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    दिल्लीवासी रोजाना कूड़े में फेंक रहे हैं 'सवा करोड़', ऑडिट में सामने आई हैरान कर देने वाली जानकारी

    Updated: Mon, 12 Feb 2024 11:19 AM (IST)

    दिल्ली में प्रतिदिन 11 हजार 30 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है। इसमें से 10 प्रतिशत कूड़ा यानि 1.10 लाख किलो कूड़ा ऐसा निकलता है जो कि प्लास्टिक लोहे ई-कचर ...और पढ़ें

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    दिल्लीवासी कूड़े में फेंक रहे हैं रोज 'सवा करोड़'

    निहाल सिंह, नई दिल्ली। कूड़े को ऐसे ही काला सोना नहीं कहां जाता है। अगर, वैज्ञानिक तरीके से कूड़े का निस्तारण करें तो उससे गंदगी नहीं समृद्धि आएगी। दिल्लीवासी गीला और सूखा कूड़ा अलग-अलग नहीं कर रहे हैं।

    यही वजह है कि कूड़े में प्लास्टिक, लोहा, गत्ता, कांच आदि वस्तुएं पहुंचती है। जिन्हें डलाव घरों में इकट्ठा कूड़े में से इन वस्तुओं को कुछ लोग निकालते हुए दिख जाते हैं। जिन्हें देखकर लोग नाक भौं सिकोड़कर आगे बढ़ जाते हैं। पर शायद इस तथ्य पर यकीन न हो कि इस तरह का दिल्ली में प्रतिदिन करीब सवा करोड़ रुपये का कूड़ा निकलता है।

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    ऑडिट में सामने आई जानकारी

    जिसे रैग पीकर (कूड़ा बीनने) बेचकर प्रतिदिन कमाई कर रहे हैं। भारतीय प्रशासनिक स्टाफ कॉलेज (एएससीआइ) हैदराबाद से दिल्ली नगर निगम द्वारा कराए गए ऑडिट में यह बात सामने आई है। ऑडिट के तहत दिल्ली में 10 प्रतिशत कूड़ा यह रैग पीकर प्रतिदिन अलग-अलग करके अपनी रोजी रोटी चला रहे हैं।

    दिल्ली में रोज कितना कूड़ा निकलता है?

    दिल्ली में प्रतिदिन 11 हजार 30 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है। इसमें से 10 प्रतिशत कूड़ा यानि 1.10 लाख किलो कूड़ा ऐसा निकलता है जो कि प्लास्टिक, लोहे, ई-कचरे, रबड़ और कागज के गत्तों के तौर पर होता है। दिल्ली में 12 रुपये किलो प्लास्टिक कबाड़ में बिकता है। ऐसे में 1.32 करोड़ रुपये का कूड़ा निकालकर रैग पीकर अपना जीवन-यापन कर रहे हैं।

    1.32 करोड़ रुपये तो प्लास्टिक के दाम के हिसाब से आई राशि बनती है। जबकि इसमें लोहे और कागज को अलग-अलग करके देखा जाए तो यह राशि पांच करोड़ के करीब भी हो सकती है। दिल्ली नगर निगम ने अपने स्वच्छता के स्तर को सुधारने और कमियों का पता लगाने के लिए एएससीआइ से ऑडिट कराया था।

    लैंडफिल पर जा रहा 20 प्रतिशत कूड़ा

    ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में 11 हजार मीट्रिक टन प्रतिदिन कू़ड़ा उत्पन्न होता है। इसमें से 10 प्रतिशत कूड़ा अनियोजित क्षेत्र से निस्तारित हो रहा है। तीन प्रतिशत कूड़ा मैटेरियल रिकवरी सुविधा (एमआरएफ) से निस्तारित हो रहा है। जबकि 55 प्रतिशत कूड़ा वेस्ट टू एनर्जी प्लांट के माध्यम से निस्तारित हो रहा है। जबकि 20 प्रतिशत कूड़ा लैंडफिल पर जा रहा है।

    सात प्रतिशत कूड़ा सड़कों पर यूं ही पड़ा रहता है। जबकि करीब प्रतिशत कूड़ा निस्तारित ही नहीं होता है। ऐसे में 10 प्रतिशत कूड़े के निस्तारण के लिए भारतीय प्रशासनिक स्टाफ कालेज (एएससीआइ) हैदराबाद ने इसमें डोर टू डोर कलेक्शन में सेवा में सुधार के साथ ही कई बिंदुओं पर तुरंत प्रभाव से कार्य करने के निर्देश दिए हैं।

    कितना कमा रहे कूड़ा बिनने वाले?

    ऑडिट में बताया है कि एक कॉलोनी में करीब तीन से चार रैग पीकर होते हैं। इनके ऊपर एक ठेकेदार होता है। एक रैगपीकर प्रतिदिन यह कूड़ा माह में 14 हजार रुपये के करीब कमा रहा है जबकि उसके ऊपर काम करने वाले ठेकेदार की आय 25 हजार रुपये के करीब महीना है।

    ऑडिट के तहत ठेकेदार इन रैग पीकर को 1500 से दो हजार रुपये महीना देता है। जबकि 50 किलो करीब कूड़ा बीनकर 200 से 300 रुपये प्रतिदिन कमाते हैं। सड़कों के किनारे कूड़ा बीनने से भी 100 रुपये प्रतिदिन की आय होती है।

    इस प्रकार से 14 हजार रुपये के करीब रैग पीकर की आय प्रति माह हो जाती है। ऑडिट में यह बात भी सामने आई हैं कि निगम का दस प्रतिशत कूड़ा लैंडफिल पर जाने से बचाने के लिए कार्य करने वाले कूड़ा बिकने पर ही निर्भर है। जबकि निगम का कूड़ा निस्तारण में सहयोग करने पर इनको कोई सुविधा नहीं दी जा रही। इनका न तो मेडिकल बीमा कराया जा रहा है और न ही कूड़ा बीनने के लिए पीपीई किट आदि दी जा रही है।

    ऑडिट के यह हैं प्रमुख सुझाव

    • डोर टू डोर कूड़ा एकत्रित किया जाना सुनिश्चित किया जाए
    • गलियों और सड़कों की सफाई को सुधारा जाए
    • कंट्रोल एंड कंमाड सेंटर स्थापित कर इसकी निगरानी की जाए
    • स्वच्छता के प्रति नागरिकों को जागरुक किया जाए
    • वार्ड स्तर और जोनल स्तर पर कूड़े के निस्तारण की योजना मजबूत की जाए
    • कूड़ा उठाने के कांट्रेक्ट को मजबूत किया जाए
    • कूड़ा उठाने के लिए पेशेवर तरीकों को लागू किया जाए

    छह साल में कितना कूड़ा प्रतिदिन उत्पन्न होने का है अनुमान

    वर्ष कुल कूड़ा सूखा कूड़ा गीला कूड़ा
    2025 12069 7241 4828
    2026 12391 7435 4957
    2027 12803 7682 5121

    2028

    13229 7938 5292
    2029 13669 8202 5468
    2030 14124 8474 5650