पीसीआर कॉल पर तुरंत मदद पहुंचाने की तैयारी, रिस्पाॅन्स टाइम कम करने को लिया यह फैसला
दिल्ली पुलिस राजधानी में कानून व्यवस्था को और चाक-चौबंद करने के लिए पीसीआर के कॉल रिस्पाॅन्स टाइम को कम करने के लिए कदम उठा रही है। मुंबई में कॉल रिस् ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: राजधानी की कानून व्यवस्था को और अधिक चाक चौबंद करने के लिए गृह मंत्रालय व दिल्ली सरकार के साथ मशविरे के साथ दिल्ली पुलिस कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही है।
जिनमें एक पीसीआर के काॅल रिस्पाॅन्स टाइम को कम करना शामिल है। मुंबई में जहां दिल्ली की तुलना में कम अपराध होते हैं, वहां पीसीआर का काॅल रिस्पाॅन्स टाइम तीन से पांच मिनट है।
देश के सभी महानगरों व बड़े शहरों की तुलना में दिल्ली में सबसे अधिक अपराध होते हैं, फिर भी यहां पूरी दिल्ली में काॅल रिस्पाॅन्स टाइम एक समान नहीं है।
नई दिल्ली छोड़ बाकी जिलों में रिस्पॉन्स टाइम है आठ मिनट
अति सुरक्षित नई दिल्ली जिला समेत कुछ अन्य जिले को छोड़ दें तो बाकी जिलों जैसे बाहरी, बाहरी-उत्तरी, रोहिणी, द्वारका, दक्षिण-पश्चिम आदि में काॅल रिस्पाॅन्स टाइम आठ मिनट से भी अधिक है।
क्षेत्रफल बड़ा होने व पीसीआर की गाड़ियां कम होने के कारण दिल्ली के सभी जिलों में काॅल रिस्पाॅन्स टाइम एक समान नहीं है। इसलिए पीसीआर यूनिट के लिए 100 अन्य नई पीसीआर खरीदी जा रही हैं।
100 पीसीआर मिलने से कॉल रिस्पॉन्स टाइम होगा कम
पुलिस अधिकारी का मानना है कि 100 नई पीसीआर गाड़ियां मिलने पर काॅल रिस्पाॅन्स टाइम को काफी हद तक कम किया जा सकेगा।
दिल्ली पुलिस के एक आला अधिकारी के मुताबिक वर्तमान में पीसीआर यूनिट के पास 802 पीसीआर हैं, जिनमें महिला पीसीआर, प्रखर, पराक्रम, टूरिस्ट व सामान्य पीसीआर शामिल हैं।
इनमें करीब 25 पीसीआर गाड़ियां उम्र पूरी कर चुकी हैं अथवा खराब हो चुकी हैं। नई पीसीआर गाड़ियां मिलने पर पुराने हटा दिए जाएंगे।
अगले माह तक 50 से अधिक पीसीआर मिलने की उम्मीद
अगले माह तक 50 से अधिक पीसीआर गाड़ियां मिल जाने की उम्मीद है और शेष 50 गाड़ियां सितंबर या अक्टूबर तक मिलने की उम्मीद है।
दिल्ली के कई जिले की घनी आबादी है साथ ही सड़कें भी चौड़ी नहीं है और पीसीआर की गाड़ियां कम है जिससे उन इलाकों में काल रिस्पांस टाइम आठ मिनट से ज्यादा है।
पीसीआर यूनिट पर कर्मचारियों की संख्या भी है कम
पूर्व पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने काॅल रिस्पाॅन्स टाइम कम करने के लिए पीसीआर यूनिट को 2021 में खत्म कर इसे जिला पुलिस के साथ मर्ज कर दिया था।
यह प्रयोग सफल न होने पर गृह मंत्रालय के निर्देश पर 2022 में फिर से पीसीआर को जिले से हटाकर यूनिट बना दिया गया।
पुलिस अधिकारी का कहना है कि पीसीआर यूनिट में कर्मचारियों की संख्या भी कम है। वर्तमान में 7200 कर्मचारियों की तैनाती हैं। संख्या बढ़ाने के लिए भी मुख्यालय से अनुरोध किया गया है।

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