खराब मौसम से बिजली कंपनियों की बढ़ी चुनौती, कैसे हल होगी समस्याएं?
दिल्ली में गर्मी बढ़ने के साथ बिजली की मांग भी बढ़ रही है। मई में आए तूफानों ने बिजली वितरण कंपनियों की परेशानी और बढ़ा दी है जिससे कई इलाकों में बिजली आपूर्ति बाधित हुई है। अधिकतम बिजली की मांग 7700 मेगावाट तक पहुंच गई है जिसके 9000 मेगावाट तक पहुंचने की आशंका है। बिजली कंपनियों को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।

संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली। हर साल गर्मियों में बिजली की मांग बढ़ जाती है। बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के सामने बढ़ी हुई मांग को पूरा करने की चुनौती होती है। इस बार मई में लगातार आ रहे तूफानों की वजह से उनकी परेशानी बढ़ गई है।
तूफान की वजह से नेटवर्क खराब हो रहा है, जिससे बिजली आपूर्ति बाधित हो रही है। डिस्कॉम के सामने क्षतिग्रस्त नेटवर्क को दुरुस्त करने और आपूर्ति बहाल करने की चुनौती है। इसके लिए विशेष टीमें तैनात की गई हैं।
इस बार मई में दिल्ली का तापमान 40-41 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहा है, लेकिन हीट इंडेक्स बढ़ा हुआ है। हाल ही में हीट इंडेक्स 50 से 53 डिग्री तक पहुंच गया था, जिससे बिजली की मांग बढ़ गई है। 21 मई को अधिकतम मांग 77 सौ मेगावाट से ऊपर पहुंच गई थी।
पिछले साल अधिकतम मांग 8656 मेगावाट के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी। इस बार यह नौ हजार मेगावाट से ऊपर पहुंच सकती है। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने बिजली कंपनियों को तैयारी करने के निर्देश दिए हैं। लेकिन, इससे पहले डिस्कॉम को आंधी-तूफान से होने वाले नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। इस महीने अब तक चार आंधी-तूफान आ चुके हैं। पेड़ और उनकी टहनियां गिरने से बिजली के तार, खंभे, ट्रांसफार्मर और अन्य उपकरण क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
बिजली कंपनियों के मुताबिक अकेले 21 मई को ही करीब 120 बिजली के खंभे गिर गए। करीब 15 जगहों पर ट्रांसफॉर्मर क्षतिग्रस्त हो गए। इसी तरह चार सौ से ज़्यादा जगहों पर तार क्षतिग्रस्त हो गए। उस दिन उत्तर प्रदेश के मंडोला ग्रिड से भी बिजली आपूर्ति ठप हो गई। शनिवार रात को आए तूफ़ान में और भी ज़्यादा जगहों पर नुकसान हुआ।
बीएसईएस और टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड के अधिकारियों का कहना है कि आपातकालीन प्रोटोकॉल तैयार कर लिया गया है। इसके तहत क्विक रिस्पांस टीम (क्यूआरटी) को सक्रिय किया गया। क्यूआरटी को इंसुलेटेड उपकरण और सीढ़ी, मरम्मत किट के साथ प्रभावित क्षेत्रों में भेजा गया।
मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार संवेदनशील स्थानों पर पहले से ही नजर रखी जा रही है। गिरे हुए पेड़ों को जल्दी हटाने के लिए लोक निर्माण विभाग, नगर निगम और बागवानी विभाग समेत अन्य सिविक एजेंसियों के साथ समन्वय किया जा रहा है। रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के साथ भी समन्वय किया गया है ताकि किसी भी आपात स्थिति में उनका सहयोग प्राप्त किया जा सके।
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