दिल्ली के नालों में गिरकर कैसे मर रहे बच्चे, जिम्मेदार कौन? प्रशासन, सरकार या कोई और...
दिल्ली में खुले नालों में गिरने से बच्चों की मौत के मामलों में पुलिस की लापरवाही सामने आई है। अक्सर नामजद एफआईआर दर्ज नहीं होने से जांच शिथिल पड़ जाती है और जिम्मेदार अधिकारी बच जाते हैं। पीड़ित परिवारों को मुआवजा मिलने में भी दिक्कत आती है। कई मामलों में जैसे किराड़ी में नसरीन की मौत वर्षों बाद भी एफआईआर की कॉपी तक नहीं मिली।

शमसे आलम, बाहरी दिल्ली। उत्तर-पश्चिमी जिले के रामगढ़ गांव में गत रविवार को खुले नाले में गिरने से चार साल के बच्चे की मौत पर पुलिस ने लापरवाही का मामला दर्ज किया है। लेकिन किसके विरुद्ध, यह एफआईआर में नहीं है। यही अक्सर होता है। इस तरह के मामलों में इसी वजह से जांच भी नाले में गाद की तरह जम जाती है। पुलिस कहती है कि जांच के बाद हम संबंधित विभाग या अधिकारी के खिलाफ नामजद एफआईआर करेंगे, लेकिन ऐसा कम ही मामलों में देखा जाता है। पीड़ित परिवारों का कहना है कि नामजद एफआईआर नहीं होने के कारण जांच भी शिथिल पड़ जाती है। पुलिस आखिर तक यह पता नहीं लगा पाती है कि लापरवाही का जिम्मेदार अधिकारी कौन है। यही वजह है कि ऐसे मामलों में सजा सुनने को कम ही मिलते हैं।
केस-1 : चार साल में एफआइआर की कापी तक नहीं मिली
9 सितंबर 2021 किराड़ी के रमेश एन्क्लेव से गुजर रहे सिंचाई व बाढ़ नियंत्रण विभाग के नाले में डूबकर सात वर्षीय नसरीन की मौत हो गई थी। नाले की दीवार छोटी होने के कारण बच्ची खेलते हुआ गिर थी। सिंचाई व बाढ़ नियंत्रण विभाग की लापरवाही से यह हादसा हुआ था।
करीब चार वर्ष बीत जाने के बाद भी दीवार की ऊंचाई नहीं बढ़ाई। पिता निजाम ने बताया कि आज तक उन्हें एफआईआर की कापी नहीं मिली। एसडीएम रोहिणी की ओर से मुआवजे की रकम के लिए वर्ष 2023 में कागजात जमा कराने के लिए कहा गया था।
उन्होंने कागजात भी जमा कराए। अब अमन विहार थाने से इसपर रिपोर्ट मांगी गई है। अभी तक उन्हें इस मामले में नहीं प्रशासन और नहीं विभाग की ओर से कोई मदद मिली।
केस-2 : 11 महीने बाद भी नहीं मिला इंसाफ
10 अगस्त 2024 रोहिणी सेक्टर-20 स्थित डीडीए के पार्क में बने छठ घाट में वर्षा का पानी भरा हुआ था। आठ वर्षीय तरुण खेलते हुए छठ घाट के अंदर गिर गया। डूबने से उसकी मौत हो गई थी।
मृतक अरुण के मामा ने बताया कि पुलिस के अनदेखी के कारण मामला दब गया। पुलिस ने उस समय लापरवाही से मौत का मामला दर्ज किया।
जांच के बाद भी संबंधित विभाग के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। कई बार वे थाने का चक्कर लगाए, लेकिन कुछ हुआ ही नहीं।
इस हादसे के बाद पीड़ित परिवार से न तो किसी विभाग से कोई आया और नहीं प्रशासन की ओर से किसी भी तरह की कोई मदद मिली।
केस-3 : जद्दोजहद के बाद पुलिस ने की नामित एफआइआर
03 मार्च 2024 अलीपुर स्थित मोहम्मद पुर गांव में दिल्ली जलबोर्ड की सीवर लाइन डालने के लिए खोदाई चल रही थी। साइट पर सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं थे।
यहां से पैदल निकलते समय करीब 10 फुट गहरे गड्ढे में रमेश चंद गिर गए, जिससे उनकी मौत हो गई थी। पीड़ित परिवार के काफी जद्दोजहद के बाद दिल्ली पुलिस ने दिल्ली जलबोर्ड के संबंधित ठेकेदार के खिलाफ संबंधित धाराओं में मामला दर्ज कर लिया।
रमेश के भाई ने बताया कि मामला रोहिणी कोर्ट में अभी लंबित है। अभी तक तीन बार वे तारीख पर जा चुके हैं। इनमें से एक ही तारीख पर ठेकेदार आया था। जिसके बाद वह नहीं आया। अभी तक इस मामले में न तो मुआवजा ही मिला और नहीं अभी किसी को सजा हुई है।
केस-4 : बच्चे की चली गई जान, नहीं मिला मुआवजा
21 मार्च 2025 को तीन साल का बच्चा अपनी बड़ी बहन के साथ खजूरी सी ब्लाक में गली में खेल रहा था। बच्चा वाकर चला रहा था। खेलते-खेलते दोनों नाले के पास चले गए।
बच्चा वाकर समेत सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के नाले में जा गिरा। यह न तो ढंका हुआ था और न ही इसके साथ कोई दीवार थी। नाले में डूबने से बच्चे की मौत हो गई।
हादसे को तीन माह हो चुके हैं, लेकिन पीड़ित परिवार को कोई आर्थिक मदद नहीं मिली। पुलिस भी अभी तक जिम्मेदार अधिकारी का पता नहीं लगा पाई है।
आज भी नाले की दीवार जगह-जगह से टूटी पड़ी है। किसी के साथ भी हादसा हो सकता है।
"मुआवजे में दिक्कत आती है"
अगर किसी का नाले या गड्ढे में गिरकर मौत हो जाती है तो पीड़ित परिवार को प्रशासन की ओर से 10 लाख रुपये तक के मुआवजे का प्रविधान है। इसके लिए पीड़ित परिवार जरूरी कागजात के साथ एसडीएम कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं। कई बार नामजद एफआइआर नहीं होने पर मुआवजे में दिक्कत आती है।
-मनीष वर्मा, एसडीएम, रोहिणी
"जिम्मेदार विभाग व अधिकारी बच जाते हैं"
दिल्ली पुलिस को जांच के बाद नामदर्ज एफआइआर करनी चाहिए। ऐसा नहीं होने के कारण जिम्मेदार विभाग व अधिकारी बच जाते हैं। ऐसे मामलों में सारा झोल एफआइर का है। मामला कोर्ट में आने के बाद यह तय करने में काफी समय लग जाता है कि जिस नाले या गड्ढे में डूबकर या गिरकर जिनकी मौत हुई है, वह किस विभाग का है। ऐसे में कई बार पीड़ित परिवार मुआवजे से वंचित रह जाते हैं।
- आशकर हुसैन पाशा, वकील, रोहिणी कोर्ट
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