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    जस्टिस यशवंत वर्मा पर जांच तेज, बंगले पर पहुंची दिल्ली पुलिस; सुप्रीम कोर्ट के कर्मचारी भी गए अंदर

    Updated: Wed, 26 Mar 2025 03:27 PM (IST)

    जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित आवास पर दिल्ली पुलिस पहुंची है। पुलिस टीम के साथ सुप्रीम कोर्ट के दो-तीन कर्मचारी भी मौजूद हैं। वहीं इससे पहले तीन जजों की कमेठी भी मंगलवार को जांच करने के लिए उनके घर पहुंची थी। जस्टिस यशवंत वर्मा का यह मामला काफी सुर्खियों में बना हुआ है। आगे विस्तार से जानिए आखिर पूरा मामला क्या है।

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    जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर पहुंची दिल्ली पुलिस। जागरण फोटो

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। हाइकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के तुगलक क्रिसेंट रोड स्थित सरकारी आवास पर दिल्ली पुलिस पहुंची है। नई दिल्ली जिले के डीसीपी देवेश महला मुआयना करने पहुंचे हैं। उनके साथ तुगलक रोड के एसीपी वीरेंद्र जैन और सुप्रीम कोर्ट के दो-तीन कर्मचारी भी अंदर गए।

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    बताया गया कि करीब 2.15 बजे ये सभी अधिकारी जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर पहुंचे। ये लोग स्टोर रूम का मुआयना कर रहे हैं, जहां 14 मार्च की रात 11.15 बजे आग लगी थी।

    (जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में एंट्री करती पुलिस। जागरण फोटो)

    बता दें कि आग लगने से स्टोर रूम में बोरियों में रखे बेहिसाब नोट जल गए थे। इससे पहले बीते कल यानी मंगलवार को तीन जजों की कमेटी भी जांच करने उनके आवास पर पहुंची थी। तीनों जजों ने करीब 45 मिनट तक मुआयना किया था।

    जस्टिस वर्मा के घर पहुंची सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक समिति

    सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त आंतरिक समिति के तीनों सदस्य मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के आवास पर पहुंचे और आवास पर भारी मात्रा में नकदी मिलने के आरोपों की जांच प्रारंभ की।

    समिति के सदस्य पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट के न्यायाधीश अनु शिवरामन मंगलवार को जस्टिस वर्मा के आवास 30 तुगलक क्रिसेंट पहुंचे और 30-35 मिनट तक उनके घर में रहे।

    सूत्रों के अनुसार, दोपहर में जस्टिस वर्मा के आवास से रवाना होने से पूर्व समिति ने घटनास्थल का निरीक्षण किया। हालांकि, यह पता नहीं चल सका कि समिति के सदस्य जब वहां पहुंचे तो जस्टिस वर्मा अपने आवास पर थे अथवा नहीं। जस्टिस वर्मा के आधिकारिक आवास में 14 मार्च को रात करीब 11:35 बजे आग लगने के बाद अग्निशमन अधिकारी मौके पर पहुंचे थे और आग बुझाई। इसी दौरान कथित तौर पर नकदी मिली थी।

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    इस घटना के बाद 22 मार्च को प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा के विरुद्ध आरोपों की आंतरिक जांच करने के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की थी। जस्टिस वर्मा ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उनके या उनके परिवार के किसी सदस्य द्वारा स्टोर रूम में कभी नकदी नहीं रखी गई।

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    दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय को सौंपे जवाब में जस्टिस वर्मा ने कहा कि उनके आवास पर नकदी मिलने के आरोप स्पष्ट रूप से उन्हें फंसाने और बदनाम करने की साजिश प्रतीत होते हैं।