दिल्ली के लिए प्लास्टिक कचरा बना मुसीबत, घटने के बजाय बढ़ता ही गया कूड़ों का पहाड़; DPCC की रिपोर्ट
दिल्ली में प्लास्टिक कचरा एक गंभीर समस्या बन गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार शहर में प्रतिदिन 12 टन अधिक प्लास्टिक कचरा उत्पन्न हो रहा है जिसमें से 23% का प्रबंधन नहीं हो पा रहा। दिल्ली में प्रतिदिन 1117 टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है जो कुल कचरे का 9.8% है। प्रति व्यक्ति कचरा उत्पादन में दिल्ली पहले स्थान पर है जिससे प्रदूषण और जलभराव जैसी समस्याएं हो रही हैं।

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली के लिए प्लास्टिक कचरा मुसीबत बन गया है। कहने को एक जुलाई 2022 से देशभर में सिंगल यूज प्लास्टिक के 19 उत्पादों पर प्रतिबंध लग चुका है, लेकिन प्रशासनिक अनदेखी के चलते दिल्ली में कहीं इस प्रतिबंध का असर नजर ही नहीं आ रहा।
आलम यह है कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की रिपोर्ट के मुताबिक साल भर पहले की तुलना में दिल्ली अब हर दिन 12 टन प्लास्टिक कचरा ज्यादा पैदा कर रही है। परेशानी की बात यह है कि इस प्लास्टिक कचरे का 23 प्रतिशत से भी बड़ा हिस्सा ऐसा है जिसका प्रबंधन नहीं हो पाता।
क्या कहती है डीपीसीसी की रिपोर्ट
डीपीसीसी की अप्रैल 2025 की रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली में हर दिन 1117 टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है। इसकी तुलना अगर जून 2024 की डीपीसीसी रिपोर्ट के सकें तो उस समय तक हर दिन 1105 टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता था। यानी साल भर में दिल्ली हर दिन 12 टन कचरा पहले से ज्यादा पैदा करने लगी है। अगर इस आंकड़े को साल भर के लिए देखें पहले की तुलना में अब चार हजार 380 टन प्लास्टिक कचरा ज्यादा पैदा हो रहा है।
23 प्रतिशत प्लास्टिक कचरे कस नहीं हाे रहा प्रबंधन
डीपीसीसी की रिपोर्ट के मुताबिक 1117 टन प्लास्टिक कचरे में से 858 टन यानी 76.8 प्रतिशत कचरा प्रोसेस कर लिया जाता है। जबकि 259 टन यानी लगभग 23.2 प्रतिशत कचरा ऐसा है जिसका प्रबंधन नहीं हो पाता।
कुल कचरे का नौ प्रतिशत है प्लास्टिक कचरा
डीपीसीसी की रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली में हर दिन 11342 (टीपीडी) टन ठोस कचरा पैदा होता है। प्लास्टिक कचरे की हिस्सेदारी इसमें से 9.8 प्रतिशत की है।
प्लास्टिक कचरा पैदा करने में पहले नंबर पर दिल्ली
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक रिपोर्ट बताती है कि देश में प्रति व्यक्ति प्लास्टिक कचरा पैदा करने में दिल्ली पहले नंबर पर है। यहां पर हर व्यक्ति सालाना औसतन 14 किग्रा प्लास्टिक कचरा पैदा करता है।दिल्ली के बाद गोवा दूसरे नंबर और तेलंगाना तीसरे नंबर पर है।
प्लास्टिक कचरे से होती हैं ये परेशानियां
- प्लास्टिक कचरा जलाने से दिल्ली की हवा जहरीली होती है।
- प्लास्टिक कचरा नालियों-नालों को जाम कर देता है, जिससे लोगों को जलभराव का सामना करना पड़ता है।
- प्लास्टिक कचरा धीरे-धीरे टूटकर नैनो प्लास्टिक कणों में बदल जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए ज्यादा हानिकारक होते हैं।
- नैनो प्लास्टिक कण नदियों और जलाशयों में चले जाते हैं, जिससे जलीय जीवन भी संकट में पड़ जाता है।
प्लास्टिक कचरे पर एक नजर
समय अवधि | कुल कचरा उत्पन्न (टीपीडी) | प्रबंधित कचरा (टीपीडी) | प्रबंधित कचरा (%) | अप्रबंधित कचरा (टीपीडी) | अप्रबंधित कचरा (%) |
---|---|---|---|---|---|
जून 2024 | 1105 | 858 | 77.6% | 247 | 22.4% |
अप्रैल 2025 | 1117 | 858 | 76.8% | 259 | 23.2% |
सिंगल यूज प्लास्टिक के प्रतिबंधित उत्पाद
स्ट्रा, इयरबड्स, गुब्बारों में लगने वाली प्लास्टिक की स्टिक, सजावट में इस्तेमाल होने वाला थर्माकोल, आइसक्रीम स्टिक, कैंडी स्टिक, कप, झंडे, चाकू-छुरी, ट्रे, मिठाई के डिब्बे, शादी के कार्ड पर इस्तेमाल होने वाली शीट, मिठाई के डिब्बे पर इस्तेमाल होने वाली शीट, सिगरेट के पैकेट पर लगी पन्नी।
पूर्ववर्ती आप सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध के केंद्र सरकार के निर्णय काे गंभीरता से नहीं लिया। इसीलिए आज भी न केवल इसके सभी उत्पाद प्रचलन में हैं बल्कि प्लास्टिक कचरा भी कम होने के बजाए बढ़ा रहे हैं। नई सरकार पर्यावरण संरक्षण के प्रति गंभीर है। भविष्य में इस दिशा में भी अपेक्षित सुधार देखने को मिलेगा। - डॉ. अनिल गुप्ता, सदस्य, डीपीसीसी
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।