दिल्ली में पीडब्ल्यूडी का अपना इंजीनियरिंग कैडर होगा, विकास को मिलेगी गति और इंजीनियरों की तय होगी जवाबदेही
दिल्ली सरकार ने लोक निर्माण विभाग के लिए अपना इंजीनियरिंग कैडर बनाने का फैसला किया है। इससे ढांचागत विकास को गति मिलेगी और इंजीनियरों की जवाबदेही तय होगी। एक उच्चस्तरीय समिति कैडर की संरचना तय करेगी। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इसे ऐतिहासिक निर्णय बताया है जिससे दिल्ली के विकास कार्यों में तेजी आएगी और नागरिकों को बेहतर सेवाएं मिलेंगी। यह निर्णय दिल्ली को विकसित दिल्ली बनाने में सहायक होगा।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। भाजपा सरकार ने लोक निर्माण विभाग के लिए उसका अपना इंजीनियरिंग कैडर स्थापित करने का फैसला लेकर एक ऐसी समस्या को दूर करने के लिए कदम उठाया है, जिससे दिल्ली पिछले लंबे समय से जूझ रही थी।
दरअसल दिल्ली सरकार के लिए ढांचागत विकास करने वाली प्रमुख एजेंसी लोक निर्माण विभाग में अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक केंद्र सरकार के अधीन हैं।
सरकार का मानना है कि सरकार का अपना कैडर होने के बाद वे दिल्ली सरकार के प्रति जवाबदेह होंगे और उन्हें अपना काम भी समय पर पूरा करना होगा।
कैबिनेट के फैसले के अनुसार नए कैडर की संरचना और कार्यप्रणाली तय करने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित की जाएगी। प्रारंभिक चरण में, सीपीडब्ल्यूडी के इच्छुक अधिकारी इस नवनिर्मित कैडर का हिस्सा बन सकेंगे।
यदि आवश्यक संख्या पूरी नहीं होती है, तो समिति की सिफारिश के आधार पर अन्य वैकल्पिक भर्ती सिस्टम अपनाया जाएगा, जिसकी मंजूरी सक्षम प्राधिकारी से ली जाएगी।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा है कि कैबिनेट का यह निर्णय दिल्ली सरकार को अपनी विकास परियोजनाओं में और अधिक दक्ष, उत्तरदायी और दूरदर्शी बनने का अवसर प्रदान करेगा।
अभी तक दिल्ली सरकार के पीडब्ल्यूडी के पास अपना स्वतंत्र इंजीनियरिंग कैडर नहीं था। विभाग की संपूर्ण इंजीनियरिंग सेवाएं केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) के कैडर पर ही निर्भर थीं।
वर्तमान में पीडब्ल्यूडी, दिल्ली के इंजीनियरिंग विंग में कुल 36 श्रेणियों में 3214 स्वीकृत पद सीपीडब्ल्यूडी कैडर के अंतर्गत आते हैं, जिन पर नियुक्तियां केंद्र सरकार की ओर से की जाती रही हैं।
इस व्यवस्था के चलते दिल्ली सरकार के कार्यों की गति पर कई बार असर पड़ता था और विभाग को प्रशासनिक और विकास संबंधी आवश्यकताओं के अनुरूप तुरंत निर्णय लेने में अड़चनों का सामना भी करना पड़ रहा था।
दिल्ली सरकार की इन प्रमुख परियोजनाओं पर होना है काम
दिल्ली सरकार को नया सचिवालय, सभी 11 जिलों में मिनी सचिवालयों के अलावा मंडियों, खेल मैदानों व प्रशासनिक ढांचे को और मजबूत करने के लिए कई इमारतों, कार्यालयों आदि का तेजी से निर्माण करना है।
सरकार का मानना है कि यह तभी बेहतर तरीके से संभव है, जब उसका अपना इंजीनियरिंग कैडर हो। 30 साल से विभिन्न समस्याओं से जूझ रही दिल्ली कैबिनेट के इस निर्णय से अब दिल्ली सरकार को अपने स्तर पर इंजीनियरों की भर्ती करने और खाली पदों को भरने की शक्ति प्राप्त होगी।
इस पहल से दिल्ली के नागरिकों को बुनियादी ढांचे, सड़कों, पुलों, भवनों और अन्य निर्माण कार्यों में भी अधिक तीव्रता और गुणवत्ता के साथ सेवाएं प्राप्त होंगी।
यह ऐतिहासिक निर्णय है और देश की राजधानी को ‘विकसित दिल्ली’ बनाने के लिए यह निर्णय मील का पत्थर साबित होगा। अब दिल्ली के सतत विकास और ढांचागत परियोजनाओं को गति मिलेगी, जिसका लाभ सीधे तौर पर आमजन को मिलेगा।
उनकी सरकार का यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘रिफार्म, परफार्म व ट्रांसफार्म’ वाले आदर्श वाक्य से प्रेरित है। सबसे बड़ी बात यह है कि अब इंजीनियरिंग विभाग और इंजीनियरों की जवाबदेही तय होगी।
अभी तक उनकी कोई जवाबदेही फिक्स नहीं थी। यदि कोई गड़बड़ हुई तो आरोपी इंजीनियर अपना तबादला करा खुद को बचा ले जाते थे।
- रेखा गुप्ता, मुख्यमंत्री, दिल्ली
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