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    Sunanda Pushkar Death Mystery: 7 साल के दौरान भी शशि थरूर के खिलाफ सबूत नहीं जुटा सकी पुलिस

    Sunanda Pushkar Death Mystery राउज एवेन्यू कोर्ट की विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने कहा कि अभियोजन पक्ष ऐसा कुछ पेश नहीं कर सका कि थरूर ने अपनी पत्नी सुनंदा को आत्महत्या के लिए उकसाने का प्रयास किया हो।

    By Jp YadavEdited By: Updated: Fri, 20 Aug 2021 04:47 PM (IST)
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    Sunanda Pushkar Death Mystery: सात साल के दौरान भी शशि थरूर के खिलाफ सबूत नहीं जुटा सकी पुलिस

    नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। सुनंदा पुष्कर की मौत मामले में दिल्ली पुलिस की जांच सात साल से कांग्रेस नेता व शशि थरूर के इर्द-गिर्द घूमती रही। अमेरिका की फेडरल ब्यूरो आफ इंवेस्टीगेशन से कराई जांच से लेकर तमाम सुबूत पेश करने के पुलिस ने दावे भी किए, लेकिन अदालत में जांच की कसौटी पर एक भी सबूत टिक नहीं सका। बुधवार को दिए अपने फैसले में राउज एवेन्यू कोर्ट की विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने कहा कि अभियोजन पक्ष ऐसा कुछ पेश नहीं कर सका कि थरूर ने अपनी पत्नी सुनंदा को आत्महत्या के लिए उकसाने का प्रयास किया हो। इतना ही नहीं अभियोजन पक्ष एक भी ऐसा उदाहरण नहीं पेश कर सका जहां थरूर ने उद्देश्यपूर्ण ढंग से कुछ किया हो जिसके कारण अपराध हुआ। अदालत ने बुधवार को सुनाए गए अपने आदेश में थरूर को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया था। अदालत ने कहा कि यह स्थापित कानून है कि वैवाहिक विवादों को आत्महत्या के लिए उकसाने के रूप में नहीं लिया जा सकता है। अदालत ने अस्सू बनाम मध्य प्रदेश सरकार के मामले सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया। उसमें शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया था कि पति-पत्नी के बीच हर झगड़ा जिसके परिणाम स्वरूप आत्महत्या हो उसे पति द्वारा उकसाने के रूप में नहीं लिया जा सकता है। अदालत ने नोट किया कि थरूर पर दहेज की मांग व उत्पीड़न का कोई भी आरोप नहीं है। इतना ही नहीं ऐसा कोई साक्ष्य भी नहीं है कि शशि थरूर ने सुनंदा पुष्कर के साथ शारीरिक क्रूरता की हों।

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    अदालत को सबूत की जरूरत

    विशेष न्यायाधीश ने कहा कि ऐसा लगता है कि आरोप पत्र इस उम्मीद में दाखिल किया गया कि अदालत को आरोपित के खिलाफ मुकदमे को आगे बढ़ाने के लिए कुछ सामग्री मिल जाएगी, लेकिन आपराधिक मुकदमे के लिए सुबूत की जरूरत होती है। निश्चित तौर पर एक अनमोल जिंदगी का नुकसान हुआ है, लेकिन जांच के दौरान एकत्र किए गए सुबूतों को पूरी तरह से स्वीकार भी लें तब भी थरूर पर प्राथमिक तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने व क्रूरता करने की धाराओं के तहत आरोप तय नहीं किया जा सकता है।

    अभियोजन पक्ष की दलील खारिज

    अदालत ने कहा कि अगर अभियोजन पक्ष का मामला सिर्फ इस पर आधारित है कि थरूर का पाकिस्तानी महिला पत्रकार मेहर तरार के साथ संबंध था और उनकी पत्नी सुनंदा पुष्कर इस बात से मानसिक तौर पर परेशान थीं, तब भी सुबूत व साक्ष्य के अभाव में यह नहीं कहा जा सकता है कि यह मानसिक क्रूरता है। इन सब कारणों से अभियोजन पक्ष की दलील अदालत ने खारिज कर दी।

    यह है मामला

    17 जनवरी, 2014 को सुनंदा पुष्कर दक्षिण दिल्ली के लीला पैलेस होटल में मृत मिली थीं। दिल्ली पुलिस ने शशि थरूर पर भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए (पति द्वारा क्रूरता) और धारा-306 (आत्महत्या के लिए उकसाने), धारा-302 (हत्या) के तहत आरोप लगाए गए थे। हालांकि बाद में आरोप पत्र में हत्या का आरोप हटा लिया गया था। इस मामले में थरूर को गिरफ्तार नहीं किया गया और उन्हें पहले अग्रिम, उसके बाद नियमित जमानत दे दी गई थी।