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    नौकरी दांव पर, लेकिन थम नहीं रही दिल्ली पुलिस में घूसखोरी; इस साल 22 पुलिसकर्मी रिश्वत लेते गिरफ्तार

    Updated: Fri, 26 Sep 2025 06:45 AM (IST)

    दिल्ली पुलिस में रिश्वतखोरी के मामले बढ़ते जा रहे हैं जहाँ कई पुलिसकर्मी रिश्वत लेते पकड़े गए हैं। विजिलेंस यूनिट और सीबीआई ने कई गिरफ्तारियां की हैं जिससे विभाग की छवि खराब हुई है। पकड़े जाने वाले पुलिसकर्मियों को निलंबन और कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ता है जिससे उनके करियर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस वर्ष 22 पुलिसकर्मी गिरफ्तार हुए हैं।

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    नौकरी दांव पर, लेकिन थम नहीं रही दिल्ली पुलिस में घूसखोरी

    राकेश कुमार सिंह, नई दिल्ली। देश की सबसे पेशेवर मानी जानी वाली दिल्ली पुलिस के दामन पर दाग कम होने का नाम नहीं ले रही है। हाल के वर्षो में इसके पुलिसकर्मी विजिलेंस यूनिट तो कभी सीबीआइ के हाथों रिश्वत लेते पकड़े जा रहे हैं।

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    पुलिस विभाग के रिकार्ड को देखें तो रिश्वत के लालच में दिल्ली पुलिस के जवान अपनी नौकरी दांव पर लगा रहे हैं। रिश्वत लेते पकड़े जाने पर उनके नौकरी से बर्खास्त होने की प्रबल संभावना रहती है। अदालत में जब तक पुलिसकर्मियों के मामले चलते हैं तब तक वे निलंबित ही रहते हैं।

    इस दौरान उन्हें आधा वेतन मिलता है, पदोन्नति से वंचित रहते हैं। खुद के साथ-साथ वे विभाग की छवि खराब करते हैं। इस साल अब तक 22 पुलिसकर्मी मामूली रिश्वत की रकम लेते गिरफ्तार हो चुके हैं।

    एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि बीते मंगलवार को विजिलेंस यूनिट ने द्वारका सेक्टर 14 मेट्रो स्टेशन के पास इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक आपरेशंस (आइएफएसओ) में तैनात 2010 बैच के जिस सब इंस्पेक्टर (करमवीर सिंह) को दो लाख रुपये के साथ गिरफ्तार किया, उसका कुछ समय बाद ही पदोन्नति होना था।

    पदोन्नति पाकर वह इंस्पेक्टर बन जाता। कुछ साल बाद वह किसी थाने का एसएचओ बन सकता था। दूसरी पदोन्नति मिलने के बाद वह एसीपी बन सकता था। उसका आइएफएसओ से तबादला हो गया था लेकिन रवानगी नहीं हुई थी, इस बीच छोटे लालच में पड़ने व पकड़े जाने से उसने अपने कैरियर के साथ छवि खराब कर ली।

    आइएफएसओ साइबर क्राइम का सबसे बड़ा यूनिट है, इस यूनिट का कोई भी पुलिसकर्मी अब से पहले रिश्वत लेते नहीं पकड़ा गया था। इस सब इंस्पेक्टर ने आइएफएसओ की भी छवि को तार-तार कर दिया।

    पुलिसकर्मियों के रिश्वत लेते पकड़े जाने पर उक्त मामलों की सुनवाई के लिए राउज एवेन्यू अदालत में दो कोर्ट नामित किए गए हैं। पुलिसकर्मियों के रिश्वत लेते पकड़े जाने पर उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया जाता है। निलंबित करने के बाद मोबाइल व पैसे आदि साक्ष्यों की एफएसएल से रिपोर्ट आने के बाद अदालत में मुकदमे की सुनवाई शुरू होती है। सुनवाई करीब पांच साल तक चलती है।

    इस बीच पुलिस विभाग अगर किसी पुलिसकर्मी को सुनवाई पूरी होने से पहले ही नौकरी से बर्खास्त कर देता है तो पुलिसकर्मी कैट में अपील कर दोबारा नौकरी में आ जाता है। लेकिन अधिकतर मामले में अदालत से सजा मिलने के बाद पुलिस विभाग पहले उक्त कर्मियों के खिलाफ विभागीय जांच कराता है। इस प्रक्रिया में भी करीब दो साल का समय लग जाता है। उसके बाद उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाता है।

    भ्रष्टाचार अधिनियम की धाराओं में पांच साल की सजा का प्रविधान है। अलग-अलग मामले में पुलिसकर्मियों को अलग-अलग सजा मिलती है। पुलिस अधिकारी का कहना है कि अब साक्ष्य जुटाने में कोई समस्या नहीं आती है। इलेक्ट्रानिक साक्ष्यों के आधार पर अधिकतर पुलिसकर्मियों को सजा मिल ही जाती है। इसके आधार पर विभाग बर्खास्त कर देता है। बर्खास्त होने में पांच से सात साल का वक्त लगता है।

    एसएचओ पर भी होती है कार्रवाई

    जिन थानों अथवा यूनिटों के पुलिसकर्मी रिश्वत लेते पकड़े जाते हैं, उसके एसएचओ या प्रभारी को भी लाइन हाजिर कर दिया जाता है। इससे एसएचओ का भी कैरियर प्रभावित होता है।

    बरामदगी से ज्यादा होती है रिश्वत की मांगी गई रकम

    आम तौर पर पुलिसकर्मी पकड़े जाते हैं तो बताया जाता है कि पांच हजार, 10 हजार या 20 हजार की रिश्वत के साथ पकड़े गए। लेकिन असल में रिश्वत की मांगी गई रकम काफी ज्यादा होती है।