Delhi Ration Dealers Protest: जंतर-मंतर पर राशन डीलरों के साथ प्रदर्शन करने पहुंचे पीएम नरेन्द्र मोदी के भाई प्रह्लाद भाई मोदी, बताई मांगे
Delhi Ration Dealers Protest प्रदर्शन में शामिल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाई व फेडरेशन के उपाध्यक्ष प्रह्लाद भाई मोदी ने कहा कि 2014 से पहले की सरकारों ने राशन विक्रेताओं की सुनी नहीं इसलिए नई सरकार को सभी डीलरों ने समर्थन दिया।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Delhi Ration Dealers Protest: वेतन व कमीशन बढ़ाने की मांग को लेकर आल इंडिया फेयर प्राइज शाप डीलर्स फेडरेशन (एआइएफपीएसडीएफ) के बैनर तले राशन डीलरों ने धरना-प्रदर्शन किया। उनकी मुख्य मांग है कि सभी राज्यों में प्रति क्विंटल पर 440 रुपये कमीशन और 50 हजार मासिक आमदनी गारंटी दी जाए। रसोई गैस सिलेंडर, खाद्य तेल और दालों की भी उचित मूल्य की दुकानों से खरीद शुरू की जाए।
प्रदर्शन में शामिल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाई व फेडरेशन के उपाध्यक्ष प्रह्लाद भाई मोदी ने कहा कि 2014 से पहले की सरकारों ने राशन विक्रेताओं की सुनी नहीं, इसलिए नई सरकार को सभी डीलरों ने समर्थन दिया। वह कहते हैं कि वह अपने भाई नरेन्द्र मोदी से नाराज नहीं हैं, लेकिन अब यह सरकार भी नहीं सुन रही है।
डीलरों ने कहा कि सभी के लिए भोजन उपलब्ध कराने को बंगाल राशन माडल पूरे देश में लागू किया जाए। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि कोरोना के समय भी राशन डीलरों ने कार्य किया, लेकिन सरकार उन्हें कोई भी मुआवजा नहीं दे रही है।
राशन डीलरों को भी कोरोना योद्धा माना जाए। पोस्टर-बैनर के साथ पहुंचे प्रदर्शनकारी नारेबाजी करते दिखे। प्रदर्शन में बंगाल, राजस्थान, गुजरात, असम, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ समेत विभिन्न राज्यों के राशन डीलर शामिल हुए।
केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने समय-समय पर सुनवाई के लिए समय तो दिया, लेकिन वहां से आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला। उन्होंने कहा कि भारत में डिजिटलीकरण तो हुआ, लेकिन नीतियों में सुधार नहीं हुआ है। फेडरेशन के महामंत्री बिश्वंभर बासु ने कहा कि केंद्र सरकार ने केवल 20 पैसे प्रति किग्रा की वृद्धि की है। महंगाई को देखते हुए यह नाकाफी है। इससे लोगों की जरूरतें पूरी नहीं हो सकती है। सरकार से बस हक मांग रहे हैं। इससे पहले भी इन मांगों को लेकर प्रदर्शन हो चुका है। प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना था कि जिस तरह से महंगाई बढ़ती जा रही है उस हिसाब से उनकी मांगों पर भी सरकार को ध्यान देना चाहिए।

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