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    Delhi Weather: तप रहा दिल्ली का ये इलाका, मार्च में ही 40 डिग्री के पार पहुंचा तापमान; क्यों बन रहा 'भट्टी'?

    Updated: Sun, 30 Mar 2025 11:50 AM (IST)

    Delhi Weather राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में तेज हवाओं के असर से गर्मी के तेवर रविवार को भी हल्के पड़े हैं लेकिन सोमवार से तापमान में दोबारा वृद्धि होने से गर्मी बढ़ने लगेगी। रविवार को न्यूनतम तापमान 16.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ जबकि अधिकतम 32 डिग्री रहने के आसार हैं। इस बीच दिल्ली के पीतमपुरा में बढ़ता तापमान चिंता की वजह बन रहा है।

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    राजधानी में तेज धूप के बीच सिर ढककर गुजरती युवतियां। फाइल फोटो- जागरण

    धर्मेंद्र यादव, बाहरी दिल्ली। सप्ताहभर से दिल्ली के सर्वाधिक गर्म क्षेत्र में शामिल पीतमपुरा का तापमान सबको चौंका रहा है। तीन दिन पहले पीतमपुरा का अधिकतम तापमान 40.6 डिग्री सेल्सियस पर पहुंचने के बाद अब नीचे आ रहा है, लेकिन क्षेत्र के लोग यह सोच कर चिंतित हैं कि मार्च माह में यह हाल है तो आगे क्या होगा।

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    सप्ताहभर से पीतमपुरा का अधिकतम व न्यूनतम तापमान दिल्ली के अन्य क्षेत्रों की तुलना में दो से तीन डिग्री सेल्सियस का अंतर देखने को मिल रहा है। हरियाली घटने और इमारतों की बढ़ती संख्या के अलावा आउटर रिंग रोड से नजदीकी जैसे कारकों को तापमान वृद्धि की वजह माना जा रहा है।

    क्या बोल रहे मौसम विज्ञानी?

    मौसम विज्ञानी का मानना है कि तापमान बढ़ने के कुछ स्थानीय कारण भी हैं, लेकिन इन कारणों में एक बड़ा कारण प्राकृतिक जलवायु परिवर्तिता भी है। 1945 में दिल्ली के सफदरजंग का तापमान 40.6 डिग्री पर पहुंच सकता है तो पीतमपुरा में तापमान वृद्धि बड़ी बात नहीं मानी जानी चाहिए।

    पीतमपुरा राजधानी का नया गर्म स्थान बनने की ओर अग्रसर है। सप्ताहभर के तापमान के आंकड़े इसी ओर इशारा कर रहे हैं। दिल्ली के अन्य भागों की तुलना में पीतमपुरा के अधिकतम और न्यूनतम तापमान में दो से लेकर तीन डिग्री सेल्सिसय का फर्क देखने को मिल रहा है।

    40.6 डिग्री पहुंच गया तापमान

    26 मार्च को पीतमपुरा का अधिकतम तापमान 38.1 था, जबकि दिल्ली का 36.4 डिग्री सेल्सियत था। एक दिन पहले पीतमपुरा का अधिकतम तापमान 40.6 पर पहुंच गया। बीते सप्ताह तीन-चार दिन पीतमपुरा राजधानी का सबसे गर्म क्षेत्र में शुमार रहा। इसमें कोई दो राय नहीं है कि पिछले दो-तीन दशक के दौरान पीतमपुरा में इमारतों की संख्या और आबादी काफी बढ़ी है।

    आठ से 10 हजार फ्लैट व मकान हैं। एक लाख से अधिक लोग रह रहे हैं। यहां 235 पार्क भी हैं।पीतमपुरा चूंकि बाहरी रिंग रोड के किनारे बसा है। रिंग रोड से बहुतायत में दिन-रात वाहनों की आवाजाही रहती है। इसलिए, स्थानीय लोग इस कोण से भी देख रहे हैं।

    खत्म हो गया है तालाब का अस्तित्व

    स्थानीय निगम पार्षद डॉ. अमित नागपाल बताते हैं कि पीतमपुरा मेट्रो स्टेशन के पास 3-4 एकड़ में तालाब होता था, अब उसका अस्तित्व खत्म हो गया। जलवायु के लिए तालाब-जलाशय जरूरी हैं। पूरे क्षेत्र में इस समय कोई तालाब नहीं है।

    बड़ा कारण- प्राकृतिक जलवायु परिवर्तन

    मौसम विभाग के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक आनंद शर्मा का मानना है कि किसी क्षेत्र का तापमान बढ़ना और घटना सामान्य बात है। 31 मार्च 1945 को सफदरजंग का तापमान 40.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ था। उस समय तो कंक्रीट स्ट्रक्चर भी कम थे, हरियाली ज्यादा थी।

    इस नजरिए से देखें तो पीतमपुरा का तापमान 40.6 पर पहुंचना बड़ी बात नहीं है। ऐसा प्राकृतिक जलवायु परिवर्तिता के साथ-साथ कई अन्य कारणों से होता है। इसमें कोई शक नहीं कि पीतमपुरा में कंक्रीट स्ट्रक्चर कई गुणा बढ़े हैं। यह भी कई कारणों में से एक है।

    क्यों चर्चा में आया था मुंगेशपुर?

    आनंद शर्मा का कहना है कि पीतमपुरा वेस्टर्न पार्ट में आता है और राजधानी में गर्मी पश्चिम की ओर से आती है, इसलिए भी पीतमपुरा अन्य क्षेत्रों से ज्यादा गर्म है। पिछले साल मुंगेशपुर गांव भी चर्चा में आया था।

    मुंगेशपुर गांव भी पश्चिमी क्षेत्र का हिस्सा है, इसलिए पूरे इलाके में तापमान ज्यादा होना स्वाभाविक है। हालांकि, मुंगेशपुर के तापमान के अप्रत्याशित आंकड़ों की वजह यंत्र में तकनीकी खराबी थी। इनके अलावा ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन, ग्लोबल वार्मिंग जैसे कारण भी आने वाले समय में तापमान बढ़ा सकता है।

    मुंगेशपुर के लोगों के माथे पर चिंता की लकीर

    इस साल अपेक्षाकृत ज्यादा गर्मी के मौसम विभाग के अनुमान के बाद मुंगेशपुर के लोगों के माथे पर चिंता की लकीर हैं। गर्मी से बचाव के बारे में ग्रामीण आपस में चर्चा करने लगे हैं। मास्टर महेंद्र सिंह कहते हैं कि गर्मी से बचने के लिए केवल एहतियात बरत सकते हैं, बाकी कुछ हाथ में नहीं है।

    गांव के चारों तालाबों में पानी नहीं है। हरियाली गायब हो चुकी है। पिछले 30-40 साल में पेड़ों की संख्या घटकर आधी रह गई है। भूजल स्तर लगातार गिर रहा है। जलवायु के ताने-बाने से इतनी छेड़छाड़ हो चुकी है, अब दुष्परिणामों का सामना तो करना ही पड़ेगा। गर्मी से अब हमें खुद ही बचना पड़ेगा।

    उन्होंने बताया कि गर्मी बढ़ी तो वे पूरा दिन अपने घर में ही रहेंगे। दिन के कार्य छोड़ने पड़ेंगे। दिल्ली जल बोर्ड के सेवानिवृत्त कर्मचारी रमेश का कहना है कि गांव के जल निकाय खत्म हो चुके हैं। तालाबों में पानी नहीं है।

    52.9 डिग्री सेल्सियस दर्शाया था तापमान

    पेड़ों की संख्या घटकर न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है। शहर और गांव कंक्रीट के जंगल में बदल गए हैं। गर्मी से बचने के लिए ग्रामीण एसी लगवाने लगे हैं। एसी घर के कमरों को ठंडा कर रहे हैं, लेकिन गांव के वातावरण में तो गर्मी बढ़ा ही रहे हैं।

    दिल्ली-हरियाणा सीमा से सटा मुंगेशपुर गांव पिछले साल मई महीने में एकाएक उस समय चर्चा में आ गया था, जब मौसम विभाग के यंत्र ने गांव का तापमान 52.9 डिग्री सेल्सियस दर्शाया था। हालांकि, बाद में विभाग की ओर से बताया गया कि यंत्र में तकनीकी खामी में वजह से ऐसा हुआ।

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