दिल्ली में अब पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप से होगा विकास, परियोजनाओं में देरी से लागत बढ़ने पर सरकार का फैसला
दिल्ली सरकार बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को पीपीपी मॉडल के ज़रिये आगे बढ़ाएगी। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) मंत्री प्रवेश वर्मा ने इस संबंध में अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। सरकार का लक्ष्य है कि निजी क्षेत्र की भागीदारी से विकास को गति मिले और राजस्व भी प्राप्त हो। जल क्षेत्र और औद्योगिक क्षेत्रों में भी पीपीपी मॉडल पर काम होगा।

वीके शुक्ला, नई दिल्ली: दिल्ली में निजी क्षेत्र की भागीदारी से आधारभूत ढांचा के विकास में तेजी लाई जाएगी । दिल्ली सरकार सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) माॅडल को बढ़ावा देने जा रही है।
यह निर्णय हाल ही में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) मंत्री प्रवेश वर्मा की अध्यक्षता में हुई एक उच्च-स्तरीय बैठक में लिया गया।
अधिकारियों को पीपीपी ढांचे के अनुरूप प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। दरअसल यह ऐसा माॅडल है, जिसमें सरकार अपना पैसा नहीं लगाएगी, उल्टा सरकार को राजस्व मिलेगा।
जानकारों का कहना है कि बड़े बजट वाली बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के विकास में और तेजी लाने के उद्देश्य से दिल्ली सरकार पीपीपी माॅडल को अपनाने की योजना बना रही है।
पैसे कमी और परियोजनाओं में देरी से किया बदलाव
यहां बता दें कि यह बदलाव पैसे की कमी के कारण पिछली सार्वजनिक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में देरी और लागत में वृद्धि को लेकर चिंताओं के बीच सामने आया है।
दिल्ली सरकार से जुड़े सूत्राें के अनुसार पूर्व में कई परियोजनाओं को धन संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ा है, जिसके कारण काफी देरी हुई और लागत बढ़ गई।
अधिकारी ने कहा कि पीपीपी माॅडल अपनाकर हमारा लक्ष्य इन बाधाओं को दूर करना और समय पर पूरा होना सुनिश्चित करना है।
पीपीपी माॅडल के तहत निजी क्षेत्र की संस्थाओं से अपेक्षा की जाती है कि वे सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में निवेश करें और बदले में व्यावसायिक उपयोग या टोल राजस्व के माध्यम से भविष्य में लाभ कमाएं।
एसटीपी भी पीपीपी मॉडल पर बन सकते हैं
सूत्रों ने कहा कि इसी क्रम में जल क्षेत्र में कई सरकारी परियोजनाओं पर भी विचार हो रहा है। जिसमें नालों पर छोटे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) लगाना भी शामिल हैं।
जहां निजी कंपनियां विज्ञापन के बदले में इन प्लांटों को अपना सकती हैं। इसी तरह परिवहन क्षेत्र में डीटीसी पीपीपी माडल पर बस शेल्टरों पर वाटर कूलर लगाने पर काम कर रही है।
जहां कंपनियां वाटर कूलर लगाएंगी और उनका संचालन करेंगी और बदले में, वे इन कूलरों के किनारे विज्ञापन दे सकेंगी।
पीडब्ल्यूडी ने फ्लाईओवर गोद लेने की नीति की घोषणा की है, जिसके तहत निजी कंपनियां फ्लाईओवर के रखरखाव की जिम्मेदारी ले सकती हैं और बदले में वे फ्लाईओवर पर विज्ञापन दे सकती हैं।
फायर विभाग की इमारत का हो सकता है कमर्शियल उपयोग
दिल्ली सरकार सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) माडल के तहत अग्निशमन विभाग के लिए एक नई बहुमंजिला इमारत का निर्माण करने और इसके वाणिज्यिक उपयोग के जरिये राजस्व अर्जित करने की योजना बना रही है।
बाराखंभा रोड पर स्थित दो मंजिला दिल्ली अग्निशमन सेवा भवन का उद्घाटन 1960 के दशक में हुआ था। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अपने बजट भाषण में मौजूदा अग्निशमन केंद्र मुख्यालय को बहुमंजिला इमारत में अपग्रेड करने की घोषणा की थी।
सरकार की इस इमारत को बगैर लागत वाले माडल पर बनाने की योजना है और इस पर विचार-विमर्श के लिए बैठकें आयोजित की जा रही हैं।
रानी खेड़ा में बनाया जाएगा नया औद्योगिक क्षेत्र
रानी खेड़ा में नया औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया जाना है। यह 147 एकड़ का नया औद्योगिक क्षेत्र मिल सकेगा। इसी तरह बापरौला इलेक्ट्राॅनिक सिटी का निर्माण होना है। बापरौला में 137 एकड़ में इस सिटी के लिए औद्योगिक क्षेत्र तैयार किया जाएगा।
जिसमें से 81 एकड़ भूमि उद्योग के इस्तेमाल के लिए होगी। दिल्ली राज्य औद्योगिक और बुनियादी ढांचा विकास निगम (डीएसआईआईडीसी) यहां मल्टीलेवल मैन्युफैक्चरिंग हब विकसित करने की योजना बना रहा है।
इस योजना के तहत औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने में सरकार अपना पैसा नहीं लगाएगी और इसके लिए इस योजना पर डिजाइन बिल्ट फंड ऑपरेट एंड ट्रांसफर (डीबीएफओटी) के तहत काम किया जाएगा।
जिसके तहत इस योजना के लिए भी डेवलपर्स को आमंत्रित किया जाएगा। सरकार परियोजना के लिए जमीन डेवलपर्स को लीज देगी और इसके लिए सरकार को प्रति वर्ष डेवलपर्स से राजस्व मिल सकेगा।
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