Delhi News: गुजरात के सूरत की तर्ज पर चांदनी चौक के 150 वर्ष पुराने कपड़ा बाजार को विकसित करने की तैयारी
Delhi Chandni Chowk संकरी गलियों में 150 वर्ष पुराने इन बाजारों की जगह बहुमंजिला बाजार ले लेंगे। हर बाजारों की खुद की पार्किंग व्यवस्था के साथ ही गोदाम मनोरंजन व कैफेटेरिया के साथ एक्सलेटर व लिफ्ट की सुविधा होगी।
नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। सब कुछ ठीक रहा तो समस्याओं के मकड़जाल में उलझा मुगलकालीन चांदनी चौक का प्रतिष्ठित कपड़ा बाजार देश में कपड़ों की राजधानी सूरत की तर्ज पर चमकता-दमकता नजर आएगा। हर समस्याओं से जूझता यह बाजार तब सभी सुविधाओं से युक्त नजर आएगा। संकरी गलियों में 150 वर्ष पुराने इन बाजारों की जगह बहुमंजिला बाजार ले लेंगे। हर बाजारों की खुद की पार्किंग व्यवस्था के साथ ही गोदाम, मनोरंजन व कैफेटेरिया के साथ एक्सलेटर व लिफ्ट की सुविधा होगी। इसके लिए पहल शुरू हो चुकी है। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इस संबंध में यहां के कारोबारी संगठनों को आपसी रायशुमारी के साथ विस्तृत योजना तैयार करने को कहा है। इसके साथ ही इस मामले में दिल्ली सरकार से संबंधित विभागों से मदद करने को लेकर आश्वस्त किया है।
उत्तर भारत का हब है यह चांदनी चौक
चांदनी चौक न सिर्फ राष्ट्रीय राजधानी का बल्कि पूरे उत्तर भारत का प्रमुख कारोबारी हब है। यहां विभिन्न उत्पादों के साथ ही कपड़े का थोक बाजार है। इसकी अहमियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चांदनी चौक के भीतर ही कपड़े के 64 बाजार हैं, जिनमें तकरीबन 27 हजार कारोबारी प्रतिष्ठान हैं। करीब 50 हजार लोग इनसे जुड़े हुए हैं। इस बाजार का सालाना कारोबार करीब 15 हजार करोड़ रुपये का है।
150 साल पुराने से ज्यादा बसावट वाले बाजार
विशेष बात कि ये मुगलकालीन बसावट वाले ये बाजार 150 वर्ष से अधिक पुराने है। यहां के कपड़ा कारोबारियों का प्रमुख संगठन दिल्ली हिंदुस्तानी मर्केंटाइल एसाेसिएशन (डीएचएमए) ही 129 साल पुरानी है। वैसे, इस बाजार के पुनर्विकास की परियोजना चल रही है। वर्ष 2018 में शुरू हुए विकास कार्य के तहत लाल जैन मंदिर से फतेहपुरी मस्जिद तक 1.3 किमी सड़क व फुटपाथ को लाल पत्थराें से बनाया गया है। वैसे, मौजूदा परियोजना में नए बाजारों के निर्माण का प्रस्ताव नहीं है। जानकारों के मुताबिक दिल्ली के नए मास्टर प्लान-2041 में चांदनी चौक के बाजारों के विकास की योजना रखी जाएगी।
ये है समस्या
गली घंटे वाली, कटरा शहंशाही, मोती बाजार, कटरा नवाब, कटरा नया, कटरा चौबान, कटरा मोहन, कटरा अशर्फी, कटरा हरदयाल समेत अन्य कूचों कटरों व संकरी गलियों में सैकड़ों वर्ष पुरानी इमारतों में ये बाजार बसे हुए हैं। पहले यह आवास दुकान दोनों थे। अब धीरे-धीरे पूरी तरह से व्यावसायिक होते जा रहे हैं। इनमें आग लगने की घटनाएं होती है तो बचाव में अग्निशमन सेवा के वाहनों के पहुंचने में घंटों लग जाते हैं। इसी तरह लटकते तार, सीवर जाम, अतिक्रमण, जाम, पार्किंग की समस्या समेत कई समस्याएं हैं।
सुधार को लेकर एलजी गंभीर
चांदनी चौक के सुधार को लेकर उपराज्यपाल गंभीर है। उन्होंने डीएचएमए प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात में सूरत की तर्ज पर चांदनी चौक के विकास का मसौदा रखा है। हम इसे लेकर आशांवित है। यह अच्छा और भविष्य की मांग के मद्देनजर है। जल्द चांदनी चौक के सभी कारोबारी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठकर इसपर विस्तार से विमर्श करेंगे और एक विस्तृत योजना तैयार कर उपराज्यपाल को सौपेंगे।
श्रीभगवान बंसल, महामंत्री, डीएचएमए
सूरत का कपड़ा मार्केट वर्ष 1970 के करीब अस्तित्व में आया। उसके बाद यहां सहकारिता के आधार पर बांबे मार्केट व सूरत टेक्सटाइल मार्केट बनाई गई। इसके बाद निजी बिल्डरों का ध्यान इस ओर गया। मौजूदा समय में सूरत में 130 कपड़े के बाजार हैं, जिसमें 67 हजार कारोबारी प्रतिष्ठान हैं। जो पूरी तरह से विकसित हैं। उसमें गोदाम, पार्किंग, लिफ्ट व कैफिटेरिया के साथ सभी जरूरी सुविधाएं हैं। अगर इस तरह का विकास चांदनी चौक का होता है तो हम भी उसमें अपनी सलाह देंगे।
भारत टी गांधी, चेयरमैन, फेडरेशन आफ इंडियन आर्ट एंड सिल्क वेविंग इंडस्ट्री (सूरत)
एक नजर
- मुगलकालीन बाजार में कपड़ों के 64 बाजार
- 27 हजार से अधिक दुकानदार
- 15 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार