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    Delhi Air Pollution: धड़ल्ले से टूट रहे ग्रेप के नियम, फिर भी गंभीर नहीं एजेंसियां

    राजधानी में ग्रेप का पहला चरण लागू हो गया है लेकिन एजेंसियां हाथ पर हाथ रखे बैठी हैं। यही वजह है कि राजधानी में खुले में निर्माण सामग्री और मलबे पड़े हुए हैं। कोयले से चलने वाले तंदूरों पर प्रतिबंध के बावजूद इनका प्रयोग आसानी से देखा जा सकता है। इतना ही नहीं खाली प्लाट में कूड़ा और पार्कों में पत्तियां जलती हुईं आसानी से दिख जाएंगी।

    By Jagran NewsEdited By: Paras PandeyUpdated: Tue, 10 Oct 2023 07:21 AM (IST)
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    धड़ल्ले से टूट रहे ग्रेप के नियम फिर भी गंभीर नहीं एजेंसियां

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राजधानी में ग्रेप का पहला चरण लागू हो गया है, लेकिन एजेंसियां हाथ पर हाथ रखे बैठी हैं। यही वजह है कि राजधानी में खुले में निर्माण सामग्री और मलबे पड़े हुए हैं। कोयले से चलने वाले तंदूरों पर प्रतिबंध के बावजूद इनका प्रयोग आसानी से देखा जा सकता है। इतना ही नहीं, खाली प्लाट में कूड़ा और पार्कों में पत्तियां जलती हुईं आसानी से दिख जाएंगी। दैनिक जागरण की टीम ने ग्रेप का पहला चरण लागू होने के बाद नियमों के पालन को लेकर विभिन्न स्थानों की पड़ताल की।

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    इस दौरान पहाड़गंज, करोल बाग जैसे इलाकों में रेहड़ी-पटरी पर कोयले से चलने वाले तंदूर दिखाई दिए। आइटीओ स्थित पीडब्ल्यूडी मुख्यालय के पीछे की सड़क पर मलबा पड़ा दिखाई दिया। वाहनों के गुजरने से इससे धूल उड़ रही थी। वहीं, जर्जर सड़क भी धूल के प्रदूषण का कारण बनती है। इसी प्रकार पूर्वी दिल्ली में कल्याणपुरी, मंडावली, पश्चिमी विनोद नगर जैसे इलाकों में खुले में निर्माण सामग्री पड़ी नजर आई। न तो कोई पानी का छिड़काव इस सामग्री के ऊपर किया गया था, न ही इसे तिरपाल आदि से ढका गया था।

    पहाड़गंज में धड़ल्ले से चालू है कोयले वाला तंदूर

    धूल निरोधक अभियान के तहत सोमवार को पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने सराय काले खां स्थित आरआरटीएस निर्माण स्थल का औचक निरीक्षण किया। वहां धूल प्रदूषण संबंधी अनियमितताएं मिलने पर राय ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) को संबंधित एजेंसी को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया। राय ने कहा कि सभी निर्माण स्थलों पर 14 नियमों को लागू करना जरूरी है। इसका उल्लंघन करने पर कार्रवाई की जाएगी। पर्यावरण मंत्री ने बताया कि आरआरटीएस साइट पर पर्यावरण के नियम दरकिनार किए जा रहे हैं। 

    एंटी स्माग गन का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है और न ही निर्माण साइट को चारों तरफ से कवर किया गया है। धूल भी चारों तरफ उड़ रही है। कार्य में लगे मजदूरों ने मास्क भी नहीं लगाए। धूल नियंत्रण नियम के उल्लंघन के कारण ही डीपीसीसी को एजेंसी एफकान्स को नोटिस जारी करने को कहा गया है। नोटिस का संतोषजनक जवाब नहीं देने पर 50 हजार का जुर्माना लगाने के निर्देश दिए गए हैं। पर्यावरण मंत्री ने कहा कि सभी निर्माण स्थलों पर नियमों का पालन नहीं करने पर टीमें सख्त कार्रवाई करेगी। इसके लिए विभागों को निगरानी करने के निर्देश जारी किए गए हैं।

    उन्होंने कहा कि धूल प्रदूषण रोकने के लिए 82 मैकेनिकल रोड स्वीपिंग (एमआरएस) मशीनों, 530 वाटर स्प्रिंकलर और 258 मोबाइल एंटी-स्माग गन की पूरी दिल्ली में तैनात की गई है। दिशानिर्देशों का तत्परता से पालन कराया जा रहा है। यह निरंतर सुनिश्चित किया जा रहा है कि हमारे निर्माण सहयोगी आरआरटीएस साइटों पर निर्माण के दौरान प्रदूषण को कम करने के लिए आवश्यक कदम उठा रहे हैं। आवश्यकता पड़ने पर अतिरिक्त संसाधनों का भी प्रयोग किया जाएगा।