प्रॉपर्टी डीलर हत्याकांड: बेटे को किशोर कानून का लाभ दिलाने के लिए पिता ने जल्दबाजी में रची हत्या की साजिश
दिल्ली के मालवीय नगर में प्रॉपर्टी डीलर लखपत सिंह की हत्या का खुलासा हुआ। पड़ोसी खुशीराम ने नौ साल पुरानी रंजिश के चलते अपने बेटे के साथ मिलकर हत्या की। खुशीराम चाहता था कि बेटे के बालिग होने से पहले वारदात को अंजाम दे ताकि उसे किशोर कानून का फायदा मिले। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। मालवीय नगर के बेगमपुर में लखपत सिंह नाम के प्राॅपर्टी डीलर की हत्या उनके पुराने पड़ोसी खुशीराम ने नौ साल पुरानी रंजिश के कारण की थी। पुलिस ने एक बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि 27 सितंबर को खुशीराम का बेटा व्यस्क हो रहा था, इसलिए उसने एक दिन पहले साजिश रच बेटे के साथ मिलकर प्राॅपर्टी डीलर की जान ले ली। उसने ऐसा इसलिए ताकि बेटे को किशोर कानूनों का फायदा मिल सके।
पहले बेटे से करवाता रहा रेकी
बता दें कि बेगमपुर में रहने के दौरान प्राॅपर्टी डीलर ने आरोपित खुशीराम की क्रिकेट बैट से बुरी तरह पिटाई की थी जिससे वह नौ महीने तक बिस्तर पर पड़ा रहा था। उस घटना के बाद खुशीराम बेगमपुर छोड़कर परिवार के साथ बवाना शिफ्ट हो गया था लेकिन परिवार के सभी सदस्य नौ साल से बदला लेने के लिए प्रतिशोध की आग में जल रहे थे। 27 सितंबर को खुशीराम का बेटा व्यस्क हो रहा था इसलिए उसने एक दिन पहले साजिश रच बेटे के साथ मिलकर प्रापर्टी डीलर की हत्या कर दी, ताकि बेटे को किशोर कानूनों का फायदा मिल सके। हत्या से पहले कई दिनों तक खुशीराम ने बेटे को बेगमपुर भेजकर रेकी कराई थी।
बेटे को भी पुलिस ने पकड़ लिया
26 सितंबर की सुबह बाप-बेटे सुबह ही पार्क में आकर बैठ गए थे। जैसे ही लखपत सिंह पार्क में घूमने आए खुशीराम ने उनपर पिस्टल से चार गोलियां चलाई जिनमें दो गोली लगने से उनकी मौके पर ही मौत हो गई थी। वारदात के बाद दोनों कश्मीरी गेट, चांदनी चौक आदि जगहों पर घूमते रहे। शनिवार को जब दोनों बवाना स्थित अपने घर पहुंचे तब मालवीय नगर थाना पुलिस ने खुशीराम को गिरफ्तार कर लिया। उसके बेटे को भी पुलिस ने पकड़ लिया।
पार्क में घूमते समय कर दी थी हत्या
डीसीपी दक्षिण जिला अंकित चौहान का कहना है कि वारदात को अंजाम देने बेगमपुर आने के दौरान उन्होंने बाइक पर फर्जी नंबर प्लेट लगा लिया था। वारदात के बाद भागने के दौरान रास्ते में असली नंबर प्लेट लगा लिया था, जिसे पुलिस ने जब्त कर ली है। खुशीराम वर्तमान में वाल्मीकि मोहल्ला, गांव औचंदी, बवाना में परिवार के साथ रह रहा था। बेगमपुर वाले घर को उसने किराए पर उठा रखा है। इसके खिलाफ मालवीय नगर थाने में पहले के चार मामले दर्ज हैं। 26 सितंबर की सुबह लखपत सिंह जब घर के पास स्थित विजय मंडल पार्क में घूूम रहे थे तभी उनकी हत्या कर दी गई।
हमलावरों ने ढक रखे थे चेहरे
अपराध की गंभीरता को देखते हुए एसीपी रितु राज, इंस्पेक्टर उमेश यादव, इंस्पेक्टर विनय यादव, इंस्पेक्टर सुभाष चंद के नेतृत्व में कई टीमों का गठन किया गया। आस-पास इलाके में लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज की जांच की गई तो पता चला कि दो हमलावर काले रंग की हीरो स्प्लेंडर मोटरसाइकिल पर घटनास्थल पर पहुंचे थे। वहां पार्क के बाहर उन्होंने पहले पीड़ित का इंतजार किया और बाद में पार्क के अंदर उनका पीछा करते हुए क्रिकेट बैट के पिटाई करने के बाद गोली मारकर हत्या कर दी। हमलावरों ने चेहरे ढके हुए थे। जांच से पता चला कि मृतक के इलाके में कई मुकदमे और विवाद चल रहे थे।
दोनों पक्षों में थी पुरानी रंजिश
ऐसे सभी मामलों और शिकायतों का विवरण एकत्र किया गया और उनकी जांच की गई। जिससे यह पता चला कि 2016 में, मृतक लखपत कटारिया ने अपने साथियों के साथ मिलकर खुशी राम नामक व्यक्ति पर हमला किया था, जिससे उसे गंभीर चोटें आईं थी और वह लगभग नौ महीने तक बिस्तर पर पड़ा रहा था। जिसपर लखपत कटारिया, उसके भाई धर्मेंद्र और अन्य के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करा दिया गया था। धर्मेंद्र की शिकायत पर खुशीराम, उसके भाई मान सिंह और उसके बेटे प्रवीण के विरुद्ध भी एक क्रास-केस दर्ज करा दिया गया था। तभी से दोनों पक्षों में रंजिश चल रही थी।
650 से अधिक सीसीटीवी फुटेज की जांच
इस पहलू की गहनता से जांच की गई और सभी संबंधित व्यक्तियों की सीडीआर का विस्तृत विश्लेषण किया गया। सीसीटीवी से पता चला कि हमलावर कई मार्गों का उपयोग करके बाहरी दिल्ली की ओर गए थे। 55 किलोमीटर के दायरे में 650 से अधिक सीसीटीवी फुटेज की जांच के बाद दोनों को दबोच लिया गया। पूछताछ में खुशी राम ने बताया कि उसके मकान की बिक्री के विवाद को लेकर लखपत कटारिया, उसके भाई धर्मेंद्र और अन्य लोगों ने उस पर पहले भी हमला किया था।
नौ महीने तक बिस्तर पर पड़ा रहा
इस हमले के कारण वह नौ महीने तक बिस्तर पर पड़ा रहा था। इसके बाद लखपत ने उस पर स्थानीय मध्यस्थों के माध्यम से मामला सुलझाने का दबाव डाला था, लेकिन खुशी राम के मन में गहरा रोष बना रहा और वह अपमान और हमले का बदला लेने के लिए दृढ़ था। घटना के अगले दिन उसका बेटा 18 साल का हो रहा था। इसलिए योजना को अंजाम देने के लिए उसने एक पिस्टल खरीदकर वारदात को अंजाम दिया गया।
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