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    रामलीलाओं से दिल्ली की अर्थव्यवस्था में मिलेगा 10 हजार करोड़ का योगदान, लाखों लोगों को मिल रहा रोजगार

    Updated: Thu, 25 Sep 2025 08:09 AM (IST)

    दिल्ली में रामलीलाओं का मंचन अर्थव्यवस्था को गति दे रहा है। लगभग 800 रामलीलाएं हो रही हैं जिनसे 10 हजार करोड़ रुपये का योगदान होने का अनुमान है। एक लाख से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष और पांच लाख को अप्रत्यक्ष रोजगार मिल रहा है। दिल्ली को रामलीलाओं की राजधानी कहा जाता है।

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    रामलीला का मंचन करते कलाकार। फाइल फोटो

    नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। जीएसटी 2.0 तथा नवरात्र के साथ ही रामलीला से भी दिल्ली की अर्थव्यवस्था को तेज गति मिल रही है। साथ ही बड़े स्तर पर रोजगार के अवसर भी मुहैया हो रहा है। दिल्ली भर में 800 के करीब छोटी-बड़ी रामलीलाओं का मंचन हो रहा है। जिससे न सिर्फ प्रभु राम के संदेश जन-जन तक पहुंच रहे हैं, बल्कि ये दिल्ली के अर्थतंत्र को भी मजबूती दे रही हैं।

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    एक अनुमान के अनुसार सभी रामलीलाएं मिलाकर 11 दिनों में ही दिल्ली की अर्थव्यवस्था में करीब 10 हजार करोड़ रुपये का योगदान देंगी। इसी तरह, एक लाख से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष तो पांच लाख लोेगों को अप्रत्यक्ष रोजगार मिल रहा है।

    रामलीला भक्ति के साथ परिवार के साथ अच्छा समय बिताने का मौका देता है। ऐसे में हर कोई परिवार के साथ एक दिन जरूर रामलीला आयोजन स्थल पहुंचता है। जहां प्रभु राम के संदेशों को आत्मसात करने के साथ ही झूले, खान-पान और खरीदारी पर अच्छा धन खर्च करते हैं।

    एक अनुमान के अनुसार, दिल्ली भर में करीब 50 लाख श्रद्धालु आयोजन स्थल पहुंचते हैं। जहां एक सामान्य दर्शक की जेब से औसतन एक से दो हजार रुपये खर्च होता है। जबकि किसी परिवार का खर्च पांच से 10 हजार रुपये भी पहुंच जाता है, जो चाट-पकौड़ी के साथ झूले, खिलौनों की खरीदारी समेत अन्य पर होता है।

    दिल्ली का है सबसे बड़ा उत्सव

    दिल्ली में रामलीला सबसे बड़ा उत्सव है। इसलिए राष्ट्रीय राजधानी को रामलीलाओं की भी राजधानी कहा जाता है। करीब 800 रामलीलाओं में 50 भव्य स्तर पर तो बाकि छोटे स्तर पर होती है। बड़े व भव्य रामलीलाओं के आयोजन में औसतन सात करोड़ रुपये का खर्च आता है। जबकि, कुछ रामलीलाएं 10 लाख रुपये में भी हो जाती हैं।

    जिसमें फिल्मी कलाकारों के साथ ही हजारों स्थानीय स्तर के कलाकारों को रोजगार मिलता है। जिसमें मेकअप, स्टंट, ड्रेस डिजाइन, ज्वेलरी डिजाइनर, लेखक, गायक, साफ्टवेयर इंजीनियर, सुरक्षा व सहायता में तैनात कर्मी समेत अन्य हैं।

    इसी तरह, मेकअप, परिधान, हथियार, आभूषण, साउंड, टेंट, लाइट, एलईडी, क्रेन, कुर्सियां, स्टेज, सजावट, पुतले, फूल, फल, मिष्ठान, व्यंजन, कैटरिंग, खिलौने, झूले, सफाई, सुरक्षा, परिवहन, ठहरने की व्यवस्था, निमंत्रण कार्ड व फ्लैक्स की छपाई, मेहमानों को उपहार समेत अन्य तरह के कई छोटे-बड़े कामों में बड़े खर्च के साथ लोगों को रोजगार भी देता है। बड़ी संख्या में रेहड़ी-पटरी वालों को भी रोजगार मिलता है।

    दिल्ली रामलीला महासंघ व लवकुश रामलीला के अध्यक्ष अर्जुन कुमार कहते हैं दिल्ली की अर्थव्यवस्था में रामलीलाओं का बड़ा योगदान है। दो माह पहले से शुरू होने वाली तैयारियों से लेकर 11 दिनों तक होने वाले रामलीलाओं के मंचन के साथ आने वाले भक्तों के खर्च को जोड़े तो यह 10 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक का होगा। इसमें वह सारे खर्च जुड़ जाएंगे जो मंचन में होने से लेकर भक्तों की जेब से निकलता है। इसी तरह, 15 लाख लोगों को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रोजगार मिलता है।

    लालकिला मैदान में मंचित होने वाली नवश्री रामलीला के प्रवक्ता राहुल शर्मा के अनुसार, जैसे बंगाल की आर्थिकी में दुर्गा पूजा का योगदान होता है। वैसा ही कुछ दिल्ली में रामलीलाओं का है। इसलिए हम सरकार से इसे दिल्ली का पर्व घोषित करने की भी मांग कर रहे हैं।

    चैंबर आफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआइ) के चेयरमैन बृजेश गोयल के अनुसार, दिल्ली की कुछ प्रतिष्ठित व भव्य रामलीलाओं के आयोजन का खर्च ही 25 करोड़ रुपये से अधिक का है। इससे समझा जा सकता है कि इस आयोजन को लेकर कितनी आर्थिकी प्रतिस्पर्धा भी है। श्री धार्मिक लीला के प्रवक्ता रवि जैन के अनुसार, एक रामलीला में ही करीब 500 लोगों को रोजगार मिला हुआ है।