Delhi के निजी स्कूलों की मनमानी: 5 हजार में किताबों का सेट लेने को मजबूर अभिभावक, प्रशासन ने की अनदेखी
Delhi School News शालीमार बाग स्थित एक निजी स्कूल के अभिभावक ने आरोप लगाया कि स्कूल से ही किताबें खरीदने के दबाव के साथ उन्हें भुगतान नगद में करने को ...और पढ़ें

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राजधानी के 1,700 से अधिक निजी स्कूलों में एक अप्रैल से शैक्षणिक सत्र 2023-24 की शुरुआत हो गई है। इसी के साथ स्कूलों ने अभिभावकों से किताबों और यूनिफार्म के नाम पर मोटी रकम वसूलना शुरू कर दिया है। शिक्षा निदेशालय ने स्कूलों को किसी खास विक्रेता से किताबें व यूनिफार्म खरीदने के लिए बाध्य नहीं करने और स्कूल की वेबसाइट पर किताबें खरीदने के लिए स्कूल के नजदीक की कम से कम पांच दुकानों का पता और टेलीफोन नंबर भी प्रदर्शित करने को कहा था। ताकि अभिभावक अपनी सुविधानुसार उन दुकानों से किताबें व ड्रेस खरीद सकें। इसके बावजूद निजी स्कूल कैंपस के अंदर ही किताबें, स्टेशनरी और यूनिफार्म मंहगें दामों पर बेच रहे हैं। किताबों के दाम में पिछले साल से 40 से 50 प्रतिशत तक बढ़ोत्तरी की गई है।
चार से पांच हजार की किताबें और स्टेशनरी
अशोक विहार स्थित एक स्कूल में चौथी में पढ़ने वाले एक छात्र के अभिभावक ने बताया कि किताबें और कापियां स्कूल परिसर के अंदर से ही खरीदने का दबाव बनाया जा रहा है। स्कूल में पूरा एक पैकेज बनाकर बेचा जा रहा है। इसमें किताबें, कापियां और अन्य महंगे स्टेशनरी आइटम शामिल हैं। इसमें स्थानीय अज्ञात प्रकाशकों की कुछ पुस्तकें भी हैं जो बहुत महंगें दामों पर मिल रही हैं। किताबों और स्टेशनरी के लिए करीब चार से पांच हजार लिया जा रहा है।
नगद रुपये लेने का खेल
शालीमार बाग स्थित एक निजी स्कूल के अभिभावक ने आरोप लगाया कि स्कूल से ही किताबें खरीदने के दबाव के साथ उन्हें भुगतान नगद में करने को कहा जा रहा है। साथ में बिल भी नहीं दिया जा रहा है। स्कूल अभिभावकों को ये किताबें जीएसटी जोड़ कर बेच रहे हैं। लेकिन जीएसटी का बिल नहीं मिला। उन्होंने कहा कि जब अभिभावक स्कूल से आनलाइन रुपये लेने की बात करते तो उन्हें शिक्षकों का नंबर देकर उसमें भुगतान करने को कहा जाता। लेकिन स्कूल भुगतान के लिए अपना नंबर नहीं देता। उन्होंने कहा कि दूसरी कक्षा का किताबों, कापी और स्टेशनरी के सेट के 5,737 रुपये वसूले जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि सत्र 2021-22 के मुकाबले स्कूल ने 32 प्रतिशत फीस बढ़ाई है।
द्वारका स्थित एक निजी स्कूल में छठीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र के अभिभावक ने कहा कि स्कूल ने एनसीईआरटी से ज्यादा निजी प्रकाशकों की किताबें पाठ्यक्रम में शामिल की है। साढ़े सात हजार की किताबें और स्टेशनरी स्कूल की ओर से बेची जा रही हैं। उन्होंने कहा कि स्कूल ने फीस भी एक हजार रुपये बढ़ाई है। वहीं, माडल टाउन स्थित एक निजी स्कूल में 10वीं में पढ़ने वाली छात्रा के अभिभावक ने बताया कि स्कूल किताबों और स्टेशनरी के 5,070 रुपये वसूल रहा है। जब बाहर से किताबें खरीदने की बात की तो स्कूल प्रबंधन ने इस पर नाराजगी जताई और स्कूल से ही किताबें खरीदने का दबाव बनाया। कई अभिभावक ऐसे हैं जिनके दो बच्चे स्कूल में पढ़ते हैं, ऐसे में उन्हें किताबों और कापियों के 12 हजार रुपये तक राशि देनी पड़ रही है।
कोई भी स्कूल मनमानी नहीं कर रहा है। ज्यादातर किताबें सब क्षेत्रों में मिल रही हैं। अगर स्कूलों की मनमानी का मामला संज्ञान में आएगा तो उस स्कूल से बातचीत की जाएगी।
(भरत अरोड़ा, अध्यक्ष, एक्शन कमेटी आफ अनएडेड प्राइवेट स्कूल)
अभिभावक इस किताबों के बोझ को कम करने के लिए स्कूल के अंदर ही एक दूसरे को किताबें देने की प्रथा शुरू करें। अगर कोई छात्र 10वीं उत्तीर्ण कर 11वीं में गया है तो वो 10वीं में आने वाले किसी एक छात्र को अपनी किताबें दे दें। इससे किताबों को खरीदने का अतिरिक्त दबाव नहीं पड़ेगा।
(अपराजिता गौतम, अध्यक्ष, दिल्ली अभिभावक संघ)
शिक्षा निदेशालय के एक अधिकारी ने बताया कि सरकारी जमीन पर बने निजी स्कूलों से शुल्क बढ़ाने को लेकर प्रस्ताव मांगे थे। ये प्रस्ताव तीन अप्रैल तक देने थे। शिक्षा विभाग के अधिकारी इन प्रस्तावों की जांच करने के बाद ही प्रस्ताव स्वीकृत करेंगे। जब तक स्वीकृति नहीं दी जाती तब तक कोई शुल्क नहीं बढ़ाने का निर्देश है। बिना किसी पूर्वानुमति के किसी भी स्कूल से शुल्क में वृद्धि के संबंध में कोई भी शिकायत की जाएगी इसे गंभीरता से लिया जाएगा और ऐसे स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई होगी। शिक्षा निदेशक से स्कूलों में बेची जा रही किताबों को लेकर जवाब मांगा गया, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।