Delhi Politics: एलजी ने अरविंद केजरीवाल को फिर लिखा खत, लोकायुक्त रिपोर्ट के देरी से मिलने पर जताई नाराजगी
Delhi Politics दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने कहा कि यह सुनिश्चित करने की सलाह दी है कि ऐसी वैधानिक रिपोर्ट विधानसभा में समय पर पेश की जाए ताकि लोकायुक्त की प्रणाली को मजबूत किया जा सके।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी सरकार से लोकायुक्त रिपोर्ट मिलने में अत्यधिक देरी होने पर एलजी वीके सक्सेना ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर नाराजगी जताई है। दिल्ली विधानसभा के समक्ष रखने के लिए वर्ष 2017- 18 और 2018- 19 से संबंधित दिल्ली के लोकायुक्त की 16 वीं और 17 वीं वार्षिक समेकित रिपोर्ट को मंजूरी देते हुए एलजी ने कहा कि उन्हें यह रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय से तीन साल की देरी से प्राप्त हुई है।
सुझावों और सिफारिशों पर हो बहस
एलजी कार्यालय के सूत्रों ने कहा कि इस देरी ने विधानसभा को इन महत्वपूर्ण रिपोर्टों पर संज्ञान लेने से वंचित कर दिया, जो सार्वजनिक पदाधिकारियों के मामलों में भ्रष्टाचार, दुरुपयोग या पद के दुरुपयोग के मामलों से संबंधित हैं। उन्होंने कहा कि विधानसभा के समक्ष वार्षिक रिपोर्ट रखना सुनिश्चित करता है कि लोकायुक्त की प्रणाली को और मजबूत करने के लिए लोकायुक्त द्वारा दिए गए सुझावों और सिफारिशों पर बहस हो।
प्रधानाध्यपक की तरह काम कर रहे एलजी: AAP
एलजी ने अपने पत्र में कहा है कि मैं यह सलाह देना चाहूंगा कि संबंधित मंत्री कृपया उचित समय के भीतर जनहित के ऐसे महत्वपूर्ण मामलों को निपटाने के लिए उचित मार्गदर्शन करें, ताकि विधान सभा के समक्ष इसे रखने का वैधानिक उद्देश्य विफल न हो और दिल्ली इससे वंचित न रहे। इस पत्र पर प्रतिक्रिया देते हुए आप सरकार ने फिर से कहा कि उपराज्यपाल स्कूल के प्रधानाध्यापक की तरह काम कर रहे हैं।
सूत्रों ने कहा कि लोकायुक्त ने एक अक्टूबर, 2019 को एलजी को रिपोर्ट सौंपी थी, जिसे उसी साल 23 अक्टूबर को मुख्य सचिव को लोकायुक्त की निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार 1995 के अधिनियम के तहत केजरीवाल सरकार द्वारा पेश किए जाने वाले स्पष्टीकरण के लिए भेजा गया था। अधिकारियों ने कहा कि रिपोर्ट में लोकायुक्त द्वारा अपनी स्वतंत्रता, शक्तियों की कमी, समझौता वित्तीय स्वायत्तता, जांच करने के लिए मशीनरी की अनुपलब्धता और सीमित क्षेत्राधिकार के मामले में विभिन्न बाधाओं पर प्रकाश डाला गया है।
प्रशासनिक सुधार विभाग ने 22 सितंबर 2020 को प्रभारी मंत्री को इस पर टिप्पणी के साथ रिपोर्ट सौंपी। यह दो साल बाद 19 सितंबर, 2022 को सीएम के पास पहुंची। सीएम ने इसे 27 सितंबर को एलजी की मंजूरी के लिए भेजा।
गंभीरत से नहीं लिया जाता रिपोर्ट को
एलजी ने सीएम को लिखे अपने पत्र में कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इन महत्वपूर्ण रिपोर्टों को गंभीरता से नहीं लिया जाता है और बहुत ही लापरवाह तरीके से निपटा जाता है, जो वर्षों से अस्पष्टीकृत देरी को दर्शाता है। एलजी ने सीएम को लिखा कि सार्वजनिक विश्वास के संरक्षक होने के नाते, सार्वजनिक महत्व के ऐसे मामलों में उचित सतर्कता प्रदर्शित करने के लिए उच्च सार्वजनिक पदाधिकारियों पर निर्भर है।
एलजी ने उठा वाजिब सवाल
सूत्रों ने कहा कि एलजी ने अपने पत्र में लोकायुक्त द्वारा रिपोर्टों में उठाई गई विभिन्न चिंताओं पर भी प्रकाश डाला। जबकि अधिनियम लोकायुक्त को किसी भी व्यक्ति को बुलाने और शपथ पर उसकी जांच करने का अधिकार देता है, दिल्ली समकक्ष के पास न तो ऐसी शक्तियां हैं और न ही उसके पास जांच तंत्र है। लोकायुक्त ने वित्तीय स्वायत्तता की अनुपस्थिति, कर्मचारियों की भर्ती की स्वतंत्रता, सिविल सेवकों पर अधिकार क्षेत्र की अनुपस्थिति और उनके खिलाफ आरोपों की जांच करने की शक्तियों को भी उठाया।

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