डिम्ट्स के तहत संचालित 2,800 क्लस्टर बसों के संचालन पर संकटोंं के बादल, दिल्ली सरकार पर करीब 300 करोड़ का बकाया
दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन पर संकट गहरा रहा है। 2800 से अधिक बसें बंद होने के कगार पर हैं। दिल्ली सरकार पर निजी ट्रांसपोर्टरों का लगभग 300 करोड़ रुपय ...और पढ़ें

नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। दिल्ली में वायु प्रदूषण कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन पर जोर दिया जा रहा है। जबकि, 2,800 से अधिक सार्वजनिक बसों के संचालन पर संकटों के बादल मंडरा रहे हैं। दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टी माडल ट्रांजिट सिस्टम (डिम्ट्स) के तहत निजी ट्रांसपोर्टरों द्वारा संचालित इन क्लस्टर सीएनजी बसों के मालिकों का दिल्ली सरकार पर करीब 300 करोड़ रुपये का बकाया हो गया है।
ये बसें दिल्ली की सड़कों पर वातानुकुलित (एसी) में नीली तथा सामान्य में नारंगी रंग में संचालित होती है। ट्रांसपोर्टरों का आरोप है कि संचालन की एवज में फरवरी से पिछले माह तक सरकार द्वारा 10 किस्तों का भुगतान उन्हें नहीं किया गया है। ऐसे में उन्हाेंने बसों का परिचालन रोकने की चेतावनी दी है।
फरवरी के बाद किसी राशि का नहीं हुआ भुगतान
एक बस संचालक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पहले प्रत्येक माह में तीन बार में बसों के संचालन को लेकर भुगतान की राशि मिल जाती थी। फरवरी में दो किस्त का भुगतान हुआ, उसके बाद से अब तक कोई राशि नहीं मिली है, जो कुल मिलाकर 300 करोड़ रुपये से अधिक का हो गया है।
ऐसे में बसों के चालक के वेतन, बसों के परिचालन व रखरखाव का खर्च तथा बैंक की किस्त चुकाने में नौबत नया ऋण लेने की हो गई है। दिल्ली की सड़कों पर ब्लू लाइन की बसों के संचालन को हटाने के साथ ही राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान वर्ष 2010 से डिम्ट्स से निजी बस संचालकों को जोड़ा जाने लगा था।
ये बसें परिवहन विभाग द्वारा दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के लिए तय रूट पर चलती है। दावा है कि इन बसों से प्रतिदिन करीब चार लाख यात्री यात्रा करते हैं। जबकि इसके संचालन से करीब 100 ट्रांसपोर्टर तथा 15 हजार कर्मचारी जुड़े हुए हैं।
खर्च डीटीसी की बसों के मुकाबले करीब 30 प्रतिशत कम
निविदा के माध्यम से हुए रूट आवंटन में बसों को औसतन एसी का 95 रुपये प्रति किमी तथा सामान्य का 68 रुपये भुगतान होता है। प्रतिदिन इन बसों को 200 किमी चलना होता है। ट्रांसपोर्टरों के अनुसार, यह संचालन खर्च डीटीसी की बसों के मुकाबले करीब 30 प्रतिशत कम है। फिर भी नाइंसाफी हो रही है।
वैसे, इलेक्ट्रिक माध्यम से बसों के संचालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा सीएनजी आधारित इन बसों के संचालन को बंद करने की तैयारी चल रही है, लेकिन सड़कों पर सार्वजनिक बसों की कम मौजूदगी बाधा बन रही है।
क्लस्टर बसों के संचालन के लिए 10 वर्ष का करार
एक ट्रांसपोर्ट के अनुसार, डिम्ट्स से करीब 3,200 क्लस्टर बसों के संचालन के लिए 10 वर्ष का करार हुआ है। ऐसे में करार पूरा होने पर अब तक करीब 500 बसें दिल्ली की सड़कों से बाहर हो गई है। वैसे, ये बसे 15 वर्ष तक चल सकती है, लेकिन जिस तरह से भुगतान की परिस्थिति है। उसमें जल्द सभी बसें परिवहन व्यवस्था से बाहर हो सकती है।
दिल्ली टैक्सी टूरिस्ट ट्रांसपोर्ट्स एंड टूर आपरेटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय सम्राट के अनुसार, इस संबंध में दिल्ली के परिवहन मंत्री व परिवहन सचिव समेत अन्य को पत्र लिखा गया है, मुलाकात कर भुगतान की मांग रखी गई है, लेकिन अभी तक राहत नहीं है। वहीं, इस संबंध में जब दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री पंकज सिंह से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जो भी बसों का बकाया है, उसका जल्द भुगतान किया जाएगा।

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