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    Delhi: हेडगेवार अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की सुविधा के लिए भटक रहे मरीज, निजी लैब सेंटरों की हो रही चांदी

    By Nikhil PathakEdited By: Abhi Malviya
    Updated: Wed, 03 May 2023 12:11 AM (IST)

    अस्पताल के रेडियोलाजिस्ट के पद पिछले काफी समय से खाली पड़े हैं। ऐसे में यहां की जिम्मेदारी लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल के रेडियोलाजिस्ट डा. एमएन सिंह को सौंपी हुई है। वह तीन दिन हेडगेवार में और बाकी तीन दिन एलबीएस अस्पताल में काम करते हैं।

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    कड़कड़डूमा स्थित डा. हेडगेवार आरोग्य संस्थान में अल्ट्रासाउंड जांच के लिए मरीजों को भटकना पड़ रहा है।

    पूर्वी दिल्ली, निखिल पाठक। कड़कड़डूमा स्थित डा. हेडगेवार आरोग्य संस्थान में अल्ट्रासाउंड जांच के लिए मरीजों को भटकना पड़ रहा है। इमरजेंसी में पहुंचे मरीजों को बाहर से जांच करानी पड़ती है। अस्पताल में विशेषकर रात के समय अल्ट्रासाउंड की सुविधा बिल्कुल ठप हो जाने से मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

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    दरअसल, अस्पताल के रेडियोलाजिस्ट के पद पिछले काफी समय से खाली पड़े हैं। ऐसे में यहां की जिम्मेदारी लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल के रेडियोलाजिस्ट डा. एमएन सिंह को सौंपी हुई है। वह तीन दिन हेडगेवार में और बाकी तीन दिन एलबीएस अस्पताल में काम करते हैं।

    हेडगेवार में अल्ट्रासाउंड करने वाले सीनियर रेेजिडेंट के तीनों पद भरे हुए हैं। अल्ट्रासाउंड मशीनों की संख्या भी दो है। अल्ट्रासाउंड का समय- सुबह नौ से चार बजे तक ही है। ऐसे में रात में पहुंचने वाले मरीजों को जीटीबी अस्पताल रेफर किया जाता है या फिर उन्हें बाहर से अल्ट्रासाउंड कराने के लिए बोला जाता है।

    हेडगेवार अस्पताल की स्थापना एक सितंबर, 2003 को हुई थी। जानकारी के मुताबिक 200 बेड की क्षमता वाले अस्पताल में प्रतिदिन औसतन एक हजार मरीज आते हैं। इनमें से लगभग 350 मरीज गाइनी विभाग में आते हैं। गर्भवती महिलाओं के साथ पेट की समस्या संबंधी रोगियों को भी अल्ट्रासाउंड की आवश्यकता होती है।

    अस्पताल में विश्वास नगर के साथ गांधीनगर विधानसभा क्षेत्र के लोग भी इलाज के लिए आते हैं। रात में अल्ट्रासाउंड की सुविधा न मिलने की वजह से लोगों को काफी परेशानी होती है। अस्पताल की ओर से उन्हें या तो जीटीबी रेफर किया जाता है या फिर निजी लैब से कराने को कहा जाता है। ऐसे में अस्पताल के सामने चल रहे निजी लैब केंद्रों की चांदी हो गई है। एक निजी लैब वाले ने बताया कि उनके यहां 600 रुपये से लेकर 1500 तक के अल्ट्रासाउंड किए जाते हैं।

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    लोगों की प्रतिक्रिया

    शनिवार की रात करीब 11 बजे अचानक बहुत तेज पेट में दर्द उठा था। जब मैं अल्ट्रासाउंड के लिए अस्पताल पहुंचा तो मुझे जीटीबी जाने के लिए कहा गया। अंत में मुझे निजी लैब पर पैसे देकर अल्ट्रासाउंड कराया था।

    - दिलीप कुमार, मरीज

    मैं छह महीने की गर्भवती हूं। एक दिन दर्द की वजह से अल्ट्रासाउंड के लिए रात आठ बजे पहुंचने पर मुझे साफ मना कर दिया गया। और अगले दिन दिन के समय आने को कहा गया था।

    - महेश्वरी देवी, मरीज

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    • अस्पताल की क्षमता- 200 बेड
    • अल्ट्रासाउंड की मशीनों की संख्या- 2
    • अल्ट्रासाउंड का समय- सुबह नौ से चार बजे तक
    • निजी लैब पर अल्ट्रासाउंड की कीमत- 600 से 1500 रुपये
    • प्रतिदिन पहुंचते हैं एक हजार मरीज
    • 350 गाइनी विभाग में आते हैं

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    मामले को लेकर क्या बोले चिकित्सा अधीक्षक

    रेडियोलाजिस्ट विभाग के पद खाली होने की वजह से रात में अल्ट्रासाउंड की सुविधा देने में मुश्किल होती है। पद को भरने के लिए नियुक्ति प्रक्रिया चालू है। बहुत जल्द लोगों को रात में भी अल्ट्रासाउंड की सुविधा मिला करेगी।

    - डॉ. आरके कालरा, चिकित्सा अधीक्षक