फर्जी भारतीय सरकारी वेबसाइट बनाकर व्यापारियों से 60 करोड़ रुपये की ठगी, आरोपियों से नकदी और वर्दी बरामद
दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने राष्ट्रीय ग्रामीण शिक्षा मिशन के नाम पर 60 करोड़ की धोखाधड़ी का पर्दाफाश किया है। करुणाकर उपाध्याय अनीता उपाध्याय और सौरभ सिंह को गिरफ्तार किया गया है। आरोपियों ने फर्जी वेबसाइट बनाकर कारोबारियों को स्कूल यूनिफॉर्म के ठेके का झांसा दिया। उन्होंने पीड़ितों से लगभग 60 करोड़ रुपये की ठगी की। पुलिस ने आरोपियों से नकदी और यूनिफॉर्म बरामद की है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने भारत सरकार के राष्ट्रीय ग्रामीण शिक्षा मिशन (आरजीएसएम) की आड़ में बड़े पैमाने पर चल रहे धोखाधड़ी के एक रैकेट का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने इस मामले के मास्टरमाइंड करुणाकर उपाध्याय उर्फ रत्नाकर उपाध्याय, अनीता उपाध्याय और सौरभ सिंह समेत तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
आरोपियों ने आरजीएसएम के नाम से एक फर्जी वेबसाइट बनाई और खुद को एक सरकारी योजना का हिस्सा बताकर स्कूल यूनिफॉर्म की आपूर्ति का ठेका दिलाने का वादा करके कारोबारियों को करोड़ों रुपये का चूना लगाया।
जांच में पता चला है कि उन्होंने कई लोगों से लगभग 60 करोड़ रुपये की ठगी की है। आरोपियों के पास से शिकायतकर्ता द्वारा आपूर्ति की गई लगभग 1.5 करोड़ रुपये की 45,000 स्कूल यूनिफॉर्म, 2.79 लाख रुपये नकद, एक सोने की अंगूठी और एक सोने की चेन बरामद की गई है। इसके अलावा, ठगी के पैसे से खरीदे गए दो फ्लैट और एक कार की पहचान कर ली गई है और उन्हें जब्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
ईओडब्ल्यू की अतिरिक्त पुलिस आयुक्त अमृता गुगुलोथ के अनुसार, ईओडब्ल्यू को एक शिकायत मिली थी जिसमें शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि आरोपी करुणाकर, अनीता, सौरभ सिंह और अन्य ने उसे राष्ट्रीय ग्रामीण साक्षरता मिशन (आरजीएसएम) में विक्रेता के रूप में पंजीकृत कराने के लिए लालच दिया।
आरोपियों ने दावा किया कि यह योजना भारत सरकार की एक पहल है जिसके तहत विक्रेताओं को विभिन्न राज्यों में समाज के वंचित वर्गों के छात्रों को स्कूल यूनिफॉर्म की आपूर्ति करनी थी। शिकायतकर्ता से स्कूल यूनिफॉर्म प्राप्त करने के बाद, आरोपियों ने पैसे का गबन कर लिया।
उन्होंने एक टेंडर दिलाने के लिए लगभग 2 करोड़ रुपये का कमीशन भी मांगा। मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई, जिसमें पता चला कि आरोपियों ने आरजीएसएम के नाम से एक बैंक खाता खोला था। उन्होंने टेंडर के लिए अखबारों में विज्ञापन भी दिए।
उन्होंने आरजीएसएम ट्रस्ट के खाते से बड़ी रकम निकाली और उस धन का इस्तेमाल निजी लाभ के लिए किया। रत्नाकर उपाध्याय पहले भी उत्तर प्रदेश में नौकरियों के लिए रिश्वतखोरी और बलात्कार सहित कई आपराधिक मामलों में शामिल रहे हैं। अनीता ने आरजीएसएम ट्रस्ट की प्रमुख होने का दावा किया और आरजीएसएम खाते से निकाली गई धनराशि की लाभार्थी भी पाई गईं।
आईएएस अधिकारी बनकर धोखाधड़ी करने का नाटक
आरोपियों ने एक ट्रस्ट और एक फर्जी वेबसाइट बनाई, जिसका नाम सरकारी योजना "राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन" के समान था। उन्होंने संभावित पीड़ितों को ठगने के लिए फर्जी लेटरहेड बनाए और खुद को आईएएस अधिकारी बताया।
उन्होंने जरूरतमंद स्कूली बच्चों में बांटे जाने वाले सामान की आपूर्ति के लिए विक्रेताओं के साथ अनुबंध किया। सामान मिलने के बाद भी भुगतान नहीं किया गया। जाँच से पता चला कि आरोपियों ने बयाना राशि, कमीशन और स्टाम्प पेपर शुल्क के नाम पर विक्रेताओं से भारी रकम भी ऐंठी।
आरोपियों की गिरफ्तारी कैसे हुई?
आरोपी रत्नाकर और अनीता को 16 जुलाई को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन सौरभ फरार रहा। द्वारका स्थित उनके आवास पर छापा मारा गया, लेकिन वह वहाँ भी नहीं मिले। इसके बाद त्रिवेणी नगर, लखनऊ, जौनपुर और काशीपुर घोंडा गाँव में छापे मारे गए। कई सीडीआर का विश्लेषण करने और यूटिलिटी ऐप्स से जानकारी इकट्ठा करने के बाद, उसे 15 सितंबर को लखनऊ में गिरफ्तार कर लिया गया।
मास्टरमाइंड जौनपुर से स्नातक
आरोपियों की पृष्ठभूमि की जाxच से पता चला कि वे देश भर में दर्ज कई मामलों में शामिल थे। मास्टरमाइंड रत्नाकर जौनपुर के गुलालपुर कॉलेज से स्नातक है और उसका लंबा आपराधिक इतिहास है। रायबरेली में जन्मी अनीता, आरजीएसएम की प्रमुख और आरजीएसएम के खातों की अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता थी।
वहीं, सौरभ ने राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय, अयोध्या से बीए की डिग्री प्राप्त की है। वह दो अन्य मामलों में भी शामिल रहा है। पुलिस उनसे पूछताछ कर रही है और गिरोह में शामिल अन्य आरोपियों की तलाश कर रही है।
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