। वन भूमि मंजूरी मिलने के बाद भी 2032 तक पानी मिलने की संभावना है। दिल्ली सरकार ने तीन नए जल उपचार संयंत्र बनाने का प्रस्ताव रखा है ताकि पानी की कमी दूर हो सके। रेणुका बांध परियोजना को 2009 में राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया था।

राज्य ब्यूरो, जागरण. नई दिल्लीः पानी की कमी से परेशान दिल्ली पिछले कई वर्षों से रेणुका बांध के पूरा होने का इंतजार कर रही है। बांध के निर्माण में वन भूमि उपयोग की मंजूरी नहीं मिलना बड़ी बाधा थी।
केंद्र सरकार से पिछले दिनों यह मंजूरी मिल गई है। इससे निर्माण कार्य शुरू होने की उम्मीद है। फिर भी दिल्लीवासियों को इसके पानी के लिए वर्ष 2032 तक इंतजार करना होगा। क्योंकि, वर्ष 2030 तक इसका निर्माण कार्य पूरा होने का अनुमान है।
फिर इसके जलाशय भरने में डेढ़ वर्ष लगेंगे। इससे मिलने वाले जल पर दिल्ली में प्रस्तावित जल उपचार संयंत्र (डब्ल्यूटीपी) निर्भर हैं।
दिल्ली सरकार ने तीन डब्ल्यूटीपी बनाने का प्रस्ताव किया तैयार
दिल्ली सरकार ने राजधानी में पानी की कमी दूर करने के लिए तीन नए डब्ल्यूटीपी इरादतनगर (उत्तर पश्चिम जिला), नजफगढ़ (दक्षिण-पश्चिम जिला) और छतरपुर (दक्षिण जिला) में बनाने का प्रस्ताव तैयार किया है।
इससे दिल्लीवासियों को 235 मिलियन गैलन प्रतिदिन (एमजीडी) पानी उपलब्ध होगा। वर्तमान में दिल्ली को 1250 एमजीडी पानी की आवश्यकता है, परंतु उपलब्धता लगभग 950 एमजीडी की है।
हिमाचल की गिरी नदी पर बनेगा रेणुकाजी बांध
उत्तराखंड के देहरादून जिले में यमुना पर लखवार बांध परियोजना, उत्तराखंड के देहरादून व हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में टोंस नदी पर किशाऊ बांध परियोजना और हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला के गिरि नदी पर रेणुकाजी बांध परियोजना के निर्माण होने पर दिल्ली में पानी की समस्या दूर होने की उम्मीद है।
1976 में हिमाचल प्रदेश के ऊर्जा विभाग ने रेणुका झील के पास दादाहू में बांध बनाने का प्रस्ताव तैयार किया था। दो दशक बाद 1993 में हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड ने इस परियोजना का विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जिसके उद्देश्य में दिल्ली को जल आपूर्ति को भी रखा गया।
इस बांध के बनने के बाद दिल्ली को मिलेगा 812 क्यूसेक पानी
इससे दिल्ली को 812 क्यूसेक पानी की आपूर्ति की जानी है, लेकिन अब तक यह धरातल पर नहीं उतरी है। भूमि अधिग्रहण, वन भूमि उपयोग की मंजूरी और यमुना जल बंटवारे वाले राज्यों के बीच इस परियोजना को लेकर समझौता नहीं होने सहित अन्य कारणों से इसका निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका है।
इसे वर्ष 2009 में राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया और वर्ष 2019 में राज्यों के बीच समझौता भी हो गया है। उसके तीन वर्ष बाद वर्ष सितंबर, 2021 में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने बांध के लिए केंद्रीय फंड को मंजूरी दी। उसके बाद बाद 27 दिसंबर, 2021 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसकी आधारशिला रखी।
2019 के समझौते के अनुसार दिल्ली को मिलेगी प्राथमिकता
भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के साथ 2019 को हुए समझौते के अनुसार, रेणुकाजी बांध का पानी दिल्ली को प्राथमिकता के आधार पर उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि ऊपरी यमुना नदी बोर्ड (यूवाईआरबी) द्वारा निर्धारित दिल्ली की पेयजल आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।
यह व्यवस्था लखवार और किशाऊ परियोजनाओं के निर्माण तक लागू होगा। उसके बाद 1994 में हुए समझौते के अनुसार दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड को इसका पानी आवंटित होगा।
इसके जल घटक के कार्य के लिए 90% लागत भारत सरकार और शेष 10% लागत सभी संबंधित राज्यों को वहन करना है। 2019 के समझौते के अनुसार दिल्ली सरकार ने परियोजना के बिजली घटक की 90% लागत वहन करने पर सहमति व्यक्त की है। शेष 10% बिजली घटक हिमाचल प्रदेश द्वारा वहन किया जाना है।
लागत हो गई दोगुनी
वर्ष 2009 में रेणुका बांध को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करते समय इसकी लागत 3499 करोड़ थी। वर्ष 2019 में यह बढ़कर 6,946.99 करोड़ रुपये (जल घटक के लिए 6,647.46 करोड़ रुपये और विद्युत घटक के लिए 299.53 करोड़ रुपये) हो गया। दिल्ली ने अब तक 214.84 करोड़ रुपये का भुगतान किया है।
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