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    Delhi Population: अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के कारण दिल्ली में जनसांख्यिकी बदलाव, JNU समेत विपक्ष ने उठाए सवाल

    दिल्ली में बांग्लादेशी अप्रवासियों की संख्या काफी बढ़ गई है। जेएनयू के प्रोफेसरों ने इस पर सवाल उठाए हैं। सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक परिणामों का विश्लेषण शीर्षक वाली रिपोर्ट में तर्क दिया गया है कि अवैध अप्रवासियों द्वारा अनधिकृत बस्तियों ने झुग्गियों और अनियोजित कालोनियों के विकास में योगदान दिया है जिससे दिल्ली के पहले से ही बोझिल बुनियादी ढांचे स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा प्रणालियों पर भारी दबाव पड़ा है।

    By uday jagtap Edited By: Rajesh KumarUpdated: Mon, 03 Feb 2025 10:13 PM (IST)
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    दिल्ली में बांग्लादेशी अप्रवासियों की संख्या काफी बढ़ गई है।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) और टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान (टिस) ने एक अध्ययन में कहा है कि दिल्ली में बांग्लादेशी अप्रवासियों की संख्या काफी बढ़ गई है। उन्होंने 147 स्थान चिह्नित किए हैं, जहां सर्वाधिक बांग्लादेशी हैं। बांग्लादेशियों के चलते जनसांख्यिकी बदलाव आया है। इनमें म्यांमार के लोग भी शामिल हैं। दिल्ली के अलग-अलग 21 स्थानों पर अध्ययन किया गया है।

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    रिपोर्ट आने के बाद विवाद खड़ा हो गया है। जेएनयू के प्रोफेसरों ने इस पर सवाल उठाए हैं। उधर, भाजपा सांसद संबित पात्रा ने प्रेसवार्ता कर दिल्ली सरकार पर सवाल उठाया है।

    दिल्ली में अवैध अप्रवासी

    सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक परिणामों का विश्लेषण शीर्षक वाली रिपोर्ट में तर्क दिया गया है कि अवैध अप्रवासियों द्वारा अनधिकृत बस्तियों ने झुग्गियों और अनियोजित कालोनियों के विकास में योगदान दिया है, जिससे दिल्ली के पहले से ही बोझिल बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा प्रणालियों पर भारी दबाव पड़ा है। जेएनयू के एक अधिकारी ने कहा कि यह रिपोर्ट भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएसएसआर) द्वारा वित्त पोषित एक नियमित अध्ययन का हिस्सा है।

    शोध अक्टूबर 2024 में शुरू

    अधिकारी ने कहा, शोध अक्टूबर 2024 में शुरू हुआ। यह एक पायलट अध्ययन है और शोध पूरा होने में नौ महीने और लगेंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रभावित होने वाले प्रमुख क्षेत्र घरेलू काम, सेवाएं और अकुशल नौकरियां हैं, जहां भारतीय नागरिक प्रभावित हैं। चिह्नित स्थानों में कई अवैध पाकेट्स को वैध कर दिया गया है और उन्हें घर, पानी और आधार पहचान पत्र जैसी राज्य की सुविधाएं मिल गई हैं।

    अधिकांश फर्जी कार्ड न केवल पश्चिम बंगाल, असम और झारखंड में बल्कि दिल्ली में भी बनाए गए हैं। रिपोर्ट में आगे कहा गया है, प्रवासी अक्सर सीलमपुर, जामिया नगर, जाकिर नगर, सुल्तानपुरी, मुस्तफाबाद, जाफराबाद, द्वारका, गोविंदपुरी जैसे भीड़भाड़ वाले इलाकों में बस जाते हैं। जहां वे संसाधनों पर दबाव डालते हैं और स्थानीय सामाजिक सामंजस्य को बाधित करते हैं।

    नौकरियों में प्रवासियों की भागीदारी

    बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा पर बोझ के अलावा, रिपोर्ट “दिल्ली की मूल आबादी के बीच नाराजगी” के बारे में बात करती है। कम वेतन वाली नौकरियों में प्रवासियों की भागीदारी ने स्थानीय श्रमिकों के साथ आर्थिक प्रतिस्पर्धा पैदा की है, जिससे दिल्ली की मूल आबादी में नाराजगी है। कम वेतन पर काम करने की उनकी इच्छा ने कुछ क्षेत्रों में कुल आय में कमी ला दी है।

    रिपोर्ट को प्रोफेसर मनुराधा चौधरी व प्रीति दास ने तैयार किया है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (जेएनयूटीए) के सदस्यों ने रिपोर्ट के समय को लेकर चिंता व्यक्त की है। जेएनयूटीए की अध्यक्ष मौसमी बसु ने कहा, रिपोर्ट आश्चर्यजनक है। चुनाव से पहले किसी विशेष समुदाय में अचानक रुचि देखना अजीब है। समय संदिग्ध है। जिस तरह से इस तरह से कथाएं गढ़ी जाती हैं, वह समस्याग्रस्त है।

    बसु ने रिपोर्ट की प्रस्तुति पर भी सवाल उठाए, उन्होंने बताया कि पहले पेज पर लिखा है, जेएनयू रिपोर्ट प्रस्तुत करता है, और कहा, दूसरा महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या जेएनयू संकाय द्वारा किए गए सभी प्रोजेक्ट्स को समान व्यवहार दिया जाता है।

    भाजपा ने आप पर हमला बोला

    रिपोर्ट आने के बाद भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डा. संबित पात्रा ने एक प्रेसवार्ता में कहा कि दिल्ली में म्यांमार से रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों ने दिल्ली के भौगोलिक संरचना को बर्बाद करने का काम किया है, उसका खुलासा रिपोर्ट में हुआ है। घुसपैठिए दिल्ली में आए हैं उससे दिल्ली शहर के डेमोग्राफी में बदलाव आया है।

    गैर कानूनी ढंग से सेंधमारी

    इसलिए जो 10 साल पहले दिल्ली थी अब वह नहीं रही, यह सब ख़तरे का सूचक है। जो कंस्ट्रक्शन कार्य पूर्वांचल और अन्य राज्यों के भाइयों-बहनें को मिलता था उसमें गैर कानूनी ढंग से सेंधमारी करने का काम रोहिंग्या और बांग्लादेशियों ने किया है। कहीं इसका डाक्यूमेंटेशन नहीं है। इन सब के पीछे राजनीतिक संरक्षण खासकर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का एक अहम रोल है।

    फर्जी वोट के जरिये यह चुनावी व्यवस्था को भी यह लोग प्रभावित कर रहे हैं। फेक आइडेंटिटी फ़ीचर का इस्तेमाल कर कैसे फर्जी अकाउंट खोले जा रहे हैं, रिपोर्ट यह भी बाताती है। इस मौके पर राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी, प्रदेश मीडिया प्रमुख प्रवीण शंकर कपूर, मीडिया रिलेशन प्रमुख विक्रम मित्तल एवं भाजपा नेता यासिर जिलानी उपस्थित थे।

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