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    दिल्ली पुलिस की टीम ने मजदूर बनकर 11 साल बाद दबोचा सुपारी किलर, छत्तीसगढ़-झारखंड के जंगल में चलाता था ट्रक

    दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच टीम ने एक बदमाश को 11 साल बाद गिरफ्तार किया है। वह एक सुपारी किलर था जिसके सिर पर इनाम घोषित किया जा चुका था। आरोपी छत्तीसगढ़-झारखंड के जंगल में ट्रक चलाकर रहता था। उसने अपना नाम और पहचान बदल ली थी। आरोपी ने सुपारी लेकर हत्या की साजिश रची थी। हत्या के बाद से वह फरार था बाकी आरोपी पहले ही गिरफ्तार हो गए थे।

    By Rakesh Kumar Singh Edited By: Geetarjun Updated: Sat, 12 Oct 2024 10:55 PM (IST)
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    दिल्ली पुलिस की टीम ने मजदूर बनकर 11 साल बाद दबोचा सुपारी किलर।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। तिलक नगर इलाके में एक व्यक्ति की सुपारी लेकर हत्या करने के मामले में आरोपी को छत्तीसगढ़-झारखंड के घने जंगल दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया है। वह 11 साल से फरार था। आरोपी अब तक अलग नाम व पहचान के साथ छिप कर रह रहा था। आरोपी का नाम राजू बनारसी है। क्राइम ब्रांच ने स्थानीय मजदूरों के साथ मजदूर व बस का परिचालक बनकर पता लगा गिरफ्तार किया।

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    बदमाश के बारे में पता लगाने में क्राइम ब्रांच की टीम ने जिस तरीके से गहन जांच की, उससे दिल्ली पुलिस ने पेशेवर होने की बात एक बार फिर सच साबित कर दी है। संपत्ति विवाद के कारण एक व्यक्ति ने अपने सगे भाई की हत्या करने के लिए 10 लाख रुपये में एक गिरोह को सुपारी दी थी।

    छठ आरोपी था राजू

    वारदात को अंजाम देने के बाद सभी छह बदमाश फरार हो गए थे। जांच पड़ताल के बाद पुलिस ने पांच बदमाश को गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन राजू बनारसी के बारे में पुलिस को पता ही नहीं लग रहा था। सैकड़ों मोबाइल नंबरों की कॉल डिटेल रिकॉर्ड निकाल जांच करते हुए पुलिस टीम ने आखिर राजू के बारे में भी पता लगा लिया। इस पर दिल्ली पुलिस की तरफ से 50 हजार का इनाम था।

    झारखंड में रहने लगा था आरोपी

    डीसीपी संजय कुमार सेन के अनुसार, गिरफ्तार बदमाश राजू बनारसी उर्फ राजू सिंह उर्फ मृत्युंजय सिंह मूलरूप बनारस, यूपी का रहने वाला है, लेकिन 2013 में वारदात के बाद पुलिस से बचने के लिए वह पलामू, झारखंड में रहने लगा था। एक साल तक नहीं पकड़े जाने पर दिल्ली पुलिस ने राजू बनारसी पर 2014 में इनाम घोषित कर दिया था।

    10 लाख रुपये की दी सुपारी

    मृतक के सगे भाई राजेश सिंह लांबा ने झज्जर के रहने वाले रविंदर राठी को हत्या करने के लिए सुपारी दी थी। उसने आगे मुकेश कुमार सोनी हत्या के लिए 10 लाख रुपये की सुपारी दी थी। हत्या कराने के पीछे का मकसद दो भाईयों के बीच संपत्ति विवाद था।

    राजू को मिला था ये काम

    वारदात को अंजाम देने के लिए पूरी साजिश रची गई। हत्या के लिए राजू बनारसी ने एक पिस्टल और एक कट्टा का बंदोबस्त किया था। वारदात वाले दिन राजू बनारसी को गिरोह के बदमाशों को बैकअप देने और भागने का आसान रास्ता बताने का काम सौंपा गया था।

    जितेंद्र लांबा पर गोलियां चलाने के बाद सभी मौके से भाग गए थे। बाद में अलग-अलग अंतराल पर पांच आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए, लेकिन राजू बनारसी फरार चल रहा था। इसे कोर्ट ने भगोड़ा घोषित कर दिया था।

    क्राइम ब्रांच को सौंपी गई जिम्मेदारी

    मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए क्राइम ब्रांच को फरार बदमाश को पकडने के लिए जिम्मेदारी सौंपी गई। एसीपी रमेश चंदर लांबा, इंस्पेक्टर सतेंद्र मोहन की टीम ने जांच शुरू की। मामला काफी पुराना था, इसलिए आरोपियों के मोबाइल नंबर या तो बंद पाए गए या अन्य उपयोगकर्ताओं को आवंटित हो गए थे। फिर भी पुलिस टीम जांच पड़ताल करती रही।

    इस तरह पकड़ में आया आरोपी

    गिरफ्तार आरोपियों के अलावा उनके दोस्तों के पिछले 10 वर्षों के सैकड़ों मोबाइल नंबरों का विश्लेषण करने के बाद अंततः हवलदार नवीन को झारखंड में राजू के एक दूर के रिश्तेदार का मोबाइल नंबर मिला जो काम कर रहा था। उसकी जांच करने पर एक और नंबर मिला, जिसकी गतिविधि अत्यधिक संदिग्ध थी, क्योंकि वह नंबर दिन के समय हर दिन केवल कुछ मिनटों के लिए ही चालू रहता था।

    मजदूर बनकर पहुंची टीम

    नंबर की लोकेशन लगातार छत्तीसगढ़ और झारखंड सीमा के जंगली इलाके में दिख रही थी। इस मोबाइल नंबर का पता लगाना भूसे के ढेर में सुई ढूंढने जैसा था, लेकिन इसी मोबाइल नंबर ने राजू की तलाश करने का आगे का रास्ता साफ कर दिया। पुलिस टीम ने वन क्षेत्र में पहुंचकर स्थानीय मजदूरों के साथ मजदूर बनकर काम करना शुरू कर दिया, क्योंकि घने जंगल में राजू को ढूंढना मुश्किल था।

    इस दौरान टीम अपने स्रोत विकसित किए और एक चतुराई से जंगल क्षेत्र में ट्रक चला रहे राजू को पकड़ने में सफलता मिल गई। पूछताछ में राजू ने बताया कि पैसों की खातिर उसने सुपारी लेकर हत्या की थी। वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान है। वह मूल रूप से बनारस का रहने वाला है, इसलिए उसे राजू बनारसी के नाम से जाना जाता है।

    बाद में वह पलामू चला गया और वहां ड्राइवर के रूप में काम करना शुरू कर दिया। समय के साथ वह सह-अभियुक्त मुकेश कुमार सोनी के संपर्क में आया, जिसने रविंदर राठी नामक व्यक्ति से हत्या की सुपारी ली और उसे दिल्ली में एक हत्या को अंजाम देने के लिए प्रेरित किया। राजू को पैसों की सख्त जरूरत थी, इसलिए वह वारदात को अंजाम देने के लिए तैयार हो गया।

    उसने हत्या के लिए रिशु और अभिषेक के लिए हथियारों की भी व्यवस्था की। इसके बाद चारों दिल्ली आए और रविंद्र राठी ने उन्हें टारगेट दिखाया। वारदात के बाद राजू पहले बनारस गया, फिर वहां से पलामू जाकर उसने मृत्युंजय सिंह के साथ जीवन का एक नया चरण शुरू किया। वहां उसने एक ट्रक खरीदा और ट्रक ड्राइवर बनकर काम करने लगा।