दिल्ली में चल रहा था ये बड़ा खेल, नकली ऑटो पार्ट्स गिरोह में शामिल 11 शातिर दबोचे और लाखों का माल बरामद
दिल्ली क्राइम ब्रांच ने नकली ऑटो पार्ट्स रैकेट का भंडाफोड़ कर 11 लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने करोल बाग में छापेमारी कर 50 लाख रुपये के नकली पार्ट्स और 19 लाख रुपये नकद बरामद किए। ये गिरोह नामी कंपनियों के नकली स्पेयर पार्ट्स बेचता था जिससे कंपनियों और ग्राहकों दोनों को नुकसान हो रहा था। पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर रही है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली में क्राइम ब्रांच ने नकली ऑटोमोबाइल स्पेयर पार्ट्स रैकेट का भंडाफोड़ कर 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनकी निशानदेही पर बड़ी मात्रा में नकली स्पेयर पार्ट्स जब्त किए गए, जिन पर तीन प्रमुख ऑटोमोबाइल कंपनियों के नाम और पैकेजिंग अंकित है।
पुलिस ने करोल बाग में चार ठिकानों पर एक साथ छापेमारी कर करीब 50 लाख रुपये मूल्य के पार्ट्स और 19 लाख रुपये नकदी भी बरामद की है।
डीसीपी आदित्य गौतम के मुताबिक करोल बाग के विभिन्न स्थानों पर नकली आटोमोबाइल पार्ट्स, पैकेजिंग सामग्री का भंडारण, आपूर्ति और बिक्री फैली हुई थी। गुप्त सूचना पर पुलिस की चार टीमें गठित कर
प्रत्येक टीम को एक-एक स्थान पर छापा मारने का काम सौंपा गया जहां नकली गतिविधियां की जा रही थीं।
छापेमारी और बरामदगी वाले स्थान
- शिवाजी स्ट्रीट, गली नंबर एक, नाई वालान से पुलिस ने तीन आरोपित धीरज सिंह, अमित सिंह और दीपांकर नागपाल को गिरफ्तार किया। यहां पर नामी ब्रांडों के नकली चेन सेट, ब्रेक शूज, शाकर और पैकेजिंग सामग्री का बड़ा भंडार बरामद किया गया।
- गुरु नानक मार्केट, नाई वालान से भी तीन आरोपित हर्ष कुमार, रिंकू और रविंदर को गिरफ्तार किया गया। यहां से 8.68 लाख की नकदी के साथ बड़ी मात्रा में नकली स्पार्क प्लग जब्त किए गए।
- सुभाष मोहल्ला, नाई वालान से भी तीन आरोपित राघवेंद्र सिंह, सचिन सिंह और विनोद आहूजा को गिरफ्तार किया गया। यहां से विभिन्न ब्रांडों की भारी मात्रा में नकली पैकेजिंग सामग्री और सात लाख नकद बरामद किए गए।
- पूषा लेन, करोल बाग से दो आरोपित आशीष मल्होत्रा और आलोक प्रुथी को गिरफ्तार किया गया। यहां नकली पैकेजिंग सामग्री के भंडारण किया जा रहा था। यहां से 4.7लाख नकद और पैकेजिंग सामग्री का एक बड़ा स्टक जब्त किया गया।
ये लोग स्थानीय और क्षेत्रीय निर्माताओं से असली पुर्जों की तुलना में बहुत कम कीमत पर घटिया, नकली ऑटो पार्ट्स खरीदते थे। ये पार्ट्स काम में तो एक जैसे थे, लेकिन असली उत्पादों के टिकाऊपन और सुरक्षा मानकों के अनुरूप नहीं थे। जाली लेबल, होलोग्राम, लोगो और पैकेजिंग सामग्री का इस्तेमाल करके ले लोग नकली उत्पादों को प्रतिष्ठित ऑटोमोबाइल कंपनियों के उत्पादों जैसा दिखाने के लिए उनका नाम बदल देते थे।
बताया गया कि पैकेजिंग अक्सर असली उत्पादों से लगभग मिलती-जुलती होती थी, जिससे आम खरीदार या मैकेनिक के लिए अंतर पहचानना मुश्किल हो जाता था। छापेमारी के दौरान प्रिंटिंग मशीनें, ब्रांडिंग स्टैम्प और पैकिंग सामग्री जब्त की गई।
नकली उत्पादों को दिल्ली और उसके आसपास के स्थानीय ऑटो पार्ट्स डीलरों, थोक विक्रेताओं और मरम्मत की दुकानों को कम दामों पर बेचा जाता था, जिससे ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाया जा सके। ज्यादातर लेन-देन नकद में किए जाते थे और पकड़े जाने से बचने के लिए नकली चालान बनाए जाते थे। कुछ मामलों में व्यापक ग्राहक आधार तक पहुंचने के लिए ऑनलाइन बाजारों और वर्गीकृत विज्ञापनों का भी इस्तेमाल किया जाता था और झूठे तरीके से पुर्जों को असली बताकर उनका विज्ञापन किया।
आरोपी न केवल नकली उत्पाद बेचकर नामी ऑटोमोटिव कंपनियों को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचा रहे थे, बल्कि उपभोक्ताओं के जीवन को भी गंभीर खतरे में डाल रहे थे। वे खरीदारों को धोखा देने के लिए असली पैकेजिंग की नकल करके नकली ब्रेक शूज और ब्रेक पैड किसी भी वाहन के लिए महत्वपूर्ण सुरक्षा घटक बांट रहे थे।
बरामद पार्ट्स
एक लाख रुपये के ब्रेक पैड, फिल्टर, स्पार्क प्लग, क्लच प्लेट, नकली ब्रांडेड इंजन आयल की 200 बोतलें, जाली पैकेजिंग, स्टिकर, होलोग्राम और प्रिंटिंग मशीनें, 19 लाख नकद।
- धीरज सिंह, उत्तम नगर का रहने वाला है और वाणिज्य स्नातक है। वह पहले एक आटो पार्ट्स की दुकान में काम कर चुका है और आपूर्ति श्रृंखला और इन्वेंट्री नियंत्रण में पारंगत है।
- अमित सिंह, ग्रेटर नोएडा का रहने है। उसका मुख्य काम खातों की देखभाल और नकली सामग्रियों की आपूर्ति श्रृंखला का प्रबंधन करना था।
- दीपांकर नागपाल, पालम विहार, गुरुग्राम का रहने वाला है। उसका पैकेजिंग आपूर्ति का एक छोटा सा व्यवसाय है। वह नकली लेबल, होलोग्राम और स्टिकर उपलब्ध कराता था। नकली वस्तुओं को असली उत्पादों जैसा दिखाने के लिए उनकी ब्रांडिंग में महत्वपूर्ण भूमिका थी।
- हर्ष कुमार, किशनगंज, दिल्ली का रहने वाला है। वह पहले एक मोटर पार्ट्स वितरक के यहां कार्यरत था। वह अपने उद्योग के अनुभव का इस्तेमाल नकली स्पार्क प्लग को असली पार्ट्स के रूप में छिपाने के लिए करता था और रिंकू के साथ मिलकर अच्छे मुनाफे पर नकली आटो पार्ट्स की आपूर्ति करता था।
- रिंकू, करोल बाग का रहने वाला है। वह माल की रीपैकेजिंग करता था।
- रविंदर, करोल बाग का रहने वाला है। वह नकद लेनदेन और अनट्रेसेबल यूपीआई खातों को संभालता था।
- राघवेंद्र सिंह, नोएडा का रहने वाला है। नकली सामान बनाने वालों के साथ उसके गहरे संबंध हैं।
- सचिन सिंह, नोएडा का रहने वाला है और पहले एक आटो पार्ट्स ट्रांसपोर्ट फर्म में काम कर चुका है।
- विनोद आहूजा,फरीदाबाद का रहने वाला है और नकली पैकेजिंग सामग्री के भंडारण और छंटाई का काम देखता था। उसने विभिन्न कंपनियों के मोनोग्राम, लेबल और स्टिकर की लेबलिंग और छपाई के लिए प्रिंटिंग मशीनें लगाई हैं।
- आशीष मल्होत्रा, पश्चिम विहार का रहने वाला है, वह नकली ब्रांडिंग, होलोग्राम संरेखण और फिनिशिंग का विशेषज्ञ है।
- आलोक प्रूथी, पश्चिम विहार का है उसने विभिन्न ब्रांडों के जाली लेबल और स्टिकर तैयार करने के लिए प्रिंटिंग मशीनें लगाई हैं।
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